Sunday, August 13, 2023

संसदीय बहस ने मंदी कर दी मणिपुर की तपिश


संसद के मॉनसून-सत्र का समापन लगभग उसी अंदाज़ में हुआ, जिसकी आशा थी। सत्र के पहले सबसे बड़ा मुद्दा मणिपुर का समझा जा रहा था, पर दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा नहीं हो पाई। विपक्ष प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर अड़ गया, जो अविश्वास-प्रस्ताव में ही संभव था। पर अविश्वास-प्रस्ताव ने मणिपुर की तुर्शी को ठंडा कर दिया। बहस के दौरान राजनीति के तमाम गड़े मुर्दे उखाड़े गए, पर मणिपुर की परिस्थिति पर रोशनी नहीं पड़ी। इसे लेकर दोनों सदनों में शोर हुआ, चर्चा नहीं हुई। अविश्वास प्रस्ताव के करीब दो घंटे लंबे जवाब में जब प्रधानमंत्री मणिपुर-प्रसंग पर आए, तब तक विरोधी दल सदन से बहिर्गमन कर चुके थे। प्रस्ताव पर मतदान की जरूरत भी नहीं पड़ी। विरोधी दलों की गैर-मौजूदगी में वह ध्वनिमत से नामंजूर हो गया। यह सत्र, संसदीय बहस के क्रमशः बढ़ते पराभव का अच्छा उदाहरण है।

कुछ बेहद महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में बगैर किसी बहस के पास हो गए। इससे पता लगता है कि राजनीति गंभीर मसलों में कितनी दिलचस्पी है। सत्र की समापन बैठकों का भी विरोधी गठबंधन ने बहिष्कार किया। यह बहिष्कार अधीर रंजन चौधरी के निलंबन और मणिपुर पर चर्चा नहीं हो पाने के विरोध में किया गया। सत्र के दौरान राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, संजय सिंह और रिंकू सिंह और लोकसभा में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का निलंबन हुआ। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का निलंबन केवल सत्र के समापन तक का था, पर उसे बढ़ा दिया गया है। और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो, इस सत्र ने 2024 के लिए प्रचार के कुछ मुद्दे, मसले, नारे और जुमले दे दिए हैं। यह भी स्पष्ट हुआ की विरोधी एकता में बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के शामिल होने की संभावनाएं नहीं हैं।

22 विधेयक पास

सत्र की अंतिम बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि इस दौरान सदन की 17 बैठकें हुईं, जो कुल 44 घंटे और 13 मिनट तक चलीं। सदन की सकल उत्पादकता 45 फीसदी रही। इस दौरान सरकार ने 20 विधेयक पेश किए और 22 विधेयकों को पास किया गया। इनमें से 10 विधेयक एक घंटे से भी कम की चर्चा के बाद पास हो गए। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने समापन भाषण में कहा कि मेरी अपीलों का असर काफी सदस्यों पर नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस कारण सदन के 50 घंटे 21 मिनट बेकार हो गए। सदन की उत्पादकता 55 प्रतिशत रही। सदन में नियमों के उल्लंघन और अपमानजनक आचरण का हवाला देकर आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया। सदन ने इसी पार्टी के संजय सिंह का निलंबन भी विशेषाधिकार समिति की सिफारिशें आने तक बढ़ा दिया है।

मणिपुर-प्रसंग

मणिपुर-हिंसा को लेकर सत्र का ज्यादातर हिस्सा बाधित रहा, पर दोनों ही सदनों में उसपर शोर हुआ, चर्चा नहीं हुई। राज्यसभा में 11 अगस्त को इस विषय पर चर्चा की बात कही गई थी, पर वह भी नहीं हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने समापन भाषण में कहा कि सदन में मणिपुर पर चर्चा की जा सकती थी। सरकार ने दोनों सदनों में कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन इस मुद्दे पर अमित शाह जवाब देंगे। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के बयान की माँग करता रहा और जब प्रधानमंत्री इस विषय पर जब बोले, तब  विपक्ष वॉकआउट कर चुका था। प्रधानमंत्री ने श्रीलंका को सौंपे गए कच्छथीवू और साठ के दशक में मिजोरम पर की गई बमबारी का उल्लेख करके कांग्रेस की राष्ट्रीय अखंडता नीति पर एक और हमला भी किया। साथ ही पूर्वोत्तर को अपने जिगर का टुकड़ा बताया और वहां महिलाओं के साथ हुई यौन हिंसा पर बोले कि उसके दोषियों को सज़ा ज़रूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। आने वाले समय में मणिपुर में शांति बहाल की जाएगी। मैं मणिपुर की महिलाओं और बेटियों सहित मणिपुर के लोगों को बताना चाहता हूं कि देश आपके साथ है। साथ ही उन्होंने मणिपुर मुद्दे का राजनीतिकरण न करने का आग्रह भी किया।

मौके पर चौका

मणिपुर को लेकर उन्होंने जो कहा, उसे वे दो हफ्ते पहले भी कह सकते थे, कहीं भी कह सकते थे। पर उन्होंने उसके पहले वह सब कह दिया, जो वे कहना चाहते थे। इतना खुला मौका उन्हें अविश्वास-प्रस्ताव की बहस के बाद ही मिल सकता था। यह मौका उन्हें विपक्ष ने दिया। कांग्रेस का अनुमान था कि राहुल गांधी के भाषण से भारत माता की हत्या वाला अंश निकाल दिया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ। अब शायद यह बीजेपी के चुनाव-प्रचार का हिस्सा बनेगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, पीएम मोदी के कारण इन लोगों को भारत माता की जय बोलना पड़ रहा है, यह अच्छी बात है वरना पहले नहीं बोलते थे। इस उम्मीद में कि इन शब्दों को हटा दिया जाएगा, राहुल गांधी ने कहा है कि अब संसद में भारत माता भी नहीं बोल सकते।

राहुल का प्रदर्शन

कांग्रेस ने क्या हासिल किया? राहुल गांधी के असमंजस की शुरुआत तभी हो गई थी, जब उन्होंने इस बहस को लीड करने के बजाय बीच में बोलने का निश्चय किया। वे मणिपुर होकर भी आए थे, इसलिए लगता था कि वे कुछ ऐसा बोलेंगे, जो पुख्ता होगा और जिससे सरकार की जड़ें हिल जाएंगी। पर ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने बातों की शुरुआत अपनी भारत-जोड़ो यात्रा से की। उन्होंने कहा, भारत एक आवाज़ है। उन्होंने अहंकार की पराजय का जिक्र किया। उन्होंने कहा, मैं दिमाग से नहीं दिल से बोलूँगा। उन्होंने अपनी मणिपुर यात्रा के कुछ प्रसंग भी छेड़े, साथ ही कहा कि मोदी सरकार ने मणिपुर में भारत माता की हत्या की है। पर उनके भाषण में वह ऊष्मा नहीं थी, जिससे मणिपुर के लोगों का भरोसा जागे। संभव है कि उनके समर्थकों का विश्वास अब भी कायम हो, पर ज्यादातर पर्यवेक्षक मानते हैं कि उन्होंने एक अच्छे मौके को खो दिया।

मोदी बनाम राहुल

कांग्रेस ने अविश्वास-प्रस्ताव के पीछे का कारण मणिपुर हिंसा को बताया था, यह जानते हुए भी कि अविश्वास-प्रस्तावों में बहस का फलक व्यापक होता है। बहस का आगाज़ राहुल गांधी से नहीं कराने के पीछे के कारणों को लेकर कई तरह की अटकलें हैं। सबसे विश्वसनीय अनुमान यह लगता है कि पार्टी 2024 के चुनाव को मोदी बनाम राहुल के रूप में लड़ना नहीं चाहती, जबकि बीजेपी चाहती है कि मोदी बनाम राहुलहो। संभवतः राहुल की तैयारी भी नहीं था। यह अनुमान तो था कि सुप्रीम कोर्ट से स्थगनादेश होने के बाद उनकी सदस्यता की बहाली होगी, पर वह इतनी तेज होगी, इसका अनुमान नहीं था। बीजेपी की रणनीति अविश्वास-प्रस्ताव के बहाने विपक्ष पर उल्टा वार करने और किसी तरह से प्रतिस्पर्धा को राहुल बनाम मोदी बनाने की है। ऐसा करके वे इंडिया में शामिल दलों के मन में परोक्ष रूप से डर भी पैदा करना चाहते हैं। शेष विरोधी दल कांग्रेस के साथ इस उम्मीद में आए हैं कि भारत-जोड़ो यात्रा के कारण राहुल की छवि बेहतर हुई है और वे उसके सहारे चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।

मोदी का निशाना

नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ने करीब-करीब दो-दो घंटे के भाषण दिए। अमित शाह ने जहाँ क्रमबद्ध तरीके से सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, वहीं मोदी ने कांग्रेस पार्टी और नेहरू गांधी परिवार को निशाना बनाया। उनका भाषण चुनावी भाषण था, जिसमें भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण पर चोट थी। उन्होंने कहा, विपक्ष का पसंदीदा नारा है, मोदी तेरी कब्र खुदेगी। ये मुझे कोसते हैं, जो मेरे लिए वरदान है। ये जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला होगा। 20 साल में क्या कुछ नहीं किया, पर भला ही होता गया। मैं इसे भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि ईश्वर ने विपक्ष को सुझाया और वे प्रस्ताव लेकर आए। मैंने 2018 में कहा था कि ये 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे। अविश्वास प्रस्ताव हमारी सरकार का नहीं, विपक्ष का टेस्ट है। एनडीए और बीजेपी 2024 के चुनाव में पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़कर बड़ी जीत के साथ जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी। 2028 में विपक्ष फिर से अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा। उन्होंने कहा, बीते कुछ दिनों में दोनों सदनों ने कुछ बिल पास किए हैं, जिनमें कोस्टल एक्वाकल्चर से जुड़ा बिल भी था। ये ऐसे बिल थे जो मछुआरों के हक़ के लिए थे जिसका सबसे ज़्यादा लाभ केरल को होना था। केरल के सांसदों से ज़्यादा अपेक्षा थी कि वे ऐसे बिल पर तो अच्छे से चर्चा में हिस्सा लेते। लेकिन राजनीति उन पर ऐसे हावी हो चुकी है कि उन्हें मछुआरों की चिंता नहीं है। यह राहुल गांधी पर तेज था।

तयशुदा निशाने

मणिपुर को लेकर उन्होंने जो कहा, उसे वे दो हफ्ते पहले भी कह सकते थे, पर उन्होंने उसके पहले वह सब कहा, जो वे कहना चाहते थे। इतना खुला मौका उन्हें अविश्वास-प्रस्ताव की बहस के बाद ही मिल सकता था। यह मौका उन्हें विपक्ष ने दिया। कांग्रेस का अनुमान था कि राहुल गांधी के भाषण से भारत माता की हत्या वाला अंश निकाल दिया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ। शायद यह चुनाव-प्रचार के दौरान काम आएगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, पीएम मोदी के कारण इन लोगों को भारत माता की जय बोलना पड़ रहा है, यह अच्छी बात है वरना पहले नहीं बोलते थे। इस उम्मीद में कि इन शब्दों को हटा दिया जाएगा, राहुल गांधी ने कहा था कि अब संसद में भारत माता भी नहीं बोल सकते।

हरिभूमि में 13 अगस्त, 2023 को प्रकाशित

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