Tuesday, December 1, 2020

शेहला रशीद का पारिवारिक विवाद

 


जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद के पिता अब्दुल रशीद ने सोमवार 30 नवंबर को अपनी बेटी पर राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी जान को अब खतरा है। इसके लिए उन्होंने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। यह भी कहा कि मुझे अपनी ही बेटी से जान का खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी जुबैदा शौर, बड़ी बेटी आसमा रशीद और एक पुलिसकर्मी साकिब अहमद भी उसके साथ है। पर कुल मिलाकर यह मामला पारिवारिक झगड़े का है। इसे तूल देने से कुछ निकलेगा नहीं। उनकी बातों से कश्मीर की राजनीति की कुछ अंदरूनी बातें सामने आएं, तभी उनका महत्व है।

सवाल शेहला रशीद के राजनीतिक विचारों और राजनीति में उनकी प्राथमिकताओं का नहीं है। इसमें दो राय नहीं कि वे प्रगतिशील मुस्लिम कार्यकर्ता के रूप में स्थापित हो चुकी हैं, पर लगता है कि उनके परिवार में किसी बात पर गहरा मतभेद है, जो सामने आ रहा है। इस मतभेद का तबतक कोई मतलब नहीं है, जबतक उसके गहरे निहितार्थ नहीं हों। शेहला ने बयान जारी करते हुए कहा कि परिवार में ऐसा नहीं होता, जैसा मेरे पिता ने किया है। उन्होंने मेरे साथ-साथ मेरी मां और बहन पर भी बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।

Monday, November 30, 2020

हैदराबाद के निकाय चुनाव में अमित शाह और योगी को क्यों जाना पड़ा?

 


ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय चुनाव के प्रचार में अमित शाह और योगी आदित्य नाथ के उतर जाने के बाद देश का ध्यान इस तरफ गया है। आखिर क्या बात है इस चुनाव में? देश के गृहमंत्री को स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में जाने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके राजनीतिक कारण भी साफ हैं। बीजेपी को तेलंगाना में प्रवेश का रास्ता नजर आ रहा है। मुकाबले में टीआरएस, कांग्रेस और AIMIM के शामिल हो जाने से यह इतना खुला चुनाव हो गया है कि बीजेपी को सफलता के आसार नजर आ रहे हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को तब धक्का लगा, जब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवेसी ने कहा कि ग्रेटर हैदराबाद के निकाय चुनाव हम अकेले ही लड़ेंगे। उनके अनुसार ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां टीआरएस AIMIM से प्रतिस्पर्धा कर रही है, और ऐसे में दोनों का साथ आना श्रेयस्कर नहीं होगा। यों भी बिहार की सफलता के बाद AIMIM अपनी ताकत के विस्तार को दिखाना चाहती है। उसे पता है कि बहुमत नहीं मिलेगा, पर एक हैसियत बनेगी। यही उसका लक्ष्य है। इस चुनाव में टीआरएस 150 सीटों पर, बीजेपी 149 और कांग्रेस 146 पर चुनाव लड़ रही है। AIMIM ने 51 प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं।

नेपाल में भारतीय पहल से घबराया चीन

प्रधानमंत्री ओली के साथ चीन के रक्षामंत्री

लगता है कि भारत ने नेपाल के साथ रिश्तों को सुधारने की जो कोशिश की है उसे लेकर चीन में किसी किस्म की चिंता जन्म ले रही है। रविवार 29 नवंबर को चीन के रक्षामंत्री वेई फेंगही नेपाल के एक दिन के दौरे पर आए। यह दौरा
अचानक ही बना। पर इसके पीछे भारत के थल सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव के दौरे हैं, जो इसी महीने हुए हैं। उनके आगमन के कुछ दिन पहले 24 नवंबर को चीन के तीन अधिकारियों की एक टीम काठमांडू आई थी, पर इस तैयारी को अचानक हुई गतिविधि ही माना जाएगा। उन्होंने इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, जो रक्षामंत्री भी हैं और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी तथा नेपाली सेना के प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात की और शाम को यहाँ से पाकिस्तान रवाना हो गए।

इस दौरान चीन-नेपाल रिश्तों को लेकर बातें हुईं और कोरोना के कारण रुके हुए कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इनमें ट्रेनिंग और छात्रों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम तथा कुछ शस्त्रास्त्र की आपूर्ति शामिल है। पर जिस तरह से यह यात्रा हुई, उससे लगता है कि कोई और महत्वपूर्ण बात इसके पीछे थी।

ओआईसी के प्रस्ताव पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया


बीबीसी हिंदी के अनुसार भारत ने इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पास किए गए प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है। इस प्रस्ताव में कश्मीर का भी ज़िक्र किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी में पास किए गए प्रस्ताव में भारत का संदर्भ तथ्यात्मक रूप से ग़लत, अकारण और अनुचित है। भारत ने इसे अनुचित करार देते हुए ओआईसी को देश के आंतरिक मसलों में दखल ना देने की सलाह दी है। हमने हमेशा से यह उम्मीद की है कि इस्लामिक सहयोग संगठन का भारत के आंतरिक मसलों को लेकर कोई स्टैंड नहीं है। इसमें जम्मू कश्मीर का मसला भी शामिल है जो भारत का अभिन्न हिस्सा है।

वैक्सीन तो तैयार हैं, हमें कब मिलेंगी?

गुजरे कुछ दिनों में कोविड-19 के अमेरिका और यूरोप में प्रसार की खबरें मिलीं, वहीं भारत की राजधानी दिल्ली में फिर से संक्रमणों की बाढ़ है। फिर भी दुनिया में आशा की किरणें दिखाई पड़ी हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब दुनिया में किसी महामारी के फैलने के एक साल के भीतर उसकी वैक्सीन तैयार हो गई है। मॉडर्ना, फायज़र और एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड विवि ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीनें लगभग तैयार होने की स्थिति में हैं और वे सुरक्षित और असरदार है।

भारत सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट से एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोवीशील्ड वैक्सीन की 50 से 60 करोड़ खुराकें खरीदने की योजना बनाई है। एक व्यक्ति को दो खुराकें लगेंगी। इसका मतलब है कि भारत ने पहले दौर में 25-30 करोड़ लोगों के टीकाकरण की योजना बनाई है। जैसे ही ब्रिटिश नियामक संस्था इस वैक्सीन को अनुमति देगी, भारतीय नियामक भी इसे स्वीकृति दे देंगे। उम्मीद है कि जनवरी के अंत या फरवरी में यह वैक्सीन भारत को मिल जाएगी।