Tuesday, December 7, 2021

पुतिन की यात्रा से स्थापित हुआ भारतीय विदेश-नीति का संतुलन


भारत की संक्षिप्त-यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और आतंकवाद तथा नशे के कारोबार के खिलाफ भारत की मुहिम को अपना समर्थन भी व्यक्त किया। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, नौ समझौते दोनों सरकारों के बीच जबकि शेष बिजनेस टू बिजनेस समझौते हुए। दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीक सहयोग समझौते का भी 2021-2031 तक के लिए नवीकरण हो गया है।

मोदी-पुतिन के बीच हुई बातचीत के बाद जारी बयान में बताया गया कि बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई और वहां शांति को लेकर रणनीति पर बात की गई। बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई। बैठक में कट्टरता से निपटने और अफगानिस्तान को आतंकियों का पनाहगाह नहीं बनने देने को लेकर भी बातचीत हुई।

टू प्लस टू वार्ता

इसके अलावा दोनों देशों के बीच पहली टू प्लस टू वार्ता भी हुई। रक्षा-समझौते हुए, पर रेसिप्रोकल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (रेलोस) नहीं हो पाया, जिसे लेकर विशेषज्ञों की काफी दिलचस्पी थी। ऐसे चार समझौते भारत और अमेरिका के बीच हो चुके हैं। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसे फिलहाल स्थगित किया जा रहा है, क्योंकि अभी कुछ मसले बाकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख पर अपने पक्ष को स्पष्ट किया वहीं रूस ने यूक्रेन की स्थिति पर अपने पक्ष को व्यक्त किया। यूक्रेन को लेकर भी भारत को वैश्विक मंच पर अपना मत स्पष्ट करना होगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भी दोनों देशों के मतभेद स्पष्ट हैं।

भारतीय मीडिया में इस आशय की खबरें भी हैं कि रूस ने एस-400 मिसाइल सिस्टम डील पर भारत की अमेरिका को खरी-खरी सुनाने पर तारीफ की है, पर व्यावहारिक सच यह है कि भारत किसी भी प्रभाव-क्षेत्र के दबाव में आना नहीं चाहेगा और अपनी नीतिगत-स्वायत्तता को बनाकर रखना चाहेगा। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि भारत रक्षा-तकनीक के मामले में रूस पर अपना आश्रय कम करता जाएगा। आज की स्थिति में पूरी तरह अलगाव संभव नहीं है। इसे जारी रखने में दोनों देशों का हित है।

आर्थिक-सहयोग

दोनों देशों के आर्थिक-रिश्तों में काफी सुधार की संभावनाएं हैं। भारत ने रूस के ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में भाग लेना शुरू किया है और वहाँ निवेश की संभावनाएं नजर भी आ रही हैं। राजनयिक मामलों में रूस का झुकाव चीन की तरफ है, जो रिश्तों की तराजू में असंतुलन पैदा करेगा। टू प्लस टू वार्ता के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीनी गतिविधियों का हवाला देकर रूस के सामने अपनी स्थिति भी स्पष्ट कर दी।

अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बाद भी भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डील को अंजाम दिया था। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार कहा कि हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्ट और दृढ़ता से समझाया कि वे एक संप्रभु देश हैं और वे तय करेंगे कि किसके हथियार खरीदने हैं और कौन इस और अन्य क्षेत्रों में भारत का भागीदार बनने जा रहा है।

एके-203 राइफलें

सबसे महत्वपूर्ण करार इंडिया-रशा राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरपीएल) के माध्यम से 6,01,427 एके-207 राइफलों के निर्माण को लेकर है। भारत और रूस ने उत्तर प्रदेश के अमेठी में छह लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलों के संयुक्त निर्माण के लिए एक समझौते पर सोमवार को हस्ताक्षर किए और दस वर्ष के लिए सैन्य सहयोग पर एक अन्य करार भी किया। भारतीय सशस्त्र बलों के लिए राइफलों का निर्माण करीब 5000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इन समझौतों पर भारत रूस अंतर सरकारी सैन्य एवं सैन्य तकनीक संबंधी आयोग (आईआरजीसी-एमएंडएमटीसी) की 20वीं बैठक के दौरान समझौते किए गए। बैठक की सह-अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं उनके रूसी समकक्ष जनरल सर्गेई शोइगू ने की।

रूसी राइफ़ल एके-203 की ख़रीद को लेकर भारत और रूस के बीच 2019 में ही सहमति हो गई थी मगर इस पर अंतिम मुहर रुसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे के समय लगी है। रक्षा जनरल जेन्स डिफेंस वीकली की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के बीच रॉयल्टी के भुगतान को लेकर बात अटकी हुई थी जिसे अब सुलझा लिया गया है। एके-203 राइफलों का निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले के कोरवा क़स्बे में इंडो रशियन प्राइवेट लिमिटेड (आईआरपीएल) की फैक्ट्री में किया जाएगा। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष कोरवा ऑर्डनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया था। भारत सरकार इस राइफ़ल सौदे को देश के भीतर ही रक्षा सामग्रियों के निर्माण के लिए एक उत्साहवर्धक फ़ैसला बता रही है। जेन्स[pj1]  डिफ़ेंस वीकली ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि कंपनी को उत्पादन शुरू होने के 18 महीने के भीतर राइफलों के सभी पुर्जों को स्थानीय तौर पर ही हासिल करना होगा।

आईआरपीएल को पहले सरकारी संस्था ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) संचालित करती थी मगर उसे सितंबर में भंग कर दिया गया। अब इसे ओएफबी से निकली दो नई सरकारी कंपनियाँ-एडवांस्ड वैपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड-चला रही हैं। आईआरपीएल में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 50.5% होगी। निर्माता कंपनी कलाश्निकोव का शेयर 42% होगा जबकि रूसी रक्षा निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का शेष 7.5% हिस्से पर अधिकार होगा।

विदेशमंत्रियों की बैठक

रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव और विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी सोमवार को बैठक की। बैठक के दौरान डॉ एस जयशंकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह हमारी चौथी बैठक है, जो भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। आज हमारे पास न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक स्थिति पर चर्चा करने का अवसर है बल्कि हम पहली 2+2 बैठक में भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे लिए वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन विशेष परिघटना है। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन विश्वास का रिश्ता साझा करते हैं। हम शिखर सम्मेलन से बहुत ही महत्वपूर्ण परिणामों की आशा कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आज की वार्ता बहुत फलदायी होगी।

 

 


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2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-12-2021) को चर्चा मंच          "निमित्त है तू"   (चर्चा अंक 4272)     पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. सामयिक प्रकरण ।सराहनीय।

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