ईरान पर हुए इसराइली हमलों और जवाब में ईरानी हमलों ने दो बातों की ओर ध्यान खींचा है. क्या वजह है कि इसराइल ने इस वक्त हमलों की शुरुआत की है? दूसरे, ईरान इनका किस हद तक जवाब देगा, और अब यह टकराव कहाँ जाकर रुकेगा?
इसबार अमेरिका
और इसराइल फौजी और डिप्लोमेसी के मिले-जुले हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसराइली हमले के साथ ही ट्रंप ने ईरान से कहा है कि हमारी शर्तों को मान जाओ,
वर्ना तबाही आपके सिर पर मंडरा रही है.
अमेरिका और इसराइल
चाहते हैं कि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ दे. ईरानी नेतृत्व 2015 की तरह कार्यक्रम रोकने को तैयार है, त्यागने को
नहीं. अमेरिका के साथ ओमान में चल रही ईरान की वार्ता का छठा दौर 15 जून को होना
था, जो रद्द हो गया.
ईरान का कहना
है कि वार्ता का अब कोई मतलब नहीं है. पता नहीं कि भविष्य में क्या होगा. युद्ध भी एक किस्म की डिप्लोमेसी है और डिप्लोमेसी कभी खत्म नहीं होती. युद्ध जारी रहते हुए भी नए
सिरे से बातचीत की संभावनाओं को नकारा भी नहीं जा सकता.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ईरान को
कड़ी चेतावनी और इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा सर्वोच्च नेता
को खत्म करने की बात कहने के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला
अली खामनेई ने एक्स पर पोस्ट में चेतावनी दी है, महान हैदर
के नाम पर, लड़ाई
शुरू होती है.
उधर ईरान के अर्ध-सरकारी मीडिया मेहर समाचार
एजेंसी ने एक्स पर पुष्टि की है कि ईरानी सेना ने बुधवार को तेल अवीव पर फत्तह-1
मिसाइल दागी है. फत्तह एक हाइपरसोनिक मिसाइल है जो मैक 5, या
ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक (लगभग 3,800 मील प्रति घंटा,
6,100 किलोमीटर प्रति घंटा) से यात्रा करती है.
बीबीसी ने सरकारी प्रेस टीवी के हवाले से बताया, इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कोर (आईआरजीसी) ने ऑपरेशन के नवीनतम चरण को एक 'टर्निंग पॉइंट' बताया है और कहा है कि पहली पीढ़ी की फत्तह मिसाइलों की तैनाती ने इसराइल की 'काल्पनिक' मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए 'अंत की शुरुआत' को चिह्नित किया है.