Monday, June 3, 2024

एग्ज़िट पोल तो हो गया, अब 4 को होगी ‘इंडिया’ की परीक्षा


2024 के लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी एग्ज़िट पोल में कमोबेश अनुमान है कि नरेंद्र मोदी सरकार सफलता की तिकड़ी लगाने जा रही है। कुछ नतीजों में 400 पारकी बात भी है। पर यह अपने आप में उतनी बड़ी बात नहीं है, जितनी दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एनडीए की सफलता है। यह सफलता वास्तव में 4 जून को साबित हो गई, तो बड़ी बात होगी। केरल में पहली बार बीजेपी को सीट मिलने की संभावना है। तमिलनाडु में भी सफलता की संभावना है। ज्यादा बड़ी सफलता कर्नाटक, आंध्र और तेलंगाना में दिखाई पड़ रही है। इन सफलताओं को जोड़कर देखें, तो भारतीय जनता पार्टी, दक्षिण भारत में सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरेगी। पिछले दिनों जब तेलंगाना विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी, तब कहा जा रहा था कि उत्तर और दक्षिण भारत अलग-अलग नज़रियों से सोचते हैं।  

इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी का नारा था, बीजेपी दक्षिण में साफ, उत्तर में हाफ। पर व्यावहारिक रूप से देखें तो इस बात को कांग्रेस पर लागू किया जा सकता है, उत्तर में साफ, अब दक्षिण में हाफ। उनकी रणनीति अपनी जीत को सुनिश्चित करने की नहीं, बल्कि मोदी को हराने की है। बहरहाल इंडिया गठबंधन ने एग्ज़िट पोल के इन निष्कर्षों को स्वीकार ही किया है। शनिवार को दिल्ली में हुई गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमें 295 से ज्यादा सीटें मिलने वाली हैं। उनका कहना था कि यह संख्या हमारे सहयोगी दलों के ज़मीनी कार्यकर्ताओं की सूचना पर आधारित है। केवल एक संख्या उन्होंने बताई 295+। इसका विस्तार उन्होंने नहीं किया। मसलन यह नहीं बताया कि किस राज्य में किसे कितनी सीटें मिल सकती हैं। उनकी बात की परीक्षा भी 4 जून को हो जाएगी।

सच है कि एग्ज़िट पोल को लेकर हमारे देश में पहले से कई तरह की विसंगतियाँ हैं। जितने पोल होते हैं, उतनी ही तरह की संख्याएं भी होती हैं, पर यह स्वाभाविक है। एग्ज़िट पोल छोटे सैंपल पर आधारित होता है। कोशिश की जाती है कि सैंपल में हर प्रकार के और हर क्षेत्र के मतदाताओं की राय शामिल की जाए। इसलिए इनमें बहुत ज्यादा बारीकी खोजने का प्रयास होना भी नहीं चाहिए। इतने बड़े देश की राय जान लेना सरल नहीं है।

2014 और 2019 के एग्ज़िट पोलों पर ध्यान दें, तो पाएंगे कि सभी ने माना था कि एनडीए की सरकार बनने वाली है। किसी ने यह नहीं कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी। दूसरे, बीजेपी की जो संख्या एग्ज़िट पोल बता रहे थे, उससे ज्यादा सीटें आईं। इसबार भी सभी पोल बता रहे हैं कि बीजेपी की जीत होने वाली है। बहरहाल इन पोल की पद्धति में सुधार की गुंजाइश हमेशा रहेगी और इन्हें संचालित करने वाली एजेंसियों ने सुधार किया भी है।

2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के एक्ज़िट पोल इस लिहाज से तो सही थे कि उन्होंने आम आदमी पार्टी की जीत का एलान किया था, पर ऐसी जीत से वे भी बेखबर थे। अब पोल-संचालक ज्यादा सतर्क हैं। उनके पास बेहतर तकनीक और अनुभव है। वे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रहे हैं। विश्लेषण करते वक्त वे राजनीति-शास्त्रियों, मानव-विज्ञानियों और दूसरे विशेषज्ञों की राय को भी शामिल करते हैं। उनसे चूक कहाँ हो सकती है, इसकी समझ भी उन्होंने विकसित की है। विश्लेषकों को लगता है कि इसबार के पोल सच के ज्यादा करीब होंगे।

पश्चिमी देशों में लोकमत दर्ज करने का काम मार्केट रिसर्च से जुड़ी एजेंसियाँ करती हैं। उपभोक्ता बाजार की धारणाओं का पता ये एजेंसियाँ लगाती हैं। सी-वोटर, एक्सिस माई इंडिया, सीएनएक्स भारत की कुछ प्रमुख एजेंसियाँ हैं। भारत में नील्सन जैसी एजेंसी भी सर्वे करती है। यह अमेरिकन कंपनी है, जो 100 से अधिक देशों में काम करती है। दुनिया भर में करीब 44,000 लोग इसके सर्वेक्षणों का काम करते हैं। इसकी दो प्रमुख सहायक कंपनियां हैं। एक, नील्सन मीडिया रिसर्च, जो टीवी रेटिंग का काम करती है और दूसरी एसी नील्सन , जो उपभोक्ता खरीदारी के रुझान और बॉक्स-ऑफिस डेटा तैयार करती है। चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों की तुलना में इन एग्ज़िट पोल की साख कुछ बेहतर है। इनपर पूरी तरह यकीन फिर भी नहीं किया जाता है, पर इनसे चुनाव-परिणामों की दिशा का अनुमान लग जाता है।

इसबार पोल के निष्कर्ष कितने सही या कितने गलत होंगे, यह 4 जून को पता लगेगा, पर इंडिया गठबंधन ने पूरी व्यवस्था को राजनीति के घेरे में ले लिया है। उनका कहना है कि यह सब गोदी मीडिया और भारतीय जनता पार्टी की साज़िश है। किस बात की साज़िश? एग्ज़िट पोल से तो सरकार बनेगी नहीं। पूरे मीडिया, चुनाव-व्यवस्था, ईवीएम और दूसरी व्यवस्थाओं को कठघरे में रखते हुए वे संदेह का माहौल बना सकते हैं, पर इसका दूरगामी नुकसान उन्हें भी होगा। मतगणना के दिन पार्टियों के कार्यकर्ता अतिशय सतर्कता का प्रदर्शन करेंगे। इससे हासिल कुछ नहीं होगा, केवल अराजकता को बल मिलेगा।

कांग्रेस पार्टी ने पहले घोषित किया था कि उनके प्रतिनिधि इन एग्ज़िट पोल पर हो रही चर्चा में शामिल नहीं होंगे। अंतिम क्षण पर यह फैसला बदल दिया गया और  चैनलों पर कांग्रेस के प्रतिनिधि भी आए, पर संदेश क्या गया? कि कांग्रेस पार्टी सुविचारित तरीके से काम नहीं करती। उधर समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे एग्ज़िट पोल के झाँसे में न आएं। पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं, प्रत्याशियों और पदाधिकारियों को दिए एक संदेश में भाजपा के झूठ और उसके एग्जिट पोल के खिलाफ सतर्क रहने को कहा है।

सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मैं आज आपसे एक बेहद ज़रूरी अपील कर रहा हूँ। आप सब कल वोटिंग के दौरान भी और वोटिंग के बाद के दिनों में भी, मतगणना खत्म होने और जीत का सर्टिफिकेट मिलने तक पूरी तरह से सजग, सतर्क, सचेत और सावधान रहिएगा और किसी भी प्रकार के भाजपाई बहकावे में न आइएगा।” अखिलेश ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह शनिवार को मतदान खत्म होते ही झूठ फैलाना शुरू कर देगी। उन्होंने लिखा कि दरअसल ये अपील हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भाजपा वालों ने योजना बनाई है कि कल शाम को चुनाव खत्म होते ही, वे अपनी ‘मीडिया मंडली’ से विभिन्न चैनलों पर ये कहलवाना शुरू करेंगे कि भाजपा को लगभग 300 सीटों के आसपास बढ़त मिली हुई है, जो कि पूरी तरह से झूठ है। अब यह 4 जून को ही स्पष्ट होगा कि अखिलेश यादव की बात सही है या एग्ज़िट पोल की।

इन प्रतिक्रियाओं से लगता है कि उन्होंने एग्ज़िट पोल में अपनी पराजय देख ली थी। पर वे मान रहे हैं कि चुनाव में उनकी जीत होने वाली है। उनकी जीत हो रही है, तो एग्ज़िट पोल क्या उसका संकेत नहीं देंगे? इससे लगता है कि 4 जून के परिणाम उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं गए, तो ईवीएम और चुनाव-आयोग वगैरह पर आरोप लगेंगे।

विश्ववार्ता में प्रकाशित

2 comments:

  1. भारत का बटवारा तो वर्षों पहले ही कर दिया था इन नासपीटों ने
    और भाषाई बवाल तो था ही पहले से
    वेलूर अस्पताल के लेटरपैड में पहले ही लिक्खा था South INDIA
    इसाईयों और पंजे ने मिल कर बचा-खुचा समेट दिया ..
    चलिए अब सही हाथों में आगया है मेरा भारत
    सादर वंदन

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  2. लेकिन सब कुछ ठीक तो नहीं ही है |

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