जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी के
प्रत्याशी के रूप में जगदीप धनखड़ का नाम सामने आने के बाद दो तरह की बातें सामने
आई हैं। एक, धनखड़ से जुड़ी और दूसरी देश के उपराष्ट्रपति की भूमिका को लेकर।
हालांकि राष्ट्रपति की तुलना में उपराष्ट्रपति पद छोटा है, पर राजनीतिक-प्रशासनिक
जीवन में उसकी भूमिका
ज्यादा बड़ी है, बल्कि संसदीय प्रणाली में भारत के उपराष्ट्रपति का पद अपने आप में
अनोखा है। ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में ऐसा सम्भव ही नहीं है, क्योंकि वहाँ राजा के
बाद कोई उप-राजा नहीं होता।
राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उसकी भूमिका निभाता है। राष्ट्रपति की भूमिका कार्यपालिका-प्रमुख तक सीमित है, जबकि उपराष्ट्रपति की भूमिका विधायिका के साथ है। वह राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष है। भारत के उपराष्ट्रपति की तुलना अमेरिकी उपराष्ट्रपति से की जा सकती है, जो सीनेट का अध्यक्ष भी होता है। अमेरिका में सीनेट राज्यों का प्रतिनिधि सदन है और भारत में भी राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधि सदन है। प्रतिनिधित्व के मामले में अमेरिकी सीनेट का स्वरूप वही है, जैसा बताया गया है, जबकि राज्यसभा का स्वरूप धीरे-धीरे बदल गया है।
देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा हो रहा
है। उसके पहले 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होगा। भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 63 में कहा गया है, भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। अनुच्छेद 64 में कहा
गया है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा, परन्तु किसी अवधि के दौरान
उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के अधीन राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, उस अवधि
के दौरान वह राज्यसभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा और वह अनुच्छेद
97 के अधीन राज्यसभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
संविधान सभा में उपराष्ट्रपति पद से जुड़े
उपबंधों को स्वीकार किए जाने के बाद 29, दिसम्बर 1948 को संविधान की दस्तावेज
(ड्राफ्टिंग) समिति के अध्यक्ष भीमराव आम्बेडकर ने इस पद के व्यावहारिक स्वरूप को
स्पष्ट करते हुए कहा कि हालांकि संविधान में उपराष्ट्रपति पद का उल्लेख है, पर
वस्तुतः वह राज्यसभा का सभापति है। दूसरे शब्दों में वह लोकसभा अध्यक्ष का समतुल्य
है।
इस पद के अतिरिक्त वह किसी
कारण से राष्ट्रपति पद के रिक्त हो जाने पर राष्ट्रपति पद पर कार्य करेगा।
अनुच्छेद 65(1) के अनुसार, ‘राष्ट्रपति की मृत्यु,
पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में
उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा, जिस तारीख को ऐसी
रिक्ति को भरने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति
अपना पद ग्रहण करता है।’
अनुच्छेद 65(2) के
अनुसार, ‘जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों के निर्वहन
में असमर्थ है, तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कर्तव्यों का निर्वहन करेगा, जिस
तारीख क राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।’
कोई भी नागरिक जिसकी आयु कम से कम 35 वर्ष है और किसी राज्य या केंद्र शासित क्षेत्र में पंजीकृत मतदाता है, इस पद के लिए प्रत्याशी बन सकता है। इसके लिए उसके नाम का प्रस्ताव कम से कम 20 सांसद करें और 20 सांसद उसके नाम का समर्थन करें। अनुच्छेद 66(2) के अनुसार उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा। यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है, तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद-ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।