Wednesday, September 25, 2024

अमेरिका-दौरा और वृहत्तर-भूमिका में क्वॉड


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा भले ही ऐसे वक्त में हुई है, जब राष्ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल पूरा हो रहा है, फिर भी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय-रिश्ते हों या क्वॉड का शिखर सम्मेलन दोनों मामलों में सकारात्मक प्रगति हुई है. ‘बदलते और उभरते भारत पर केंद्रित इस दौरे की थीम भी सार्थक हुई.  

क्वॉड शिखर-सम्मेलन मूलतः चीन-केंद्रित था, पर, भारत इसे केवल चीन-केंद्रित मानने से बचता है. इसबार के सम्मेलन में समूह ने प्रत्यक्षतः भारतीय-दृष्टिकोण को अंगीकार कर लिया. इसे एशियाई-नेटो के बजाय, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा-हितों के रक्षक के रूप में स्वीकार कर लिया गया है. बावजूद इसके चीन का नाम लिए बगैर, जो कहना था, कह दिया गया.

वृहत्तर-सहयोग

हिंद-प्रशांत देशों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमी कंडक्टर, स्वास्थ्य और प्राकृतिक-आपदाओं के बरक्स राहत-सहयोग जैसे मसलों को इसबार के सम्मेलन में रेखांकित किया गया. संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुधार और सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट को लेकर भी इस सम्मेलन में सहमति व्यक्त की गई.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वॉड किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के पक्ष में है. स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है.

इनके साथ-साथ संरा समिट ऑफ फ्यूचर में ग्लोबल साउथ के संदर्भ में  भारतीय पहल को समझने की जरूरत है. यहाँ भी मुकाबला चीन से है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भविष्य के खतरों की ओर दुनिया का ध्यान खींचा. साथ ही उन्होंने विश्वमंच को आइना भी दिखाया, जिसने सुरक्षा-परिषद की स्थायी सीट से भारत को वंचित कर रखा है.

Wednesday, September 18, 2024

विश्व-शांति के प्रयास और भारत की बढ़ती भूमिका


इस हफ्ते भारतीय विदेश-नीति का फोकस अमेरिका पर रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं. पिछले साल जून की उनकी अमेरिका-यात्रा ने राजनीतिक और राजनयिक दोनों मोर्चों पर कुछ बड़ी परिघटनाओं को जन्म दिया था. इसबार हालांकि भारत-अमेरिका रिश्ते पूरी तरह विमर्श के केंद्र में नहीं होंगे, पर होंगे जरूर. साथ ही भारत और शेष-विश्व के रिश्तों पर रोशनी भी पड़ेगी.

हाल में बांग्लादेश में हुए सत्ता-परिवर्तन के बाद इस क्षेत्र में अमेरिका की भूमिका की ओर अभी तक हमारा ध्यान गया नहीं है. अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक विदेशमंत्री डोनाल्ड लू भारत का दौरा पूरा करके सोमवार तक बांग्लादेश में थे.

बताया जा रहा है कि उनकी इस यात्रा का उद्देश्य बांग्लादेश के ताजा हालात की समीक्षा करने के अलावा भारत और बांग्लादेश के बीच के मसलों को समझना भी है. शायद कड़वाहट को दूर करना भी. इस दौरान वे भारत-अमेरिका टू प्लस टू अंतर-सत्र वार्ता में भी शामिल हुए. दोनों देशों के बीच छठी वार्षिक टू प्लस टू वार्ता इस साल किसी वक्त वॉशिंगटन में होनी है.

टू प्लस टू

दोनों देशों के बीच 2018 से शुरू हुई ‘टू प्लस टू’ स्तर की वार्ता ने कई स्तर पर रिश्तों को पुष्ट किया है. पिछली वार्ता नवंबर में हुई थी, जिसमें भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन व रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भाग लिया.

Sunday, September 15, 2024

केजरीवाल के नाटकीय फैसले का मतलब


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अचानक इस्तीफा देने की घोषणा करके नाटकीयता तो जरूर पैदा कर दी है, पर इसकी वजह से वे सवालों के घेरे में भी आ गए हैं। पहला सवाल है कि उन्होंने तभी इस्तीफा क्यों नहीं दिया, जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था? दूसरा है कि अब दो दिन बाद क्यों, अभी क्यों नहीं? नए मुख्यमंत्री के आने तक उन्हें कार्यवाहक रहना ही है, वैसे ही जैसे वे अब खुद को कार्यवाहक के रूप में पेश कर रहे हैं। केजरीवाल और बातों के अलावा राजनीतिक-नाटकीयता के लिए भी पहचाने जाते हैं। इस मामले में भी भगत सिंह और माता सीता के रूपक जोड़कर उन्होंने मामले को नाटकीय बना दिया है।

अगला सवाल है कि नए मुख्यमंत्री का नाम कौन तय करेगा, केजरीवाल या विधायक दल? पर व्यावहारिक सच यह है कि केजरीवाल पार्टी हाईकमान हैं। नाम किसी का हो, पर फैसला उनका ही होगा।केजरीवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया पर भी वही आरोप हैं, जो मुझ पर हैं। उनका भी यही सोचना है कि वे भी पद पर नहीं रहेंगे, चुनाव जीतने के बाद ही पद संभालेंगे। ऐसा क्यों? वे जल्दी चुनाव चाहते हैं, तो विधानसभा भंग करने की सिफारिश क्यों नहीं कर रहे हैं? बात समझ में आती है कि गिरफ्तारी के समय उन्होंने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वे एक नैतिक और कानूनी सिद्धांत को साबित करना चाहते थे। और अब इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि उनकी नैतिकता उन्हें अग्निपरीक्षा के लिए प्रेरित कर रही है। इस अग्निपरीक्षा में सिसौदिया को शामिल करना जरूरी क्यों है? उनकी भी अग्निपरीक्षा होनी है, तो इसकी घोषणा उन्होंने खुद क्यों नहीं की?   

Wednesday, September 11, 2024

भारत की भू-राजनीतिक भूमिका और पाकिस्तान से रिश्ते


विदेश-नीति के मोर्चे पर एकसाथ कई बातें हो रही हैं, जिनमें भारत-पाकिस्तान रिश्तों को लेकर शुरू हुई सुगबुगाहट शामिल है. अगले महीने पाकिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया है. सवाल है कि क्या मोदी, पाकिस्तान जाएंगे?

उनका जाना और नहीं जाना, दोनों बातें दोनों देशों के रिश्तों के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगी. उनपर बात जरूर होनी चाहिए, पर उसके पहले वैश्विक-राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका से जुड़ी कुछ बातों पर रोशनी डालने की जरूरत भी है.

पिछले दिनों पीएम मोदी की यूक्रेन-यात्रा के बाद संभावनाएं बढ़ी हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत में भारत की भूमिका हो सकती है. अब खबर है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ब्रिक्स के एनएसए सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस जा रहे हैं. 10-12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में हो रहा, यह सम्मेलन प्रकारांतर से उसी उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने शनिवार को कहा कि भारत और चीन जैसे देश यूक्रेन के संघर्ष को सुलझाने में भूमिका निभा सकते हैं. उसके एक दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत जैसे दोस्तों की तारीफ की थी, जो मौजूदा संघर्ष का हल निकालना चाहते हैं.

व्लादीवोस्तक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में एक पैनल चर्चा के दौरान पुतिन ने कहा कि भारत, ब्राजील और चीन संघर्ष का हल निकालने में भूमिका निभा सकते हैं. उनकी यह टिप्पणी उन संभावित देशों के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में आई जो रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं.

Wednesday, September 4, 2024

तालिबानी कानून और वैश्विक-मान्यता से जुड़ी राजनीति


अफगानिस्तान में तालिबान ने 19 अगस्त को अपनी विजय की तीसरी और स्वतंत्रता की 105वीं वर्षगाँठ मनाई. दोनों समारोहों की तुलना में ज्यादा सुर्खियाँ एक तीसरी खबर को मिलीं.

तालिबान ने 21 अगस्त को 35 अनुच्छेदों वाले एक नए कानून की घोषणा की  है, जिसमें शरिया की उनकी कठोर व्याख्या के आधार पर जीवन से जुड़े कार्य-व्यवहार और जीवनशैली पर प्रतिबंधों का विवरण है. नए क़ानून को सर्वोच्च नेता हिबातुल्ला अखुंदज़ादा ने मंज़ूरी दी है, जिसे लागू करने की ज़िम्मेदारी नैतिकता मंत्रालय की है.

दुनियाभर में आलोचना के बावजूद अफगानिस्तान के शासक इन नियमों को उचित बता रहे हैं. तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक बयान में उन लोगों के अहंकारके खिलाफ चेतावनी दी है, जो इस्लामी शरिया से परिचित नहीं हैं, फिर भी आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं.

वे मानते हैं कि बिना समझ के इन कानूनों को अस्वीकार करना, अहंकार है. दूसरी तरफ मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी तक का विचार है कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों और स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा की जरूरत है.