शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति के ओवल ऑफिस में हुई तनावपूर्ण मुलाकात में, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से समर्थन पाने की मिन्नत की, लेकिन उन्हें मुखर गुस्से और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। यह बैठक अंततः तमाशा साबित हुई, जो इस स्तर के राजनय से मेल नहीं खाता है। दुनिया भर के टीवी पर्दों पर इस मुठभेड़ में संज़ीदगी नज़र ही नहीं आई। इस बैठक ने, जो कभी गरम और कभी नरम में बदलती रही, दोनों के बीच बढ़ती दरार को उजागर कर दिया और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की जटिलता को रेखांकित किया।
इस बैठक में ट्रंप ने बार-बार युद्ध को खत्म करने पर जोर दिया और अमेरिकी भागीदारी पर सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे त्वरित समाधान चाहते हैं, जबकि ज़ेलेंस्की ने चेतावनी दी कि अचानक युद्ध विराम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फिर से हथियारबंद होने और संघर्ष को फिर से भड़काने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की इस बात के लिए दबाव डाला कि शांति समझौता अनिवार्य है। वह भी ऐसी शर्तों पर जो मॉस्को के प्रति बहुत नरम होंगी।
शुक्रवार को ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच हुई मुलाक़ात पारंपरिक राजनय से एकदम अलग थी। यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता और रूस के साथ चल रहे युद्ध को लेकर महीनों तक तनाव के बाद, ज़ेलेंस्की आश्वासन पाने के लिए वाशिंगटन गए थे। ट्रंप रूस और यूक्रेन के बीच समझौते पर मध्यस्थता करने पर अड़े रहे, जिसे उन्होंने ‘सदी का सौदा’कहा है। उन्हें उम्मीद थी कि यह उनकी शर्तों पर होगा।
असली बातचीत शुरू होने से पहले ही ‘टीवी शो’ शुरू हो गया। ट्रंप को उन कैमरों के बारे में अच्छी तरह पता था, जो नेताओं के बीच बहस के दौरान चल रहे थे। दोनों राष्ट्रपतियों के बैठने से पहले ही बैठक में काफ़ी जोश भर गया था। पूर्व अभिनेता ज़ेलेंस्की, राजनीतिक मंच के लिए भी नए नहीं हैं। लेकिन इसबार वे साफ तौर पर गंभीर चिंताओं के साथ ह्वाइट हाउस आए थे।
इस बैठक के पहले लगता था कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की अपनी हालिया आलोचनाओं से पीछे हट गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने ज़ेलेंस्की को तानाशाह कहा था, पर इस बैठक में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की के साथ बेहद तीखे अंदाज़ में बातें कीं और अंततः यूक्रेनी राष्ट्रपति को ह्वाइट हाउस छोड़ने के लिए कहा गया। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई।
सरकार के प्रमुख आमतौर पर कैमरों के सामने बहस नहीं करते, लेकिन इस बैठक में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर ‘तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेलने’ की तोहमत लगाई और कहा कि यूक्रेन के पास रूस के साथ अपने युद्ध में बने रहने के लिए दमखम नहीं है। यह भी जोर देकर कहा कि पुतिन ने ‘मेरे साथ बहुत कुछ सहा है’ क्योंकि आरोप लगा था कि 2016 का चुनाव जीतने में उन्होंने मेरी मदद की थी।
ट्रंप ने इस बैठक के बाद ट्रुथ सोशल पोस्ट के माध्यम से ज़ेलेंस्की पर ‘अमेरिका का अनादर करने’ का आरोप लगाया। इस पोस्ट ने ज़ेलेंस्की के लिए ट्रंप की कृपादृष्टि पुनः प्राप्त करने का द्वार भी खुला छोड़ दिया, यह कहकर कि यूक्रेन जब शांति के लिए तैयार हो, तो उसका स्वागत है। ज़ेलेंस्की भी शायद इस बदमज़गी को मिटाने की कोशिश करेंगे। जाने के कुछ समय बाद, उन्होंने ट्वीट करके शांति की पेशकश की: ‘धन्यवाद अमेरिका, धन्यवाद राष्ट्रपति जी। यूक्रेन भी न्यायपूर्ण और दीर्घकालीन शांति चाहता है।’
हो सकता है कि ये शब्द ट्रंप को शांत करने के लिए पर्याप्त हों या नहीं। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वे और उनके सलाहकार ज़ेलेंस्की के शब्दों को संज़ीदगी और ईमानदारी से पढ़ेंगे या इसे उनकी इस माँग का मज़ाक उड़ाना मानेंगे कि यूक्रेन सार्वजनिक रूप से अमेरिका को उसके समर्थन के लिए धन्यवाद दे।
सवाल है कि अब आगे क्या होगा? ईमानदारी से जवाब यह है कि ट्रंप के अलावा कोई नहीं जानता, और शायद वे भी नहीं जानते। उनका गुस्सा अचानक आया हो सकता है, या फिर सोची-समझी प्रतिक्रिया हो। ट्रंप की शैली, विरोधियों को डराने के लिए भी होती है।
निकट भविष्य में देखने वाली मुख्य बात यह है कि ट्रंप क्या यूक्रेन को भेजे जाने वाले अमेरिकी हथियारों में कटौती करेंगे। उन्होंने दिसंबर में कहा था कि पदभार संभालने के बाद मैं यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता में कटौती कर सकता हूँ। ऐसा अभी तक हुआ नहीं है। रूस के बरक्स यूक्रेन की प्रतिरोधी-क्षमता अमेरिकी हथियारों के प्रवाह पर निर्भर करती है। अगर यह रुकेगा, तो काफी कुछ बदल जाएगा। यूरोप इस कमी को पूरा नहीं कर सकता।
बहरहाल ट्रंप (और वेंस) और ज़ेलेंस्की के बीच का नोक-झोंक ने मीडिया की सुर्खियाँ बटोरी हैं। ट्रंप ने खुद कहा कि आज की बैठक ‘टेलीविज़न के लिए शानदार’ रही। इस बातचीत का परिणाम चाहे जो हो, पर इससे लड़ाई रोकने की कोशिश जटिल हो जाएगी। ऐसा लग रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी शर्तों के अलावा किसी और शर्त पर सहमत नहीं होंगे। ज़ेलेंस्की को ट्रंप की फटकार से पुतिन के इस विश्वास को बल मिलेगा कि अगर वे दृढ़ रहें तो उन्हें वह मिलेगा जो वे चाहते हैं।
इससे अमेरिका की राजनीति पर क्या असर होगा? ट्रंप की पुतिन के बारे में अच्छा सोच होगा, पर ज़्यादातर अमेरिकी लोगों का नहीं है। यूक्रेनियों को रूसी दया पर छोड़ना ट्रंप को उतना ही नुकसान पहुँचा सकता है जितना अफ़गानिस्तान से वापसी में हुई चूक ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को पहुँचाया था।
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