Wednesday, December 22, 2010

भारत और पी-5

पी-5 यानी सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य। इन पाँचं के साथ भारत के रिश्तों की लकीरें इस साल के अंत तक स्पष्ट हो गईं हैं। अमेरिका और यूके का एक धड़ा है, जो राजनैतिक रूप से हमारा मित्र है, अनेक अंतर्विरोधों के साथ। इन दोनों देशों को चीन और युरोपीय संघ के साथ संतुलन बैठाने में हमारी मदद चाहिए। हमें इनके साथ रहना है क्योंकि हमें उच्च तकनीक और पूँजी निवेश की ज़रूरत है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में हमें बैठना है तो इनका साथ ज़रूरी है। अभी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में हमें शामिल होना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता चाहिए, जी-8 के साथ संतुलन चाहिए। इनके साथ ही आस्ट्रेलिया है, जो प्रशांत क्षेत्र में चीन के बरक्स हमारा मित्र बनेगा।


फ्रांस हालांकि पश्चिमी देश है, पर पिछले एक दशक में हम अमेरिकी धड़े के साथ उसकी दूरी देख चुके हैं। उसके अलावा जर्मनी परम्परा से फ्रांस और यूके का प्रतिद्वंदी है। इन दोनों देशों के साथ हमें कारोबारी और सामरिक रिश्ते बनाने हैं।

सुदूर पूर्व में जापान-कोरिया  और दक्षिण पूर्व एशिया में वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर आने वाले वक्त में हमारे बड़े साझीदार बनेंगे। ये देश अमेरिकी प्रभाव वाले हैं। इनके कारण ही हम चीनी राजनेताओं की धुकधुकी बढ़ाते हैं। चीन का यह काफी कमज़ोर पहलू है। मुस्लिम देशों की बिरादरी में टुंकू अब्दुल रहमान के ज़माने से मलेशिया हमारा सबसे बड़ा मित्र होता था। आज भी है। इस वक्त इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण के क्षेत्र में मलेशिया ने काफी बढ़त ले ली है। हमें आने वाले वक्त में काफी भारी निर्माण करने हैं।

इन सब के बाद ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका दो और महत्वपूर्ण देश हैं जो इक्कीसवीं सदी के भारत के विकास में भागीदार बनेंगे। पूरे परिदृश्य को देखें तो बड़ा संतोषजनक सीन है, पर दो चुनौतियाँ हैं। पहली, कि क्या चीन का राजनैतिक रूपांतरण शांतिपूर्ण हो सकेगा? दूसरी, कि क्या भारत अपने देश के सामाजिक विकास को आर्थिक विकास के साथ जोड़ पाएगा? इन दिनों हमारे यहाँ जो राजनैतिक अराजकता है उससे जल्द से जल्द बाहर आना चाहिए। पर लगता नहीं कि अगले चुनाव के पहले हम इससे बाहर निकलेंगे। भाजपा की आज दिल्ली में होने वाली रैली आने वाले वक्त का संकेत करती है। अब रैलियों की बाढ़ आएगी।

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम और अंदरूनी राजनीति को सीधे जोड़कर देख पाना सरल नहीं है, पर गौर करें तो आप पाएंगे कि हम एक बड़े विश्व के नागरिक हैं, जिसमें हजारों साल दूर से चली हवाएं एक रोज हम तक पहुँचतीं हैं। बहरहाल साथ में मेरे नए लेख की कतरन है। पढ़ना चाहें तो इसे क्लिक करें।

1 comment:

  1. आपका निष्कर्ष एकदम सही आंकलन है.वास्तु-स्थिति का तकाजा भी यही है

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