भारत का बजट लोक-लुभावन राजनीति, राजकोषीय अनुशासन और अर्थशास्त्रीय नियमों की
रोचक चटनी होता है. इसकी बारीकियां केवल वित्तमंत्री का भाषण सुनने भर से समझ में
नहीं आतीं. अलबत्ता पहली नजर में सार्वजनिक प्रतिक्रिया समझ में आ जाती है. इस
लिहाज से इसबार का बजट काफी बड़े वर्ग को खुश करेगा. इसमें सामाजिक क्षेत्र का
ख्याल है, ग्रामीण क्षेत्र की फिक्र है, साथ ही छोटे करदाता की परेशानियों को कम
करने का इरादा भी. शेयर बाजार भी खुश है.
Thursday, February 2, 2017
आर्थिक सुधारों और ग्रामीण विकास पर केंद्रित बजट
इस बजट को देश के चमत्कारिक
बदलाव का बजट माना जा सकता है. एक दिन पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा ने बताया था कि
इस साल खेती में 4.1 प्रतिशत की दर
से संवृद्धि की उम्मीद है. इसके पीछे बेहतर मॉनसून का हाथ भी है. फसल का रकबा भी बढ़ने
की सूचनाएं हैं. यानी ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ रहीं है. हालात
ठीक रहे तो अगले साल खेती की विकास दर 6 फीसदी होगी. कुछ साल पहले हमारी कृषि विकास
दर गिरते-गिरते शून्य तक पहुँचने जा रही थी.
मोदी सरकार की घोषणा है
कि सन 2022 तक हम देश के किसानों की आय दुगनी करेंगे. इसके लिए ग्रामीण जीवन में
बदलाव लाने की जरूरत होगी. सरकार ने कांट्रैक्ट खेती के कानून में बदलाव करने की
घोषणा की है. फसल बीमा योजना में कवरेज को 40 फीसदी बढ़ाया गया है. सॉयल हैल्थ
कार्ड के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में मिनी लैब्स बनाने का प्रावधान किया है
ताकि किसान वहां जाकर अपनी खेती की जमीन की मिट्टी का टेस्ट कर सकें.
Tuesday, January 31, 2017
अमित शाह की नजर में यह ‘ड्रामा’ चलेगा नहीं
रविवार को जहाँ दिनभर सपा-कांग्रेस
के गठबंधन के औपचारिक समारोह से लखनऊ शहर
रंगा रहा, वहीं रात होते-होते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह पारिवारिक
ड्रामा इस गठबंधन की रक्षा कर नहीं पाएगा.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव
में जहाँ सपा-कांग्रेस गठबंधन को नोटबंदी के नकारात्मक प्रभाव से उम्मीदें हैं
वहीं बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह को लगता है कि प्रदेश का वोटर पिछले 15 साल की
अराजकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगा. उनका दावा है कि पार्टी को
दो-तिहाई बहुमत मिल जाएगा.
Monday, January 30, 2017
मुलायम की हाँ या ना?
कौन सी खबर सही है?
यूपी में सपा के पारिवारिक घटनाक्रम को शुरू से ही ड्रामे की संज्ञा दी जाती रही। एक तबके को विश्वास था कि यह अखिलेश की बहादुरी और साफ छवि है, जिसकी अंतिम विजय हुई। पर एक तबके का यह कहना था कि यह छवि बनाने का ड्रामा है। जो भी है, पर मीडिया की कवरेज पर ध्यान दें तो यह ड्रामा वहाँ भी नजर आता है। आज के टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर है कि मुलायम सिंह ने कहा कि मैं प्रचार नहीं करूँगा। टाइम्स नाउ ने मुलायम सिंह की बाइट भी दिखाई। इसी ग्रुप के हिन्दी अखबार NBT का कहना है कि मुलायम को ये साथ नापसंद है। पर इसी ग्रुप के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर है कि मुलायम 12 फरवरी से प्रचार करेंगे। अब आपकी इच्छा जिस खबर पर चाहें भरोसा करें।
Mulayam rejects SP-Cong tie-up, won’t campaign for alliance
LUCKNOW/DELHI: On a day, his son and UP CM Akhilesh Yadav and Congress vice-president Rahul Gandhi showcased the SP-Congress alliance with a road show in Lucknow, SP patriarch Mulayam Singh Yadav struck a discordant note, rejecting the tie-up and refusing to campaign for the new political alignment.
Talking to a news agency in Delhi, Mulayam said SP was capable of winning the election and forming a government on its own and there was no need for any alliance. "We contested the elections alone and we got majority and formed the government," Mulayam said referring to the 2012 assembly polls. Read full story here
आज के इकोनॉमिक टाइम्स की खबर है कि मुलायम सिंह 12 फरवरी से प्रचार करेंगे।
Mulayam Singh Yadav to start campaigning for Samajwadi Party from February 12
On Flight From Lucknow: SP patriarch Mulayam Singh Yadav has said that he will start campaigning for the party from February 12 once the process of filing nominations is over. Mulayam added the SP government led by his son and Uttar Pradesh Chief Minister Akhilesh Yadav has done good work.
The 75-year-old SP leader was flying to New Delhi from Lucknow on Sunday when ET caught up with him on the flight. In an almost hour-long conversation, Mulayam said he did everything a father could do for his son.
“Sab kuch de diya hai usse. Aakhir beta hai mera. Kissi aur ne yeh nahi kiya hai, (Punjab CM Parkash Singh) Badal ko dekh lijiye (Have given everything to my son. After all, he is my son. Look at Badal. He is 89, but still hasn’t handed over the party to his son. Read full story here
Sunday, January 29, 2017
इंतजार आर्थिक उछाल का
नोटबंदी के बाद करीब तीन महीने के मंदे के बावजूद लोगों की
उम्मीदें सकारात्मक बदलावों पर टिकी हैं। केंद्र सरकार के लिए सन 2019 के चुनाव के
पहले अगले दो साल के बजट बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसबार का बजट पाँच राज्यों के चुनाव
के ठीक पहले है। देखना होगा कि सरकार लोक-लुभावन रास्ता पकड़ेगी या अर्थ-व्यवस्था
को सुदृढ़ करते हुए दीर्घकालीन रणनीति का। चूंकि चुनाव के ठीक पहले बजट आ रहा है
इसलिए सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की चेतावनियों की तलवार भी उसपर लटक रही है। पर
राजनीति का तकाजा है कि सरकार किसी न किसी रूप में रियायतों का पिटारा खोलेगी। पर देश
को इंतजार उस आर्थिक उछाल का है, जिसमें हमारी समस्याओं का समाधान निहित है।
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