Thursday, February 2, 2017

आर्थिक सुधारों और ग्रामीण विकास पर केंद्रित बजट

इस बजट को देश के चमत्कारिक बदलाव का बजट माना जा सकता है. एक दिन पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा ने बताया था कि इस साल खेती में 4.1 प्रतिशत की दर से संवृद्धि की उम्मीद है. इसके पीछे बेहतर मॉनसून का हाथ भी है. फसल का रकबा भी बढ़ने की सूचनाएं हैं. यानी ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ रहीं है. हालात ठीक रहे तो अगले साल खेती की विकास दर 6 फीसदी होगी. कुछ साल पहले हमारी कृषि विकास दर गिरते-गिरते शून्य तक पहुँचने जा रही थी.
मोदी सरकार की घोषणा है कि सन 2022 तक हम देश के किसानों की आय दुगनी करेंगे. इसके लिए ग्रामीण जीवन में बदलाव लाने की जरूरत होगी. सरकार ने कांट्रैक्ट खेती के कानून में बदलाव करने की घोषणा की है. फसल बीमा योजना में कवरेज को 40 फीसदी बढ़ाया गया है. सॉयल हैल्थ कार्ड के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में मिनी लैब्स बनाने का प्रावधान किया है ताकि किसान वहां जाकर अपनी खेती की जमीन की मिट्टी का टेस्ट कर सकें.

मनरेगा में अब तक का सबसे बड़ी रकम 48,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. मनरेगा का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में आधार संरचना को खड़ा करने में भी किया जा रहा है. इस साल इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पाँच लाख तालाब तैयार किए गए. अगले साल भी इतने ही तालाब बनाने की योजना है. ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का दूसरा महत्वपूर्ण कार्यक्रम है प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जिसके लिए 19,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. इसमें राज्यों की धनराशि को भी जोड़ दें तो पूरी धनराशि 27,000 करोड़ रुपये होती है. सरकार ने मार्च 2018 तक हरेक गाँव में बिजली पहुँचाने और 50,000 गाँवों को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करने की घोषणा भी की है.
यह बजट मूलतः आर्थिक सुधारों और ग्रामीण विकास पर केंद्रित है. देश में विदेशी पूँजी निवेश बढ़ा है. सरकार ने इस बजट में फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को खत्म करने की घोषणा करके विदेशी निवेशकों को संदेश दिया है कि लालफीताशाही का घेरा हटाया जा रहा है. भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी के रूप में सामने आ चुका है.
नोटबंदी ने लोगों की परेशानियाँ जरूर बढ़ाईं, पर उसने कुछ बातों पर से पर्दा हटाया है. देश के मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा टैक्स देकर अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं करता है. वित्तमंत्री ने बताया कि आयकर रिटर्न को देखते हुए सालाना पाँच लाख रुपये से ज्यादा आय पाने वाले व्यक्तियों को संख्या केवल 76 लाख है, जिनमें से 56 लाख लोग वेतन भोगी है. ऐसा संभव नहीं कि केवल 20 लाख ही इस दायरे में हैं जो अपना व्यवसाय करते हैं. यह संख्या इतनी कम नहीं हो सकती.
नोटबंदी के बाद राहत के रूप में वित्तमंत्री ने सबसे निचले स्तर पर आयकर को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया है. इससे निम्न मध्यवर्ग को राहत मिलेगी साथ ही उन लोगों को टैक्स दायरे में आने का मौका मिलेगा जो अभी इससे बाहर हैं. नोटबंदी के बाद बैंकों में जिन लोगों ने नकदी जमा की है, उनमें से काफी नए लोग टैक्स के दायरे में आएंगे. सरकार ने तीन लाख से ऊपर के नकद लेन-देन को पूरी तरह रोकने की घोषणा की है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और इसके समांतर बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी को सहारा मिलेगा. दोनों बातें एक-दूसरे की पूरक है.
सरकार को श्रेय दिया जा सकता है कि उसने राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाने के काम में पहल की है. अभी तक 20,000 रुपये तक के चंदे का विवरण आयकर विभाग को नहीं देना पड़ता था. हाल में चुनाव आयोग ने सलाह दी थी कि इसे 2,000 रुपये कर दिया जाए. हालांकि यह समस्या का समाधान नहीं है, पर एक बड़ा कदम है. इसी तरह सरकार ने आर्थिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए नया कानून लाने की घोषणा भी बजट में की है.
सरकार ने कम्पनी कर में किसी प्रकार की छूट नहीं दी है, पर लघु और मध्यम उद्योगों को पाँच फीसदी की राहत देकर एक ऐसे क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोशिश की है, जो आने वाले वक्त में अर्थ-व्यवस्था को गति देने में सबसे ज्यादा मददगार होगा. रोजगार बढ़ाने में भी इसकी बड़ी भूमिका होगी. उत्पाद कर और अन्य अप्रत्यक्ष करों में सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है, क्योंकि उसका कहना है कि हम जीएसटी लागू करने जा रहे हैं, जिसमें सारे अप्रत्यक्ष कर आ जाएंगे.
पूँजीगत व्यय में 25.4 फीसदी की भारी वृद्धि करके सरकार ने बड़े स्तर पर निर्माण कार्यों में सरकारी निवेश का रास्ता खोला है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर 3,96,135 करोड़ रुपये का आबंटन जितना बड़ा फैसला है, उसपर विशेषज्ञों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है. देश में इतने बड़े स्तर पर निर्माण पर निवेश पहले कभी नहीं हुआ. इस निवेश के व्यावहारिक अर्थ को समझने की कोशिश करनी चाहिए. सड़कों, पुलों, भवनों, बिजली की लाइनों और रेल लाइनों के निर्माण से विकास की गाड़ी तेज होगी.
बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को रोजगार मिलेगा, जो निर्माण कार्यों से जुड़े हैं. इससे उस ट्रांजीशन की रचना भी होगी, जो देश को ग्रामीण व्यवस्था से शहरी व्यवस्था में लाएगा. इसके अलावा बड़ी तादाद में सहायक उद्योगों का निर्माण होगा. इस आधार संरचना का काफी बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्गों के रूप में है, जिसके लिए 64,000 करोड़ रखे गए हैं. वहीं 3900 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइनें बनाने का लक्ष्य भी है. पीपीपी मॉडल के तहत छोटे शहरों में एयरपोर्ट बनाए जाएंगे.
इस बजट में रेलवे बजट भी शामिल है. इस साल रेलवे पर व्यय में 22 फीसदी की वृद्धि की गई है. रेलवे ने सन 2019 तक सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अपने सामने रखा है. ऐसा ही लक्ष्य है 2020 तक सभी मानव रहित क्रॉसिंग खत्म करने का कार्यक्रम. रेल सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाने की योजना भी सरकार ने घोषित की है. डिजिटल अर्थ-व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिहाज से रेलवे ने ई-टिकट पर सर्विस चार्ज खत्म करने की घोषणा की है.

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