विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की पाकिस्तान यात्रा में उनके साथ 61 भारतीय पत्रकार भी गए थे। आमतौर पर पत्रकारों को वीज़ा मिलने में दिक्कत नहीं होती, पर एसएम कृष्णा के साथ जाने वाले 'हिन्दू' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय सम्पादक प्रवीण स्वामी को वीज़ा नहीं दिया गया। खास बात यह है कि वीज़ा दे दिया गया था और प्रवीण स्वामी को पाकिस्तान के उच्चायोग में बुलाया भी गया था, पर बाद में 'हिन्दू' से कहा गया कि वे किसी दूसरे पत्रकार का नाम दें। 'हिन्दू' के सम्पादक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। देश के अखबारों में 'हिन्दू' शायद अकेला है, जो पाकिस्तान में अपना संवाददाता रखता है। वहाँ इस समय अनिता जोशुआ तैनात हैं।
प्रश्न कवरेज से ज्यादा पत्रकार को लेकर है। प्रवीण स्वामी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रश्नों पर लिखते रहते हैं। उनके समाचारों और विश्लेषणों में नई बात होती है। प्रायः उनके पास काफी सूचनाएं होतीं हैं। इन सूचनाओं में पाकिस्तानी सरकार और सेना की भूमिका का अक्सर ज़िक्र होता है। ऐसा समझा जा रहा है कि उनका वीज़ा रोकने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका है। बहरहाल कोई भी देश अपना वीज़ा देने के मामले में जवाबदेह नहीं है, पर प्रवीण स्वामी के मामले से इतना ज़ाहिर ज़रूर होता है कि सरकारें ज़रूरत से ज़्यादा संवेदनशील हो जाती हैं। प्रवीण स्वामी के पासपोर्ट में अब वीज़ा और उसपर कैंसल किए जाने की मुहर है जो इतिहास का हिस्सा बन गई। दोनों देशो के बीच वीज़ा व्यवस्था को आसान बनाने की कोशिशों के दौर में यह खबर बताती है कि सब कुछ इतना सरल नहीं है।
हिन्दू में प्रकाशित समाचार
फर्स्ट पोस्ट की रपट पाकिस्तान ने प्रवीण स्वामी को कविता की पुस्तक दी वीज़ा नहीं दिया
प्रश्न कवरेज से ज्यादा पत्रकार को लेकर है। प्रवीण स्वामी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रश्नों पर लिखते रहते हैं। उनके समाचारों और विश्लेषणों में नई बात होती है। प्रायः उनके पास काफी सूचनाएं होतीं हैं। इन सूचनाओं में पाकिस्तानी सरकार और सेना की भूमिका का अक्सर ज़िक्र होता है। ऐसा समझा जा रहा है कि उनका वीज़ा रोकने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका है। बहरहाल कोई भी देश अपना वीज़ा देने के मामले में जवाबदेह नहीं है, पर प्रवीण स्वामी के मामले से इतना ज़ाहिर ज़रूर होता है कि सरकारें ज़रूरत से ज़्यादा संवेदनशील हो जाती हैं। प्रवीण स्वामी के पासपोर्ट में अब वीज़ा और उसपर कैंसल किए जाने की मुहर है जो इतिहास का हिस्सा बन गई। दोनों देशो के बीच वीज़ा व्यवस्था को आसान बनाने की कोशिशों के दौर में यह खबर बताती है कि सब कुछ इतना सरल नहीं है।
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फर्स्ट पोस्ट की रपट पाकिस्तान ने प्रवीण स्वामी को कविता की पुस्तक दी वीज़ा नहीं दिया