Tuesday, April 20, 2021

ईरान और सऊदी वार्ता से पश्चिम एशिया में माहौल सुधरने की सम्भावना

 


पश्चिम एशिया में दो परम्परागत प्रतिस्पर्धी सऊदी अरब और ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच करीब पाँच साल बाद पहली बार सीधी बात हुई है। बताया जा रहा है कि इराक की राजधानी बग़दाद में हुई इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने पर विमर्श हुआ। दोनों देशों ने करीब पाँच साल पहले अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए थे।

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बग़दाद में इसी महीने हुई इस बैठक में लंबे अंतराल के बाद पहली बार गंभीर बातचीत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सऊदी अरब की ओर से इस वार्ता का नेतृत्‍व खुफिया प्रमुख खालिद बिन अली अल हुमैदान ने किया। बातचीत की पहल इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल क़दीमी ने की है। इस खुफिया बैठक के बारे में सऊदी अरब ने कोई टिप्पणी नहीं की है। ईरानी वैबसाइट पार्सटुडे ने फाइनेंशियल टाइम्स का हवाला देते हुए इस खबर को प्रकाशित जरूर किया है, पर ईरान सरकार ने फौरन कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी।

बाद में इसी वैबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में ईरान के विदेश विभाग के प्रवक्ता सईद ख़तीबज़ादे ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब के मध्य वार्ता दोनों देशों के लोगों के हित में है और वह क्षेत्रीय शांति व सुरक्षा में मददगार बनेगी। उन्होंने इराक़ में ईरान और सऊदी अरब की वार्ता की रिपोर्टों के बारे में कहा कि हमने संचार माध्यमों में देखा कि इस बारे में विरोधाभासी ख़बरें प्रकाशित हुई हैं। सऊदी अरब के साथ वार्ता का ईरान स्वागत करता है और यह चीज़ दोनों देशों के लोगों के हित में है।

इराकी पहल

इराक़ी प्रधान मंत्री अल-काज़मी ने सऊदी शाह सलमान के निमंत्रण पर पिछले महीने रियाज़ का दौरा किया था, जहां इस वार्ता का ख़ाका तैयार किया गया था। इस रिपोर्ट में एक इराक़ी अधिकारी के हवाले से उल्लेख किया गया है कि बग़दाद ने ईरान-मिस्र और ईरान-जॉर्डन के बीच संपर्क का एक चैनल स्थापित किया है। हाल में सऊदी विदेश मंत्री ने कहा था कि विश्वास बढ़ाने के लिए खाड़ी के अरब देशों से वार्ता हो सकती है। इस रिपोर्ट में एक इराक़ी अधिकारी के हवाले से उल्लेख किया गया है कि बग़दाद ने ईरान-मिस्र और ईरान-जॉर्डन के बीच संपर्क का एक चैनल स्थापित किया है।

सऊदी अरब और ईरान के बीच यह बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर फिर से बातचीत शुरू करना चाहते हैं। उनकी कोशिश पश्चिम एशिया में तनाव को घटाने की है। सऊदी अरब ईरान दोनों देश इस समय किसी न किसी परेशानी से घिरे हैं। ईरान पर अमेरिका ने तमाम तरह की पाबंदियाँ लगा रखी हैं, वहीं सऊदी अरब यमन में बुरी तरह से फँसा हुआ है और यहां उसे ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों से जूझना पड़ रहा है।

हूती विद्रोही सऊदी अरब के तेल ठिकानों और शहरों पर अक्‍सर हवाई हमले करते रहते हैं। इस साल हूती विद्रोहियों ने दर्जनों मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं जिससे सऊदी अरब को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। माना जा रहा है कि सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान ने बाइडेन प्रशासन से समर्थन हासिल करने के लिए यह कदम उठाया है। दोनों देश अपने आर्थिक विकास के नए रास्ते खोज रहे हैं।

बाइडेन की कोशिश

बाइडेन ने सऊदी अरब के साथ संबंधों की समीक्षा करने और यमन में युद्ध को खत्म करने का वादा किया है। इसी दिशा में सऊदी अरब और ईरान के अधिकारियों में 9 अप्रैल को बातचीत हुई है। इस दौरान हूती विद्रोहियों के हमले पर चर्चा भी हुई। खास बात यह है कि ये खबरें ऐसे समय में आ रही हैं, जब वाशिंगटन और तेहरान के बीच 2015 के परमाणु समझौते को लेकर वार्ता आगे बढ़ रही है। इसका सऊदी अरब विरोध भी कर चुका है।

सऊदी अरब चाहता है कि यमन के संघर्ष पर भी बातचीत हो। सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में 2018 में परमाणु समझौते से अलग होने का समर्थन किया था। वर्ष 2008 में दोनों देशों के बीच संबंध इतने तल्ख़ हो गए थे कि सऊदी ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने पर भी अपनी सहमति दी थी।

इस वार्ता पर पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि सन 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से तेहरान और रियाद के रिश्तों में तल्ख़ी आ गई है। इससे समूचे मुस्लिम-संसार में तल्ख़ी और संकीर्णता बढ़ी है। सन 1979 के पहले दोनों देश अमेरिकी खेमे में थे, पर 1979 में ईरानी शाह के पतन के बाद ईरान ने क्रांति के निर्यात का एक मॉडल अपनाया, जो अरब देशों के राजतंत्र के मुआफिक नहीं बैठता था। करीब चार दशक बाद भी रिश्ते तल्ख़ ही हैं। दोनों के बीच इराक, यमन, सीरिया और लेबनॉन में छाया-युद्ध लड़े जा रहे हैं। बहरहाल दोनों देशों के बीच एक दूसरे के अस्तित्व को स्वीकार करने पर सहमति फिर भी सम्भव है, जो इराक में हुई इस वार्ता से रेखांकित हो रही है।

 

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