Friday, April 23, 2021

मेडिकल-ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ेगी


कोरोना की दूसरी लहर और स्वास्थ्य-प्रणाली को लेकर उठे सवालों के परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार सक्रिय हुई है। कल प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में बैठकों में भाग लिया और आज भी बैठकें हो रही हैं। संकट की इस स्थिति में गुरुवार को प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करके अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया जाए। इस बीच गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप करके राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन की वितरण योजना का ठीक से पालन करें। प्रधानमंत्री आज भी कोविड-19 की स्थिति पर अधिकारियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। 

कोरोना की दूसरी लहर का तेज हमला एक तरफ से हो ही रहा था कि अस्पतालों में बिस्तरे कम होने और वेंटीलेटरों और ऑक्सीजन की कमी की खबरें आने लगीं। ऑक्सीजन की कमी खासतौर से चार राज्यों, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और गुजरात से सुनाई पड़ी। ये चारों राज्य राजनीति दृष्टि से भी संवेदनशील हैं। महामारी के दौर में प्राणवायु की इस किल्लत ने त्राहि-त्राहि मचा दी है। इसबार के संक्रमण में सबसे ज्यादा परेशानी साँस को लेकर है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी तेजी से होने लगती है। ऐसे में ऑक्सीजन देने की जरूरत होती है।

जो लोग घरों में रहकर इलाज करा रहे हैं, उनके लिए ऑक्सीजन के भारी सिलेंडरों का इंतजाम करना यों भी आसान नहीं था, पर जब सिलेंडर मिलना भी दूभर हो गया तो संकट ने भयावह शक्ल ग्रहण कर ली। चारों तरफ चीत्कार मचने लगा। सारी दुनिया में भारत की तस्वीरें मीडिया पर दिखाई जाने लगीं। चूंकि व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की है, इसलिए सबने सरकार से गुहार लगाई। 

माँग और आपूर्ति के नजरिए से देखें, तो सबसे बड़ा धक्का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को लगा, जहाँ ऑक्सीजन की प्रतिदिन की माँग के मुकाबले 220 मीट्रिक टन की कमी हो गई है और उत्तर प्रदेश में 47 मीट्रिक टन की। गुजरात में 25 और हरियाणा में 18 टन की कमी है। शेष राज्यों में आपूर्ति और माँग में तर नहीं है।

उन्होंने गुरुवार को कैबिनेट सचिव, गृह तथा स्वास्थ्य सचिव के साथ भी बात की। उसके बाद गृह-मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तह आदेश जारी किया कि कोई भी राज्य दूसरे राज्य की सप्लाई रोक नहीं सकेगा। राज्यों के बीच मेडिकल-ऑक्सीजन के परिवहन पर किसी प्रकार के प्रतिबंध लगाए नहीं जा सकेंगे और परिवहन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए कि वे ऑक्सीजन लेकर जा रहे वाहनों के निर्बाध अंतर-राज्य आवागमन को सुनिश्चित करें। इस कार्य के लिए जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को व्यक्तिगत रूप से इसे लागू करने के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।  

प्रधानमंत्री को यह जानकारी भी दी गई के 20 राज्यों ने 6,785 मीट्रिक टन प्रतिदिन की अभूतपूर्व कुल माँग रखी है, जिसे देखते हुए केंद्र ने 21 अप्रेल से 6,882 मीट्रिक टन प्रतिदिन की स्वीकृति दी है। 

ऐसा नहीं कि सरकार को इस संकट का अनुमान नहीं था। दस्तावेजों से पता लगता है कि एक हफ्ते के भीतर 12 राज्यों में ऑक्सीजन की माँग में 18 फीसदी की वृद्धि हो गई थी। गत 15 अप्रेल को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा था कि 12 राज्यों ने 20 अप्रेल के लिए ऑक्सीजन की जिस सम्भावित आवश्यकता जताई है, वह 4,880 मीट्रिक टन की है। ये 15 राज्य हैं दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, केरल, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र। इन 12 राज्यों में देश के 83 फीसदी कोविड-19 के मामले हैं।

वस्तुतः यह जरूरत इससे भी ज्यादा थी। गत 21 अप्रेल को स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव निपुण विनायक ने अपने पत्र में इन 12 राज्यों की कुल माँग 5,760 मीट्रिक टन प्रतिदिन की बताई। इन 12 में दिल्ली और उत्तर प्रदेश की माँग और ज्यादा हो गई। खासतौर से चार राज्यों में माँग और आपूर्ति में अंतर आ गया। इससे संकट और गम्भीर हो गया। उधर खबरें आईं कि कुछ राज्य अपने यहाँ से ऑक्सीजन बाहर जाने से रोक रहे हैं।


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