Friday, January 20, 2012

नए गठबंधनों को जन्म देगा उत्तर प्रदेश


पिछले साल का राजनीतिक समापन राज्यसभा में लोकपाल बिल को लेकर पैदा हुए गतिरोध के साथ हुआ था। वह गतिरोध जारी है। यूपीए के महत्वपूर्ण सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के साथ शुरू हुआ टकराव अनायास नहीं था। और यह टकराव लगातार बढ़ रहा है। आने वाले वक्त की राजनीति और नए बनते-बिगड़ते समीकरणों की आहट सुनाई पड़ने लगी थी। पाँच राज्यों के चुनाव के शोर में ये आहटें नेपथ्य में चली गईं है। पर लगता है कि इस साल राष्ट्रीय राजनीति में कुछ बड़े फेरबदल होंगे, जो 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरने वाले गठबंधनों को नई शक्ल देंगे।

इस साल राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव होंगे, उसके बाद जून में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। भाजपा अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी का कार्यकाल भी इस साल के अंत में पूरा हो जाएगा। और यदि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में किसी नए नेतृत्व के साथ उतरना चाहती है तो शायद प्रधानमंत्री पद पर बदलाव भी हो। इन सारे बदलावों का एक-दूसरे से कोई रिश्ता नहीं, पर इनका मिला-जुला असर देश की राजनीति और व्यवस्था पर पड़े बगैर नहीं रहेगा।

Thursday, January 19, 2012

भारतीय उम्मीदों का 'आकाश'

दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने तय किया है कि वह अपने स्कूल के छात्रों को आकाश टेबलेट पीसी मुफ्त में देगा। एमसीडी के 1740 स्कूलों में इस वक्त 9,42,135 बच्चे पढ़ने जाते हैं। इस काम पर 45 करोड़ रुपया खर्च करने की योजना बनाई गई है। देश में इस वक्त तकरीबन 22 करोड़ बच्चे स्कूल या कॉलेजों में पढ़ते हैं। भारत सरकार की योजना है कि अगले कुछ साल में इन सभी को आकाश पर काम करने का मौका मिलेगा। जिन बच्चों के पास अपना कम्प्यूटर नहीं होगा तो उन्हें स्कूल या कॉलेज की लाइब्रेरी से इसे हासिल करने का मौका मिलेगा।

Monday, January 16, 2012

सिर्फ दो महीने का सदाचार क्यों?

पत्रकार अम्बरीष कुमार ने फेसबुक पर लिखा है,’ इस बार कहीं भी सार्वजनिक रूप से न तो खिचड़ी का भंडारा हुआ और न लखनऊ में जगह जगह होने वाला तहरी भोज का आयोजन हुआ। न ही नव वर्ष और मकर संक्रांति के मौके पर किसी की शुभकामनाओं के बोर्ड और होर्डिंग। वजह सिर्फ चुनाव आयोग की सख्ती। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा-जब एक एक प्याली चाय का खर्चा उम्मीदवारों के खर्च में जोड़ दिया जा रहा है तो तहरी भोज जिसमे हजारों की संख्या में लोग आते है उसका खर्च चुनाव खर्च में जुड़वाने का जोखम कौन मोल लेगा।’ इस बार के चुनाव में प्रतिमाएं ढकने का प्रकरण सबसे ज्यादा चर्चा में है। मुसलमानों को आरक्षण देने की योजना और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और चुनाव आयोग के बीच अधिकार को लेकर छोटी सी चर्चा ने भी मामले को रोचक बना दिया।

Friday, January 13, 2012

कसौटी पर पाकिस्तानी लोकतंत्र

इस वक्त भारत के पाँच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और हैं और हम अपने लोकतंत्र के गुण-दोषों को लेकर विमर्श कर रहे हैं, पड़ोसी देश पाकिस्तान से आ रही खबरें हमें इस बातचीत को और व्यापक बनाने को प्रेरित करती हैं। भारत और पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति एक नज़र में एक-दूसरे को प्रभावित करती नज़र नहीं आती, पर व्यापक फलक पर असर डालती है। मसलन भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य हो जाएं तो पाकिस्तान की राजनीतिक संरचना बदल जाएगी। वहाँ की सेना की भूमिका बदल जाएगी। इसी तरह भारत में ‘राष्ट्रवादी’ राजनीति का रूप बदल जाएगा। रिश्ते बिगड़ें या बनें दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। इसीलिए पिछले साल अगस्त में अन्ना हजारे के अनशन के बाद पाकिस्तान में भी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की हवाएं चलने लगी थीं। भारत की तरह पाकिस्तान में भी सबसे बड़ा मसला भ्रष्टाचार का है। पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाएं मुकाबले भारत के अपेक्षाकृत कमज़ोर हैं और देर से विकसित हो रहीं हैं, पर वहाँ लोकतांत्रिक कामना और जन-भावना नहीं है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। हमारे मीडिया में इन दिनों अपने लोकतंत्र का तमाशा इस कदर हावी है कि हम पाकिस्तान की तरफ ध्यान नहीं दे पाए हैं।

Thursday, January 12, 2012

ममता बनर्जी की भी दूरगामी राजनीति है


बंगाल में कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी के बजाय मुख्य विपक्षी दल जैसी नज़र आने लगी है। मानस भुनिया से लेकर दीपा दासमुंशी तक शिकायत कर रहे हैं। रायगंज कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच बाकायदा संघर्ष हुआ और गिरफ्तारियाँ हुईं। शनिवार को ममता बनर्जी ने सबके सामने साफ कहा कि कांग्रेस चाहे तो बंगाल सरकार से अलग हो जाए। कांग्रेस की प्रतिक्रिया है कि हम जनता की सेवा करने आए हैं, करते रहेंगे। भीतर की कहानी यह है कि इस वक्त कांग्रेस बीजेपी को लेकर उतनी परेशान नहीं है, जितना ममता बनर्जी को लेकर है। लोकपाल बिल पर हुई फजीहत को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता बीजेपी पर गुस्सा उतार रहे हैं, पर निजी बातचीत में स्वीकार कर रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस के साथ समन्वय में कोई चूक हो गई है।