दैनिक भास्कर
और दिल्ली के नवभारत टाइम्स के सकल प्रभाव से भले ही मेरी असहमति है, पर कवरेज में नयापन लाने के लिहाज से ये दो अखबार उल्लेखनीय हैं। भास्कर की रविवारीय पेज 1 की विशेष खबरें पठनीय होती है। रोज के अखबार में कुछ खबरें तस्वीरों के साथ लगाना और खासतौर से दुनिया की रोचक जानकारियाँ देना अच्छा है। हालांकि इसके पीछे अभी तक यह उद्देश्य नजर नहीं आता कि पाठकों की वैश्विक समझ बनाई जाए। मोटी बात मसाला परोसने तक सीमित लगती है। फिर भी इसके बहाने काफी चीजें सामना आ जाती है। नवभारत टाइम्स खासतौर से दिल्ली की रोचक खबरें दे रहा है। और यह अनायास नहीं है, उनके पीछे योजना भी है। अलबत्ता भाषा के मामले में इस अखबार की नीति खोखली है। आज के अखबारों में केजरीवाल की यह चेतावनी महत्वपूर्ण तरीके से परोसी गई है कि मैं किसी भी हद तक जाऊँगा। नवभारत टाइम्स ने आज अन्ना का इंटरव्यू भी छापा है जो समय के साथ मौजूं है। दिल्ली में मणिपुर की लड़की से रेप आज की दूसरी महत्वपूर्ण घटना है। मोदी और राहुल की जवाबी कव्वाली को भी अखबारों ने महत्व दिया है।
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