Sunday, October 8, 2023

जातियों का मसला, समस्या या समाधान


बिहार में जातियों की जनगणना के नतीजे आने के बाद देश में जातिगत-आरक्षण की बहस फिर से तेज होने जा रहा है, जिसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। सर्वेक्षण का फायदा गरीब, पिछड़ों और दलितों को मिले या नहीं मिले, पर इसका राजनीतिक लाभ सभी दल लेना चाहेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर जाति-जनगणना की माँग और शिक्षा तथा नौकरियों में आरक्षण की 50 फीसदी की कानूनी सीमा पर फिर से विचार करने की माँग जोर पकड़ेगी। न्यायपालिका से कहा जाएगा कि आरक्षण पर लगी कैप को हटाया जाए। हिंदुओं के व्यापक आधार तैयार करने की मनोकामना से प्रेरित भारतीय जनता पार्टी और ओबीसी, दलितों और दूसरे सामाजिक वर्गों के हितों की रक्षा के लिए गठित राजनीतिक समूहों के टकराव का एक नया अध्याय अब शुरू होगा। 

यह टकराव पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। इसके सकारात्मक पहलू भी हैं। यह जानकारी भी जरूरी है कि हमारी सामाजिक-संरचना वास्तव में है क्या। सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार की 13 करोड़ आबादी के 63 फीसदी हिस्से का ताल्लुक अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की श्रेणियों में शामिल की गई जातियों से है। इसमें लोगों के सामाजिक-आर्थिक विवरण भी दर्ज किए गए हैं, लेकिन वे अभी सामने नहीं आए हैं। उधर गत 31 जुलाई को रोहिणी आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। हालांकि उसकी सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है, पर उसके निहितार्थ महत्वपूर्ण होंगे। जो स्थिति अगड़ों की थी, वह अब पिछड़ों में अगड़ों की होगी। इससे एक नई राजनीति जन्म लेगी। बिहार का डेटा उसकी तरफ इशारा कर रहा है।  

Wednesday, October 4, 2023

मालदीव में राजनीतिक-परिवर्तन के मायने


मालदीव में राष्ट्रपति पद के चुनाव में चीन-समर्थक मुहम्मद मुइज़्ज़ू की विजय का हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय रणनीति पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह कुछ समय बाद स्पष्ट होगा, पर आमतौर पर माना जा रहा है कि प्रभाव पड़ेगा ज़रूर. नए राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज़्ज़ू ने पहली घोषणा यही की है कि मैं देश में तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वायदे को पूरा करूँगा. अलबत्ता पिछले कुछ वर्षों का अनुभव कहता है कि हालात 2013 से 2018 के बीच जैसे नहीं बनेंगे. देश की नई सरकार भारत और चीन के बीच संतुलन बनाकर चलना चाहेगी.

यह चुनाव मुइज़्ज़ू के 'इंडिया आउट' और इब्राहिम सोलिह के इंडिया फर्स्ट के बीच हुआ था, जिसमें मुइज़्ज़ू को जीत मिली. दोनों देशों में मालदीव पर अपने असर को लेकर अरसे से होड़ चल रही है. चुनाव का यह नतीजा भारत और चीन से मालदीव के रिश्तों को एक बार फिर परिभाषित करेगा.

पिछले पाँच साल से वहाँ भारत-समर्थक सरकार थी, पर अब चीन फिर से वहाँ की राजनीति में अपने पैर जमाएगा. इस दौर में चीन को वैसी ही सफलता मिलेगी या नहीं, अभी कहना जल्दबाजी होगी. चीन के कर्जों को लेकर हाल के वर्षों में बांग्लादेश, श्रीलंका और यहाँ तक कि पाकिस्तान में भी विरोध हुआ है. क्या मालदीव इस बात से बचा रहेगा?

Saturday, September 30, 2023

मालदीव के चुनाव में भारत बनाम चीन

सोलिह और मुइज़्ज़ु

दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बनाने की भारतीय कोशिशों में सबसे बड़ी बाधा चीन की है. पाकिस्तान के अलावा उसने बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और मालदीव में काफी पूँजी निवेश किया है. पूँजी निवेश के अलावा चीन इन सभी देशों में भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम भी करता है.

इसे प्रत्यक्ष रूप से हिंद महासागर के छोटे से देश मालदीव में देखा जा सकता है. चीन अपनी नौसेना को तेजी से बढ़ा रहा है. वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस जगह पर अपनी पहुंच बनाना चाहेगा, उसे भारत रोकना चाहता है. चीन यहां अपनी तेल आपूर्ति की सुरक्षा चाहता है, जो इसी रास्ते से होकर गुजरता है.

आज मालदीव में राष्ट्रपति पद की निर्णायक चुनाव है, जिसे भारत और चीन की प्रतिस्पर्धा के रूप में देखा जा रहा है. करीब 1,200 छोटे द्वीपों से मिल कर बना मालदीव पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना है. यहां के बीच दुनिया के अमीरों और मशहूर हस्तियों को पसंद आते हैं. सामरिक दृष्टि से भी हिंद महासागर के मध्य में बसा यह द्वीप समूह काफी अहम है, जो पूरब और पश्चिम के बीच कारोबारी जहाजों की आवाजाही का प्रमुख रास्ता है.

चीन-समर्थक मुइज़्ज़ु

चुनाव में आगे चल रहे मोहम्मद मुइज़्ज़ु की पार्टी ने पिछले कार्यकाल में चीन से नजदीकियां काफी ज्यादा बढ़ा ली हैं. चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए खूब सारा धन बटोरा गया. 45 साल के मुइज़्ज़ु माले के मेयर रहे हैं. पिछली सरकार में मालदीव के मुख्य एयरपोर्ट से राजधानी को जोड़ने की 20 करोड़ डॉलर की चीन समर्थित परियोजना का नेतृत्व उन्हीं के हाथ में था.

मालदीव में चीन के पैसे से बनी इसी परियोजना की सबसे अधिक चर्चा है. यह 2.1 किमी लंबा चार लेन का एक पुल है. यह पुल राजधानी माले को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ता है. यह हवाई अड्डा एक अलग द्वीप पर स्थित है. इस पुल का उद्घाटन 2018 में किया गया था. उस समय यामीन राष्ट्रपति थे.

9 सितंबर को हुए पहले दौर में उन्हें 46 फीसदी वोट मिले. दूसरी तरफ निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 39 फीसदी वोट ही मिल सके. सोलिह ने भारत से रिश्तों को सुधारने में अपना ध्यान लगाया था.

Thursday, September 28, 2023

भारत-कनाडा रिश्ते और अमेरिका की भूमिका

ग्लोबल टाइम्स में कार्टून

भारत-कनाडा रिश्तों में बढ़ती तपिश अब भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी पड़ेगी। भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में परोक्ष रूप से कनाडा और पश्चिमी देशों के पाखंड का उल्लेख करते हुए कहा है कि हर बात की एक पृष्ठभूमि भी होती है। उसे भी समझें। वस्तुतः पश्चिमी देश हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपों का जिक्र तो कर रहे हैं, पर इन देशों में चल रही भारत-विरोधी गतिविधियों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं।

आज जयशंकर की मुलाकात अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन से होगी। जयशंकर ने कहा है कि हमारी नीति इस किस्म की हत्याएं कराने की नहीं है। हमारे सामने ठोस तथ्य रखे जाएंगे, तभी हम कुछ कह पाएंगे। उधर अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा है कि हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। बहरहाल लगता यह है कि अमेरिका अपनी चीन-विरोधी रणनीति में भारत का इस्तेमाल करना चाहता है, पर इस मामले में अमेरिकी इंटेलिजेंस ने ही कनाडा को कुछ जानकारियाँ दी हैं। सवाल है कि क्या अमेरिका डबल गेम खेल रहा है? यह कहा जा रहा है कि जी-20 की बैठक के दौरान अमेरिका ने भी नरेंद्र मोदी के सामने निज्जर का मामला उठाया था।

दूसरी तरफ इन दिनों चीनी मीडिया लगातार अमेरिकी पाखंड का उल्लेख कर रहा है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने चार रिपोर्टें (एक, दो, तीन और चार) इस आशय की जारी की हैं, जिनमें भारत-कनाडा प्रकरण के बहाने अमेरिका के पाखंड का जिक्र किया गया है। 

Wednesday, September 27, 2023

भारत-कनाडा रिश्तों पर ‘खालिस्तानी छाया’


जिस रोज हमारे देश में संसद का विशेष-सत्र शुरू होने वाला था
, उसके ठीक पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बड़ा आरोप लगाकर डिप्लोमैटिक-धमाका कर दिया, जिसकी अनुगूँज काफी देर तक सुनाई पड़ती रहेगी. कनाडा की इस हरकत से भारत के समूचे पश्चिमी खेमे के साथ रिश्ते प्रभावित होंगे.

दूसरी तरफ संभावना इस बात की भी है कि भारत के जवाबी हमलों के सामने उन्हें न केवल झुकना पड़े, बल्कि खालिस्तान को लेकर अपना रुख पूरी तरह बदलना पड़े. बहुत कुछ विदेशमंत्री एस जयशंकर की अमेरिका-यात्रा पर निर्भर करता है.

हालांकि ट्रूडो ने यह भी कहा कि इस मामले में जाँच चल ही रही है, अलबत्ता उन्होंने एक भारतीय राजनयिक को देश से निकलने का आदेश देकर और व्यापार-वार्ता रोककर इस बात को साफ कर दिया कि वे इन रिश्तों को किस हद तक बिगाड़ने को तैयार हैं.