Tuesday, August 5, 2014

आमिर को चीप पब्लिसिटी की क्या जरूरत?

आमिर को चीप पब्लिसिटी की क्या जरूरत? इस बार नकल में अकल नहीं लगाई...

प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार
फिल्‍म ‘पीके’ के पोस्टर में आमिर खान का निर्वस्त्र होकर फोटो खिंचाना उन्हें विवादास्पद और एक हद तक अभद्र साबित करता है। वे मार्केटिंग विशेषज्ञ के रूप में सफल साबित हुए हैं। पर उनके सम्मान को ठेस लगने का खतरा भी पैदा हो रहा है। कहा जा रहा है कि उनकी प्रेरणा स्रोत पूनम पाण्डेय हैं। क्या आमिर खान को पब्लिसिटी चाहिए? क्या उनका अंतिम ध्येय व्यावसायिक सफलता ही हासिल करना है? इससे उनकी उस गम्भीर छवि को धक्का लगेगा, जो ‘सत्यमेव जयते’ के कारण बनी है। यह उसी तरह है जैसा क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का भारत रत्न बनने के बाद भी कारोबारी विज्ञापनों में नजर आना अच्छा नहीं लगता।
आप कह सकते हैं कि आखिर उन्हें धंधा भी करना है। सच है कि धंधे में आमिर सफल हैं। चूंकि वे सफल हैं तो वे जो भी करेंगे, वह सफल होता जाएगा। ‘थ्री ईडियट्स’ और ‘गजनी’ फिल्मों की मार्केटिंग के लिए उन्होंने जिन फॉर्मूलों को अपनाया, उन्हें धूम-3 में उल्टा कर दिया। फिल्म के रिलीज होने के एक साल पहले फेडोरा हैट पहने आमिर की तस्वीर जारी की गई। कोई इंटरव्यू नहीं, कोई टीवी रियलिटी शो नहीं, फिल्म के संगीत को भी रहस्य बनाकर रखा गया।
पिछले साल शाहरुख खान की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ रिलीज होने के पहले प्रचार की झड़ी लग गई थी। इसका फायदा भी मिला और फिल्म ने शुरुआती दिनों में ढाई सौ करोड़ से ऊपर का बिजनेस कर लिया। उसके छह महीने बाद ‘धूम-3’ ने एक प्रकार के सन्नाटे की रचना की और पांच सौ से ऊपर का बिजनेस कर लिया। आमिर खान ने ही टीवी रियलिटी शो, पात्रों की पहचान की प्रतियोगिताएं, वाराणसी में रिक्शे से घूमना, चंडीगढ़ की शादी में शामिल होने वगैरह का काम किया था।
पर कलात्मकता के लिहाज से यह पोस्टर कोई मौलिक रचना नहीं है। सन 1973 में पुर्तगाली संगीतकार किम बैरीरोज़ के पोस्टर की नकल भी लगता है, जिसमें पियानो एकॉर्डियन ने अंग को ढकने का काम किया है। आमिर ने इसके लिए स्टीरियो सिस्टम की मदद ली है। आरोप तो उनकी पुरानी फिल्मों के पोस्टरों पर भी है। पिछले साल ही जब 'धूम-3' का पोस्टर सामने आया तो कहा गया कि यह तो हॉलिवुड की फिल्म 'डार्क नाइट' के पोस्टर की नकल है। 
 

1 comment:

  1. पब्लिसिटी के लिए जोश में इंसान कितना गिर जाता है यह इसकी एक मिसाल है ,अब लगता है आमिर खान परफेक्शनलिस्ट नहीं रहे उनका आत्म विश्वास डगमगा गया है

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