Saturday, January 9, 2021

राजनीति के माथे पर वैक्सीन का टीका

भारत सरकार का दबाव रहा हो या फिर मेडिकल साइंस की नैतिकता ने जोर मारा हो वैक्सीन के विकास को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के प्रमुखों के बीच अनावश्यक ‘तू-तू मैं-मैं’ थम गई है। बावजूद इसके प्रतिरोधी-टीके को लेकर कुछ नए विवाद खड़े हो गए हैं। एक तरफ विवादों की प्रकृति राजनीतिक है, वहीं भारत बायोटेक को मिली आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति पर वैज्ञानिक समुदाय के बीच मतभेद है। सभी बातों को एक साथ मिलाकर पढ़ें, तो लगता है कि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण की थुक्का-फज़ीहत शुरू हो गई है। यह गलत और आपराधिक है।

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर में माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर गगनदीप कांग ने भारत बायोटेक की वैक्सीन को मिली अनुमति को लेकर अपने अंदेशों को व्यक्त किया है। इसके बाद सरकार और वैज्ञानिक समुदाय की ओर से स्पष्टीकरण आए हैं। इन स्पष्टीकरणों पर नीचे बात करेंगे। अलबत्ता विशेषज्ञों के मतभेदों को अलग कर दें, तो राजनीतिक-सांप्रदायिक और इसी तरह के दूसरे संकीर्ण कारणों से विवाद खड़े करने वालों का विरोध होना चाहिए।

तीव्र विकास

महामारी का सामना करने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने जितनी तेजी से टीकों का विकास किया है, उसकी मिसाल नहीं मिलती है। सभी टीके पहली पीढ़ी के हैं। उनमें सुधार भी होंगे। गगनदीप कांग ने भी दुनिया के वैज्ञानिकों की इस तीव्र गति के लिए तारीफ की है। टीकों के विकास की पद्धतियों की स्थापना बीसवीं सदी में हुई है। इस महामारी ने उन स्थापनाओं में कुछ बदलाव करने के मौके दिए हैं। यह बात विशेषज्ञों के बीच ही तय होनी चाहिए कि टीकों का विकास और इस्तेमाल किस तरह से हो। औषधि विकास के साथ उसके जोखिम भी जुड़े हैं। भारत में हों या विश्व-स्तर पर हों इस काम के लिए संस्थाएं बनी हैं। हमें उनपर भरोसा करना होगा। पर जनता के भरोसे को तोड़ने या उसे भरमाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। इस अभियान में एक मात्र मार्गदर्शक विज्ञान को ही रहने दें।  

Friday, January 8, 2021

जीडीपी में 7.7 फीसदी के संकुचन का अग्रिम अनुमान

 


देश के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को इस वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय (जीडीपी) का पहला अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किया, जिसमें केवल कृषि को छोड़कर अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में संकुचन (कांट्रैक्शन) का अनुमान लगाया गया है। एनएसओ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत के संकुचन का अनुमान है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इस संकुचन के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी को मुख्य कारण बताया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, '' साल 2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। जबकि 31 मई 2020 को जारी 2019-20 की जीडीपी के अस्थायी अनुमान 146.66 लाख करोड़ रुपये के हैं। इस तरह 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानतः 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

Thursday, January 7, 2021

राष्ट्रपति पद से ट्रंप की हिंसक विदाई

 


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पराजय को हिंसक मोड़ देकर लोकतांत्रिक इतिहास में अपना नाम सिरफिरे व्यक्ति के रूप में दर्ज करा लिया है। उन्होंने बुधवार 6 जनवरी को अपने समर्थकों को भड़काकर जिस तरह से उन्हें अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग में प्रवेश करने को प्रेरित किया, उस तरह के उदाहरण अमेरिकी इतिहास में बहुत कम मिलते हैं। भीड़ को रोकने के प्रयास में हुई हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत होने का समाचार है।

अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग के चारों तरफ़ सड़कों पर पुलिस दंगे की आशंका को लेकर तैनात है। वॉशिंगटन की मेयर ने पूरी रात के लिए कर्फ़्यू लगा दिया है। वॉशिंगटन पुलिस के प्रमुख का कहना है कि स्थानीय समय के हिसाब से रात साढ़े नौ बजे तक 52 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। चार लोगों को बिना लाइसेंस पिस्तौल रखने के लिए, एक को प्रतिबंधित हथियार रखने के लिए और 47 को कर्फ़्यू उल्लंघन और ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से घुसने के लिए। दो पाइप बम भी मिले हैं। एक कैपिटल बिल्डिंग के पास डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी दफ़्तर से और एक रिपब्लिकन नेशनल कमिटी के मुख्य दफ़्तर से।

Wednesday, January 6, 2021

खेती-किसानी से जुड़े व्यापक सवालों पर भी बहस होनी चाहिए


किसान-आंदोलन के समांतर देश में खेती को लेकर जो चर्चा चलनी चाहिए थी, वह मुझे दिखाई नहीं पड़ रही है। खासतौर से हिंदी मीडिया में यह चर्चा सिरे से नदारद है। आंदोलन से जुड़ी खबरें जरूर बड़ी तादाद में हैं, पर उनका लक्ष्य या तो सरकार का विरोध है या समर्थन। पर हमें खेती और किसानों की स्थिति को समझना चाहिए। इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रहे बदलावों पर भी नजर डालनी चाहिए। यह सच है कि आज भी हमारा समाज खेतिहर है, पर यह गर्व की बात नहीं है। यह मजबूरी है, क्योंकि कारोबार और रोजगार के हमारे वैकल्पिक साधनों का विकास धीमा है। बहरहाल आज यानी 6 जनवरी और कल यानी 5 जनवरी के इंडियन एक्सप्रेस के दो लेख मुझे पठनीय लगे। यदि आपकी दिलचस्पी इस चर्चा को आगे बढ़ाने में हो, तो मुझे खुशी होगी। मैंने इस सिलसिले में कुछ और महत्वपूर्ण आलेख सँजोकर रखे हैं। बात आगे बढ़ेगी, तो मैं उन्हें भी सामने रखूँगा।

आज के इंडियन एक्सप्रेस में दीपक पेंटल का लेख इन फार्म डिबेट, मिसिंग आरएंडडी प्रकाशित हुआ है। दीपक पेंटल दिल्ली विवि के पूर्व कुलपति हैं। मुझे याद पड़ता है कि दिल्ली विवि में जेनेटिक खेती पर काफी काम उनके कार्यकाल में हुआ था। बहरहाल उन्होंने इस लेख में कहा है कि इस समय चर्चा मुख्यतः न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो रही है, जबकि इन किसानों के पास धान और गेहूँ की खेती के स्थान पर नई फसलों का विकल्प था, जिसपर उन्हें अबतक चले जाना चाहिए था।

Tuesday, January 5, 2021

जॉर्जिया से सीनेट की दो सीटें तय करेंगी अमेरिकी राजनीति की दिशा

 


अमेरिका में चुनाव का रोमांच अभी बाकी है, जिसका नतीजा भारतीय समय से कल यानी 6 जनवरी की सुबह पता लगेगा। अमेरिकी समय से वह 5 जनवरी की रात होगी। 5 जनवरी को जॉर्जिया में सीनेट की दो सीटों के लिए दोबारा चुनाव होने जा रहा है। इन सीटों पर 3 नवंबर को भी चुनाव हुआ था लेकिन जॉर्जिया के कानून के मुताबिक, किसी भी उम्मीदवार को बहुमत यानी 50 फीसदी वोट नहीं मिले थे, इसलिए रन-ऑफ की जरूरत पड़ी।

डोनाल्ड ट्रंप हर कीमत पर इन दोनों सीटों को जीतना चाहते हैं, क्योंकि इससे सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो जाएगा, जिससे नए राष्ट्रपति जो बाइडेन की स्थिति कमजोर हो जाएगी। इन नतीजों के आने के बाद 6 जनवरी को अमेरिकी संसद में इलेक्टोरल कॉलेज वोट की गिनती होने जा रही है।

अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की मौजूदा स्थिति इस चुनाव को महत्वपूर्ण बनाती है। रन-ऑफ में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से डेविड पर्ड्यू और केली लॉफ्लर खड़े हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से जॉन ओसोफ और रफाल वरनॉक हैं। नवंबर के चुनाव में पर्ड्यू को 49.8 फीसदी और ओसोफ को 47 फीसदी वोट मिले थे। ओपीनियन पोल्स में दोनों सीटों पर रिपब्लिकन उम्मीदवार आगे बताए गए हैँ।