Tuesday, December 28, 2021

क्या है मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी को प्राप्त होने वाले विदेशी दान का मामला


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि 'कुछ प्रतिकूल सूचनाओं के पता चलने के बाद' उसने मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी (एमओसी) के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण से मना कर दिया है। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) का रजिस्ट्रेशन किसी ग़ैर सरकारी संस्था या संगठन को विदेशी फंड या दान पाने के लिए ज़रूरी होता है। एमओसी एक ईसाई ग़ैर सरकारी सेवा संगठन है जिसे नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने स्थापित किया था।

चेन्नई के अखबार द हिन्दू के अनुसार केंद्र सरकार की यह अस्वीकृति एमओसी के वडोदरा स्थित एक चिल्ड्रंस होम के खिलाफ धर्मांतरण से जुड़ी एफआईआर दर्ज होने के बाद आई है। यह एफआईआर गुजरात के संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता कानून-2003 की धारा 295(ए) के तहत गत 12 दिसंबर को दर्ज की गई थी।

अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' के अनुसार, एमओसी का कहना है कि उनके एफसीआरए आवेदन को अनुमति नहीं दी गई है इसलिए हमने अपने केंद्रों को उनसे जुड़े बैंक अकाउंट्स को इस्तेमाल न करने को कहा है। अख़बार के मुताबिक़, 2020-21 के सालाना वित्तीय वर्ष के लिए 13 दिसंबर को फ़ाइल किए गए रिटर्न में एमओसी ने बताया था कि उसे 347 विदेशी लोगों और 59 संस्थागत दाताओं से 75 करोड़ रुपये दान में मिले थे। एफसीआरए अकाउंट में संस्था के पास पिछले साल की 27.3 करोड़ की रक़म पहले से थी और उसका कुल बैलेंस 103.76 करोड़ रुपये है।

कोलकाता में रजिस्टर्ड एनजीओ के पूरे भारत में 250 से अधिक बैंक अकाउंट्स हैं जिनमें उसे विदेश से रक़म मिलती है। मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी के सबसे बड़े दानदाता अमेरिका और ब्रिटेन में हैं जहां से उसे 15 करोड़ से अधिक रक़म मिली। एमओसी इंडिया को यह रक़म प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा सहायता, कुष्ठ रोगियों के इलाज आदि के लिए दी गई क्योंकि संस्था इन्हीं उद्देश्यों पर काम करती है।

ममता का ट्वीट

सोमवार को ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक ट्वीट के बाद मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी ने स्पष्टीकरण जारी किया कि उनका एफसीआरए पंजीकरण रद्द नहीं किया गया है। संस्था ने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय ने उनके बैंक खातों को फ़्रीज़ करने का आदेश नहीं दिया है। संस्था के मुताबिक उन्हें बताया गया है कि उनके विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम यानी एफसीआरए नवीनीकरण आवेदन को स्वीकृति नहीं मिली है।

संस्था ने एक पत्र जारी कर कहा, "हम हमारे शुभचिंतकों की चिंताओं की सराहना करते हैं। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी का एफसीआरए पंजीकरण निलंबित या रद्द नहीं हुआ है। गृह मंत्रालय ने संस्था के बैंक खातों को फ़्रीज़ करने के आदेश भी नहीं दिए हैं।"

"हमें बताया गया है कि हमारा एफसीआरए नवीनीकरण आवेदन स्वीकार नहीं किया गया है. इसलिए, किसी तरह की चूक ना हो ये सुनिश्चित करने के लिए हमने अपने केंद्रों से मामला सुलझने तक विदेशी अंशदान (एफसी) खाते संचालित ना करने के लिए कहा है।"

इसके पहले ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, "यह जानकार हैरत में हूं कि केंद्र सरकार ने क्रिसमस के मौके पर मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी के सभी बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया है।…उनके 22 हज़ार मरीज और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं से मरहूम कर दिया गया है। क़ानून सबसे ऊपर है लेकिन मानवीय प्रयासों को भी नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान में कहा था कि उसने 25 दिसंबर को शर्तें पूरी न होने पर लाइसेंस नवीनीकरण से इनकार कर दिया है और 'इनकार करने पर उसकी समीक्षा के लिए एमओसी की ओर से कोई आवेदन नहीं मिला है।' इसमें कहा गया है कि एफसीआरए लाइसेंस 31 अक्तूबर तक वैध था लेकिन इस संगठन के अलावा बाक़ी संगठनों के लाइसेंस को भी 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

धारा 13 का सहारा

इंडियन एक्सप्रेस में रितु सरीन ने लिखा है कि गृह मंत्रालय अक्सर एफसीआरए की धारा 13 का सहारा लेकर स्वयंसेवी संगठनों के विदेशी अनुदान पर रोक लगाता है। धारा 13 के तहत हरेक बार निलंबन 180 दिन तक लागू रहता है। कॉमनवैल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआई) के मामले में निलंबन की कार्रवाई एनजीओ के पंजीकरण के रद्द होने तक के लिए हुई है। सीएचआरआई के विदेशी अभिदान (फॉरेन कंट्रीब्यूशन) को लगभग छह महीने पहले निलंबित किया गया था, जिसके बाद नागरिक अधिकारों से जुड़े इस ग्रुप ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की। चूंकि धारा 13 में निलंबन की अवधि 180 दिन है, इसलिए दूसरा निलंबन आदेश जारी हुआ है। सीएचआरआई के मामले में यह कार्रवाई एफसीआरए पंजीकरण के रद्द होने तक के लिए हुई है।

सीएचआरआई के डायरेक्टर संजॉय हज़ारिका ने कहा, निलंबन का मतलब है संगठन को प्राणवायु से वंचित करना। सीएचआरआई के पीछे पुलिस और कारागार सुधार तथा आरटीआई जैसे क्षेत्रों में विकास से जुड़ा 25 वर्ष का काम है, जिसके लिए इस संगठन ने निलंबन आदेश को चुनौती देने के बावजूद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), सेंट्रल इनफॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) जैसे सरकारी तथा स्वतंत्र हितधारकों के साथ मिलकर काम किया है।

हाल में एफसीआरए से जुड़े आदेशों को देखने से पता लगता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का एफसीआरए मॉनिटरिंग सेल निलंबन के रास्ते का इस्तेमाल करता है, जबकि 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने नागरिक अधिकारों से जुड़े संगठन इंडियन सोशल एक्शन फोरम (आईएनएसएएफ) के निलंबन को रद्द किया था। सीएचआरआई का केस यह है कि उन्हें निलंबन के पहले कारण बताओ नोटिस प्राप्त नहीं हुआ। सन 2013 के आईएनएसएएफ के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस वीके जैन ने कहा था कि ऐसे कारण (कथित अनियमितता) बाहरी साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं। कारण पता नहीं होने पर संगठन द्वारा निलंबन को चुनौती देना संभव नहीं होता। सीएचआरआई के निलंबन के पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल, लॉइयर्स कलेक्टिव, ग्रीनपीस इंडिया और फोर्ड फाउंडेशन जैसे प्रमुख संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस निलंबित या रद्द हुए थे।

हजारों लाइसेंस रद्द

गृह मंत्रालय ने 20,000 से ऊपर संगठनों को एफसीआरए लाइसेंस दिए हैं। मार्च 2020 में सरकार ने लोकसभा को सूचित किया कि तीन वर्ष से कुछ ज्यादा अवधि में 6,676 संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए गए हैं। निलंबित संगठनों की संख्या नहीं दी गई थी। सितंबर 2021 में एफसीआरए शोधकर्ता वेंकटेश नायक को प्राप्त आरटीआई जानकारी के अनुसार करीब दो वर्ष में 20 निलंबन हुए हैं और कैंसिलेशन कोई नहीं हुआ है। इन 20 आदेशों में से पाँच मामलों में एक ही संगठन को दूसरी बार निलंबन का नोटिस दिया गया था।  

हाल के निलंबन आदेशों में जो कारण बताए गए हैं, वे मिलते-जुलते हैं। मसलन छह मामलों में जो कारण बताए गए हैं उनमें संगठन द्वारा रियल एस्टेट, भूमि की खरीद और फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश शामिल है। दूसरे मामलों में धन का इस्तेमाल नहीं करना या एफसीआरए अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए एकाउंटों में घरेलू और विदेशी पैसे को मिलाना शामिल है। दो मामलों में निलंबन का कारण धर्मांतरण के लिए विदेशी पैसे का इस्तेमाल मस्जिद का निर्माण बताया गया है, जो नियमानुसार वर्जित है। एक मामले में संगठन के सेक्रेटरी और प्रशासक के विरुद्ध यौन-दुराचार का आरोप लगने का कारण है। केवल चार मामलों में कारण बताओ नोटिस का उल्लेख है।

सीएचआरआई के मामले में मंत्रालय ने एफसीआरए कानून की धारा 14(डी) का इस्तेमाल भी किया है। इसके अनुसार कानून के किसी भी उपबंध का उल्लंघन करने पर एफसीआरए सर्टिफिकेट रद्द किया जा सकता है। हाल के दो अन्य मामलों में धर्मांतरण के आरोप हैं। पहला, फरीदाबाद के एक एनजीओ मेवात ट्रस्ट फॉर एजुकेशनल वेलफेयर और दूसरा लखनऊ के अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन का मामला है।

 

No comments:

Post a Comment