प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
शनिवार, 2 अगस्त, 2014 को 12:57 IST तक के समाचार
नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले दो महीनों में अपने विरोधियों को जितने विस्मय में डाला है, उससे ज़्यादा भौचक्के उनके कुछ घनघोर समर्थक हैं. ख़ासतौर से वे लोग जिन्हें बड़े फ़ैसलों की उम्मीदें थीं.
सरकार बनने के बाद मोदी की रीति-नीति में काफ़ी बदलाव हुआ है. सबसे बड़ा बदलाव है मीडिया से बढ़ती दूरी.
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मीडिया की मदद से सत्ता में आए क्लिक करेंमोदी शायद मीडिया के नकारात्मक असर से घबराते भी हैं.
फुलझड़ियों की तरह फूटते उनके बयान गुम हो गए हैं. पर सबसे रोचक है उन विशेषज्ञों को लगा सदमा जो भारी बदलावों की उम्मीद कर रहे थे.
कोई बात है कि कुछ महीने पहले तक बेहद उत्साही मोदी समर्थकों की भाषा और शैली में ठंडापन आ गया है.
पढ़िए पूरा आकलन
शुरुआत मोदी की कट्टर समर्थक मानी जाने वाली मधु किश्वर ने की थी. उन्होंने क्लिक करेंस्मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्री बनाए जाने का खुलकर विरोध किया.
'मुख्यमंत्री' मोदी और 'प्रधानमंत्री' मोदी में परिवर्तन आश्चर्यचकित करने वाला है। 19-20 का अंतर हो तब तो चलता है। लेकिन ये अन्तर 12 और 20 जितना है।
ReplyDeleteGM फसलों पर लगभग U टर्न
FDI in Multi Brand में लगभग U टर्न
खाद्य सुरक्षा पर कांग्रेसी रुख
और 'हिंदी' और भारतीय भाषाओँ के पुजारियों का UPSC CSAT पर लगभग आत्मसमर्पण
हम काफी जल्दी में हैं शायद।
ReplyDeleteसमय शायद इस भेद को भुलाने वाला है ... कुछ इंतज़ार करें ...
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