Wednesday, December 27, 2023

बाइडेन-यात्रा जैसा ही महत्वपूर्ण है, मैक्रों का गणतंत्र-सम्मान


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की यात्रा रद्द होने के बाद देश के गणतंत्र-दिवस समारोह में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के आगमन की घोषणा के भी राजनयिक-निहितार्थ हैं. वहाँ की आंतरिक-राजनीति में भारत के प्रति नकारात्मक भावनाएं वैसी नहीं हैं, जैसी अमेरिका में हैं.

बाइडेन का कार्यक्रम रद्द होने में जहाँ अमेरिका के राजनीतिक-अंतर्विरोधों की भूमिका है, वहीं मैक्रों के दौरे का मतलब है भारत-फ्रांस रिश्तों का एक और पायदान पर पहुँचना. मैक्रों के दौरे की इस त्वरित-स्वीकृति से भारत के डिप्लोमैटिक  कौशल की पुष्टि भी हुई है.

त्वरित-स्वीकृति

फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने जिस तेजी से समय के रुख को पहचानते हुए मैक्रों के दौरे की पुष्टि कराने में सफलता प्राप्त की है, वह उल्लेखनीय है. मैक्रों की इस यात्रा से नरेंद्र मोदी को बास्तील-दिवस परेड की प्रतिध्वनि आ रही है.

राष्ट्रपति मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाले छठे फ्रांसीसी नेता होंगे. फ्रांस एकमात्र देश है, जिसके नेताओं को इतनी बार गणतंत्र दिवस परेड का मुख्‍य अतिथि बनाया गया है.

गणतंत्र दिवस की आगामी परेड इसलिए विशेष है, क्योंकि उसमें केवल महिलाएं शामिल होंगी. भारत सरकार ने इस अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने असमर्थता जताई. संभवतः बाइडेन अगले साल के ‘स्टेट ऑफ द यूनियन' संबोधन में हमस-इजराइल संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.

रिश्तों की गहराई

फ्रांसीसी राष्ट्रपति के दौरे से यह बात स्पष्ट होगी कि भारत और फ्रांस के रिश्तों की गहराई क्रमशः बढ़ती जा रही है और यूरोप में वह हमारा सबसे बड़ा मित्र देश है. यह दूसरा मौका होगा, जब अमेरिकी राष्ट्रपति का दौरा रद्द होने पर उनका स्थान फ्रांस के नेता लेंगे.

1975 में भारत में आपातकाल की घोषणा के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड ने अपनी भारत यात्रा स्थगित कर दी थी. पश्चिम में भारत के प्रति कटुता बढ़ रही थी, इसके बावजूद जनवरी 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री याक शिराक गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बनकर आए.

शिराक के बाद निकोलस सरकोज़ी, फ्रांस्वा होलां से लेकर इमैनुएल मैक्रों तक सभी राष्ट्रनेताओं ने भारत के साथ रिश्ते बनाकर रखे है. भारत के गणतंत्र समारोह में फ्रांस के छह राष्ट्रनेता भाग ले चुके हैं. किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्षों की यह सबसे बड़ी संख्या है.

Wednesday, December 20, 2023

अमेरिकी राजनीति की लपेट में रद्द हुई बाइडेन की भारत-यात्रा


अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली नहीं आएंगे. पहले यह बात केवल मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से सुनाई पड़ी थी, पर अब आधिकारिक रूप से भी बता दिया गया है. यात्रा का इस तरह से रद्द होना, राजनयिक और राजनीतिक दोनों लिहाज से अटपटा है.

बाइडेन की यात्रा की बात औपचारिक रूप से घोषित भी नहीं की गई थी, पर भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने गत 20 सितंबर को उत्साह में आकर इस बात की जानकारी एक पत्रकार को दे दी थी. बहरहाल अब दोनों देशों के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रस्तावित यात्रा नहीं होगी.

गणतंत्र की प्रतिष्ठा

गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनना भारत की ओर से अतिथि को दिया गया बड़ा राजनयिक सम्मान है. भारत की राजनयिक गतिविधियों में अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा को उच्चतम स्तर दिया जाता है. ऐसे कार्यक्रमों की घोषणा तभी की जाती है, जब हर तरफ से आश्वस्ति हो, ताकि बाद में शर्मिंदगी न हो.  

बताते हैं कि सितंबर में दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडेन को भारत-यात्रा की निमंत्रण दिया था. बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में इस निमंत्रण की जानकारी नहीं थी, पर अमेरिकी राजदूत ने एक भारतीय पत्रकार को बता दिया कि बाइडेन को गणतंत्र दिवस-2024 के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.

रिश्ते बिगड़ेंगे नहीं

अमेरिका के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार जेक सुलीवन ने अब कहा है कि जो बाइडेन अब भारत नहीं आ सकेंगे, पर भारत के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करने में उनकी निजी दिलचस्पी बदस्तूर बनी रहेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी व्यक्तिगत दोस्ती है, जो आने वाले समय में भी जारी रहेगी.

यात्रा का रद्द होना उतनी बड़ी घटना नहीं है, जितनी उसके साथ जुड़ी दूसरी बातें हैं. भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ करने में भारत से ज्यादा अमेरिका की दिलचस्पी है. अमेरिका के दोनों राजनीतिक दल चीन के खिलाफ भारत को समर्थन देने के पक्षधर हैं, पर इस समय यात्रा रद्द होने के पीछे भी वहाँ की आंतरिक रस्साकशी की भूमिका है.

Wednesday, December 13, 2023

भारत-अमेरिका रिश्तों पर पन्नू-निज्जर प्रसंगों की छाया

दिल्ली में एनआईए के प्रमुख के साथ एफबीआई के प्रमुख 

अमेरिका में खालिस्तानी-अलगाववादी गतिविधियों और गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश से जुड़े एक मामलों को लेकर दोनों देशों के गुपचुप-मतभेद जरूर सामने आए हैं, पर इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ जाएगी. अलबत्ता इन मामलों से भारत की प्रतिष्ठा जुड़ी है.

बावजूद इसके बातें इतनी बड़ी नहीं हैं कि दोनों देशों के रिश्तों में बिगाड़ पैदा हो जाए. पन्नू-प्रसंग से मिलता-जुलता मामला कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा है. इन दोनों मामलों को लेकर भारत की खुफिया एजेंसी की प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े हुए हैं. दूसरी तरफ भारत के सामने खालिस्तानी चरमपंथियों को काबू करने की चुनौतियाँ भी है.

अमेरिका को चीनी चुनौती का सामना करने के लिए भारत की जरूरत है. एशिया में भारत ही अमेरिका के काम आ सकता है. ऐसा भारत की भौगोलिक स्थिति के अलावा आर्थिक और सामरिक मजबूती की वजह से भी है. भारत को भी अमेरिका की जरूरत है, क्योंकि वह दो ऐसे देशों से घिरा है, जो उसे अज़ली दुश्मन मानते हैं.

Tuesday, December 12, 2023

राजनीति की लोकलुभावन गारंटियाँ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में विकसित भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बातचीत करने के बाद कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि मोदी की गारंटी में दम है। गारंटी से उनका आशय उस भरोसे से है, जो उनकी कार्यशैली से जुड़ा है। सिद्धांततः वे लोकलुभावन राजनीति के विरोधी हैं। पिछले साल एक सभा में उन्होंने कहा था कि लोकलुभावन राजनीति के नाम पर मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँटने की संस्कृति पर रोक लगनी चाहिए। वे यह बात गुजरात के चुनाव के संदर्भ में कह रहे थे, जहाँ आम आदमी पार्टी भी प्रवेश पाने की कोशिश कर रही थी।

इसी रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि समाज में जिस तथाकथित मुफ्त उपहार की ‘अंधी दौड़’ देखने को मिल रही है, उसकी राजनीति खर्च करने संबंधी प्राथमिकताओं को विकृत कर देती है। बहरहाल इन दिनों गारंटी शब्द इतना लोकप्रिय हो रहा है कि इसबार भाजपा ने छत्तीसगढ़ के लिए अपने घोषणापत्र को 'मोदी की गारंटी' नाम दिया। मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत के पीछे ‘लाड़ली बहना’ योजना का हाथ बताया जा रहा है। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं को हर महीने 1,250 रुपये देती है।

मोदी की भाजपा ने ही नहीं, हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस ने चार राज्यों में और तेलंगाना में बीआरएस ने भी गारंटियों की झड़ी लगा दी। इन वायदों में एलपीजी सिलेंडर रिफिल पर भारी सब्सिडी, स्त्रियों को हर महीने धनराशि वगैरह-वगैरह शामिल हैं। इस साल मई हुए में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के पीछे पाँच गारंटियों की बड़ी भूमिका थी। पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में गृह ज्योति, गृह लक्ष्मी, अन्न भाग्य, युवा निधि एवं शक्ति की पाँच गारंटियाँ दी थीं। गृह ज्योति के तहत 200 यूनिट निशुल्क बिजली, गृह लक्ष्मी में परिवार की मुखिया को दो हजार रुपये, अन्न भाग्य में दस किलोग्राम अनाज, युवा निधि में बेरोजगार स्नातकों को तीन हजार और डिप्लोमाधारियों को डेढ़ हजार रुपये महीने, शक्ति योजना के तहत महिलाओं को राज्य भर में सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा की गारंटी थी।  

Sunday, December 10, 2023

सेमीफाइनल बीजेपी के नाम


बीजेपी की जीत के बाद दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं लगातार कहता रहा हूं कि मेरे लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं। मैं जब इन जातियों की बात करता हूं, तो इसमें स्त्रियाँ, युवा, किसान और गरीब परिवार हैं। इन चार जातियों को सशक्त करने से ही देश सशक्त होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इस हैट्रिक ने लोकसभा चुनाव की हैट्रिक की गारंटी दे दी है।

तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत के बाद लगता है कि बीजेपी अब लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करेगी। 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में हार गई थी, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में इन्हीं राज्यों से पार्टी को जबर्दस्त सफलता मिली। इस लिहाज से वह पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में है, पर उसके सामने इसबार इंडी या इंडिया गठबंधन होगा। सच यह भी है कि इंड गठबंधन खुद अंतर्विरोधों का शिकार है। बीजेपी की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं। मजबूत नेतृत्व, संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक-आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह। इनमें शुक्रिया मोदीजी को भी जोड़ लीजिए।

माना जाता है कि राज्यों के चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की प्रतिष्ठा और राज्य से जुड़े दूसरे मसले भी होते हैं, पर लोकसभा चुनाव में मोदी का जादू काम करता है। बहरहाल इसबार के विधानसभा चुनावों में भी मोदी की गारंटी ने काम किया है। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25, छत्तीसगढ़ में 11, तेलंगाना में 17 और मिज़ोरम में एक सीट है। इन सीटों को जोड़ दिया जाए तो इनका योग 83 हो जाता है। इन परिणामों के निहितार्थ और 2024 के चुनावों पर पड़ने वाले असर के लिहाज से देखने के लिए यह समझना जरूरी है कि बीजेपी की इस असाधारण सफलता के पीछे के कारण क्या हैं।