Wednesday, June 28, 2023

प्राइवेट-सेना की बगावत से स्तब्ध रूसी रणनीतिकार


यूक्रेन में लड़ रही रूसी सेनाओं के अभियान को पिछले शुक्रवार और शनिवार को अचानक उस समय धक्का लगा, जब उसका साथ दे रही वागनर  ग्रुप की प्राइवेट सेना ने बगावत कर दी. आग को हवा देने का काम किया राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस घोषणा ने कि वागनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोज़िन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी.

हालांकि बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से बगावत थम गई है, पर उससे जुड़े सवाल सिर उठाएंगे. रूसी सेना यूक्रेन में लंबी लड़ाई की रणनीति पर चल रही थी, ताकि पश्चिमी देश थककर हार मान लें, पर उसकी रणनीति विफल साबित हो रही है. उल्टे पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन ने अपनी पकड़ बना ली है और रूसी सेना थकती नज़र आ रही है.

प्रिगोज़िन के साथ डील

बगावती प्राइवेट-सेना एक डील के तहत ही पीछे हटी है. रूसी सरकार ने प्रिगोज़िन को बेलारूस तक जाने के लिए सुरक्षित रास्ता देने की घोषणा की है. उनके सैनिकों को किसी भी प्रकार की सजा नहीं दी जाएगी, और उन्हें रूसी सेना के साथ एक कांट्रैक्ट पर दस्तखत करने का मौका दिया जाएगा.

सवाल है कि वागनर के सैनिक अब युद्धस्थल पर जाएंगे, तो क्या उनपर पूरा  भरोसा होगा? यदि उन्हें हाशिए पर डाला गया, तो करीब तीस से पचास हजार के बीच हार्डकोर लड़ाकों की कमी कैसे पूरी की जाएगी? एक अनुमान है कि अब पुतिन अपने रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू का पत्ता भी साफ करेंगे, जो पिछले एक दशक से उनके विश्वस्त रहे हैं. इससे पूरी सेना की व्यवस्था गड़बड़ हो जाएगी.

Monday, June 26, 2023

पीएम मोदी की अमेरिका-यात्रा से भारत की हाईटेक-क्रांति का रास्ता खुला


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा को कम से कम तीन सतह पर देखने समझने की जरूरत है. एक सामरिक-तकनीक सहयोग. दूसरे उन नाज़ुक राजनीतिक-नैतिक सवालों के लिहाज से, जो भारत में मोदी-सरकार के आने के बाद से पूछे जा रहे हैं. तीसरे वैश्विक-मंच पर भारत की भूमिका से जुड़े हैं. इसमें दो राय नहीं कि भारतीय शासनाध्यक्षों के अमेरिका-दौरों में इसे सफलतम मान सकते हैं.  

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन में कहा, भारत-अमेरिका सहयोग का यह नया सूर्योदय है, भारत बढ़ेगा, तो दुनिया बढ़ेगी. यह एक नज़रिया है, जिसके अनेक अर्थ हैं. भारत में आया बदलाव तमाम विकासशील देशों में बदलाव का वाहक भी बनेगा.

राजनीति में आमराय

अमेरिकी राजनीति में भी भारत के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने के पक्ष में काफी हद तक आमराय देखने को मिली है. वहाँ की राजनीति में भारत और खासतौर से नरेंद्र मोदी के विरोधियों की संख्या काफी बड़ी है. उनके कटु आलोचक भी इसबार अपेक्षाकृत खामोश थे. कुछ सांसदों ने उनके भाषण का बहिष्कार किया और एक पत्र भी जारी किया, पर उसकी भाषा काफी संयमित थी.

'द वाशिंगटन पोस्ट' ने लिखा, अमेरिकी सांसदों ने सदन में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और खड़े होकर उनका जोरदार अभिवादन किया. जब वे तो दीर्घा में कुछ लोग मोदी-मोदी के नारे लगाए.  कई सांसद उनसे हाथ मिलाने के लिए कतार में खड़े थे.

अखबार ने यह भी लिखा कि मोदी की इस चमकदार-यात्रा का शुक्रवार को इस धारणा के साथ समापन हुआ कि जब अमेरिका के सामरिक-हितों की बात होती है, तो वे मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों पर मतभेदों को न्यूनतम स्तर तक लाने के तरीके खोज लेते हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट मोदी सरकार के सबसे कटु आलोचकों में शामिल हैं, पर इस यात्रा के महत्व को उसने भी स्वीकार किया है. मोदी के दूसरे कटु आलोचक 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपने पहले पेज पर अमेरिकी कांग्रेस में 'नमस्ते' का अभिवादन करते हुए नरेंद्र मोदी फोटो  छापी है. ऑनलाइन अखबार हफपोस्ट ने लिखा कि नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा की आलोचना करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

Sunday, June 25, 2023

भारत-अमेरिका रिश्तों का सूर्योदय


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय-यात्रा और उसके बाद मिस्र की यात्रा का महत्व केवल इन दोनों देशों के साथ रिश्तों में सुधार ही नहीं है, बल्कि वैश्विक-मंच पर भारत के आगमन को रेखांकित करना भी है। वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का भारत को लेकर दृष्टिकोण नया नहीं है। उन्होंने पहले सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में और बाद में जब वे बराक ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति थे, अमेरिका की भारत-समर्थक नीतियों को आगे बढ़ाया। उपराष्ट्रपति बनने के काफी पहले सन 2006 में उन्होंने कहा था, ‘मेरा सपना है कि सन 2020 में अमेरिका और भारत दुनिया में दो निकटतम मित्र देश बनें।’ उन्होंने ही कहा था कि भारत-अमेरिकी रिश्ते इक्कीसवीं सदी को दिशा प्रदान करेंगे। इस यात्रा के दौरान जो समझौते हुए हैं, वे केवल सामरिक-संबंधों को आगे बढ़ाने वाले ही नहीं हैं, बल्कि अंतरिक्ष-अनुसंधान, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमी-कंडक्टर और एडवांस्ड आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नए दरवाजे खोलने जा रहे हैं। कुशल भारतीय कामगारों के लिए वीज़ा नियमों में ढील दी जा रही है। अमेरिका असाधारण स्तर के तकनीकी-हस्तांतरण के लिए तैयार हुआ है, वहीं आर्टेमिस समझौते में शामिल होकर भारत अब बड़े स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान में शामिल होने जा रहा है। भारत के समानव गगनयान के रवाना होने के पहले या बाद में भारतीय अंतरिक्ष-यात्री किसी अमेरिकी कार्यक्रम में शामिल होकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर काम करें। अमेरिका के साथ 11 देशों के खनिज-सुरक्षा सहयोग में शामिल होने के व्यापक निहितार्थ हैं। इस क्षेत्र में चीन की इज़ारेदारी खत्म करने के लिए यह सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। रूस और चीन के साथ भारत के भविष्य के रिश्तों की दिशा भी स्पष्ट होने जा रही है। भारत में अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार से जुड़े कुछ सवालों पर भी इस दौरान चर्चा हुई और प्रधानमंत्री मोदी ने पैदा की गई गलतफहमियों को भी दूर किया।

स्टेट-विज़िट

यह तीसरा मौका था, जब भारत के किसी नेता को अमेरिका की आधिकारिक-यात्रा यानी स्टेट-विज़िटपर बुलाया गया था। अमेरिका को चीन के बरक्स संतुलन बनाने के लिए भारत की जरूरत है। भारत को भी बदलती अमेरिकी तकनीक, पूँजी और राजनयिक-समर्थन चाहिए। अमेरिका अकेला नहीं है, उसके साथ कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देश हैं। जिस प्रकार के समझौते अमेरिका में हुए हैं, वे एक दिन में नहीं होते। उनकी लंबी पृष्ठभूमि होती है। प्रधानमंत्री की यात्रा के कुछ दिन पहले अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आए थे। उनके साथ बातचीत के बाद काफी सौदों की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी थी। जनवरी में भारत के रक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिकी रक्षा सलाहकार जेक सुलीवन ने इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसेट) को लॉन्च किया था। पश्चिमी देश इस बात को महसूस कर रहे हैं कि भारत की रूस पर निर्भरता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उन्होंने भारत की उपेक्षा की। इस यात्रा के ठीक पहले भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण पर सहमति बनी। भारत के दौरे पर आए जर्मन रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि भारत का रूसी हथियारों पर निर्भर रहना जर्मनी के हित में नहीं है।

रिश्तों की पृष्ठभूमि

भारत-अमेरिका रिश्तों के संदर्भ में बीसवीं और इक्कीसवीं सदी का संधिकाल तीन महत्वपूर्ण कारणों से याद रखा जाएगा। पहला, भारत का नाभिकीय परीक्षण, दूसरा करगिल प्रकरण और तीसरे भारत और अमेरिका के बीच लंबी वार्ताएं। सबसे मुश्किल काम था नाभिकीय परीक्षण के बाद भारत को वैश्विक राजनीति की मुख्यधारा में वापस लाना। नाभिकीय परीक्षण करके भारत ने निर्भीक विदेश-नीति की दिशा में सबसे बड़ा कदम अवश्य उठाया था, पर उस कदम के जोखिम भी बहुत बड़े थे। ऐसे नाजुक मौके में तूफान में फँसी नैया को किनारे लाने का एक विकल्प था कि अमेरिका से रिश्तों को सुधारा जाए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को एक पत्र लिखा, हमारी सीमा पर एटमी ताकत से लैस एक देश बैठा है, जो 1962 में हमला कर भी चुका है। हालांकि उसके साथ हमारे रिश्ते सुधरे हैं, पर अविश्वास का माहौल है। इस देश ने हमारे एक और पड़ोसी को एटमी ताकत बनने में मदद की है। अमेरिका भी व्यापक फलक पर सोच रहा था, तभी तो उसने उस पत्र को सोच-समझकर लीक किया।

Saturday, June 24, 2023

प्राइवेट-सेना की बगावत से यूक्रेन-युद्ध में रूस साँसत में

वागनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोज़िन

यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूसी सेना अचानक अपने ही सहयोगी
वागनर-ग्रुप की बगावत के कारण अर्दब में आ गई है। वागनर ग्रुप एक प्रकार की प्राइवेट सेना है, जो अभी तक रूसी सेना के साथ यूक्रेन के युद्ध में शामिल रही है। अब लड़ाई में आधिकारिक सेना और भाड़े के इन सैनिकों के बीच टकराव पैदा हो गया है। इनके ज्यादातर लड़ाके रूसी जेलों से निकालकर लाए गए हैं। पश्चिमी देशों के मीडिया के अनुसार लड़ाई अब ऐसे मुकाम पर आ गई है, जहाँ राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सत्ता को सीधे चुनौती मिलने जा रही है। राष्ट्रपति पुतिन ने वागनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोज़िन पर आरोप लगाया है कि वे सशस्त्र विद्रोह कर रूस को धोखा दे रहे हैं। पुतिन ने कहा है कि उन्होंने देश की पीठ में छुरा घोंपा है।

उधर प्रिगोज़िन का कहना है कि हमारा उद्देश्य सैन्य विद्रोह नहीं है, हम केवल न्याय के लिए अभियान छेड़ रहे हैं। यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध के दौरान संघर्ष की कमान संभाल रहे सेना प्रमुखों से उनका विवाद नया नहीं है, लेकिन अब इस विवाद ने विद्रोह की शक्ल ले ली है। पूर्वी यूक्रेन की सीमा के पास तैनात वागनर ग्रुप के लड़ाके सीमा पारकर दक्षिणी रूस के शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में प्रवेश कर गए हैं। उनका दावा है कि उन्होंने वहां मौजूद सैन्य ठिकानों को अपने नियंत्रण में ले लिया है।

पिछले साल लड़ाई शुरू होने के बाद पश्चिमी मीडिया में खबरें थीं कि रूस ने वागनर ग्रुप के 400 लड़ाकों को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की हत्या करने के लिए भेजा है। इसके पहले से ही यूक्रेन आरोप लगाता रहा है कि रूस ने इस प्राइवेट सेना को पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क और दोनेत्स्क इलाकों में भेजा है। यूक्रेन में यह समूह 2014 में पहली बार प्रकट हुआ था। रूस ने इस प्राइवेट सेना का इस्तेमाल सीरिया, लीबिया, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, माली, उत्तरी और सब-सहारा अफ्रीका में भी किया है। वैधानिक तरीके से इसे रूस की सेना नहीं कहा जा सकता, पर यह भी रूसी सेना है। पिछले साल दिसंबर में यूरोपियन यूनियन ने इस समूह पर भी पाबंदियाँ लगाई थीं।

Thursday, June 22, 2023

विरोधी-एकता को लेकर पटना की बैठक के पहले उठते सवाल


अगले आम चुनाव की रणनीति बनाने के लिए 23 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के लिए जारी तैयारियों के बीच खींचतान के भी संकेत मिल रहे हैं। यह खींचतान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से जुड़ी है। आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक चिट्ठी लिख कर कहा है कि मीटिंग में सबसे पहले 'दिल्ली अध्यादेश' पर बात होनी चाहिए। वहीं इस बैठक में ममता बनर्जी के भाषण पर सबका ध्यान रहेगा। इस बैठक में देश भर से 20 विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता शामिल हो रहे हैं, जिसमें बीजेपी के ख़िलाफ़ एक साझा एक्शन प्लान पर बात होनी है। बीजू जनता दल, तेलुगु देसम, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल जैसी कुछ पार्टियों ने इस एकता में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

यह बैठक भले ही बुलाई नीतीश कुमार ने है, पर उन्हें ममता बनर्जी ने प्रेरित किया है। विरोधी दलों की एकता पर सभी दलों की सिद्धांततः सहमति है, पर नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव के दृष्टिकोण कुछ अलग हैं। चंद्रशेखर राव तो इस बैठक में शामिल ही नहीं हो रहे हैं। सब जानते हैं कि तेलंगाना में उनका मुकाबला कांग्रेस पार्टी से है।

Wednesday, June 21, 2023

भारत-अमेरिका सहयोग की लंबी छलाँग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं. यह यात्रा अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, और उसके व्यापक राजनयिक निहितार्थ हैं. यह तीसरा मौका है, जब भारत के किसी नेता को अमेरिका की आधिकारिक-यात्रा यानी स्टेट-विज़िटपर बुलाया गया है.

इस यात्रा को अलग-अलग नज़रियों से देखा जा रहा है. सबसे ज्यादा विवेचन सामरिक-संबंधों को लेकर किया जा रहा है. अमेरिका कुछ ऐसी सैन्य-तकनीकें भारत को देने पर सहमत हुआ है, जो वह किसी को देता नहीं है. कोई देश अपनी उच्चस्तरीय रक्षा तकनीक किसी को देता नहीं है. अमेरिका ने भी ऐसी तकनीक किसी को दी नहीं है, पर बात केवल इतनी नहीं है. यात्रा के दौरान कारोबारी रिश्तों से जुड़ी घोषणाएं भी हो सकती हैं.

सहयोग की नई ऊँचाई

इक्कीसवीं सदी के पिछले 23 वर्षों में भारत-अमेरिका रिश्तों में क्रमबद्धता है. उसी श्रृंखला में यह यात्रा रिश्तों को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी. आमतौर पर माना जा रहा है कि अमेरिका को चीन के बरक्स संतुलन बनाने के लिए भारत की जरूरत है. दूसरी तरफ भारत को भी बदलती वैश्विक-परिस्थितियों में अमेरिकी तकनीक, पूँजी और राजनयिक-समर्थन की जरूरत है.

प्रधानमंत्री की यात्रा के कुछ दिन पहले अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आए थे. अनुमान है कि उनके साथ बातचीत के बाद काफी सौदों की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है. इसी साल जनवरी में भारत के रक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिकी रक्षा सलाहकार जेक सुलीवन ने इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसेट) को लॉन्च किया था. तकनीकी सहयोग के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण पहल है.

भारत की रक्षा खरीद परिषद ने गत 15 जून को जनरल एटॉमिक्स से 30 प्रिडेटर ड्रोन खरीद के सौदे को स्वीकृति दे दी. इन 30 में से 14 नौसेना को मिलेंगे. हिंद महासागर में भारत की बढ़ती भूमिका के मद्देनज़र यह खरीद काफी महत्वपूर्ण है. नौसेना ने 2020 में दो एमक्यू-9ए ड्रोन पट्टे पर लिए थे, जिन्होंने पिछले साल तक 10 हजार घंटों की उड़ानें भर ली थीं.

मोदी की यात्रा के दौरान संभावित सामरिक-सौदों के अनुमान भारत की रक्षा-खरीद परिषद के फैसलों से लगाए जा सकते हैं. कुछ सौदों का अनुमान लगाया नहीं जा सकता, क्योंकि उनके साथ गोपनीयता की शर्तें होती हैं. अलबत्ता लड़ाकू जेट विमानों के लिए जनरल इलेक्ट्रिक इंजनों के भारत में निर्माण का समझौता उल्लेखनीय होगा.

भारत को विमानवाहक पोतों पर तैनात करने के लिए लड़ाकू विमानों की जरूरत है, जो रूसी मिग-29के की जगह लेंगे. इसके लिए फ्रांसीसी राफेल और अमेरिका के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट के परीक्षण हो चुके हैं. देखना होगा कि दोनों में से कौन से विमान का चयन होता है.

भारत के लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक बाधा स्वदेशी हाई थ्रस्ट जेट इंजन कावेरी के विकास में आए अवरोधों ने पैदा की है. जीई के इंजन को तेजस मार्क-2 में लगाया जाएगा और दो इंजन वाले पाँचवीं पीढ़ी के विमान एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एम्का) में भी जीई के इंजनों का इस्तेमाल होगा.

सबसे बड़ी जरूरत रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता से जुड़ी है. इस दौरान भारत अपने कावेरी इंजन का उत्तरोत्तर विकास करेगा. इसके साथ ही फ्रांस के सैफ्रान और ब्रिटेन के रॉल्स रॉयस के साथ भी जेट इंजन विकास की बातें चल रही हैं.

पश्चिमी देश अब इस बात को महसूस कर रहे हैं कि भारत की रूस पर निर्भरता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि हमने उसकी उपेक्षा की. ताजा खबर है कि भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण का समझौता होने जा रहा है. हाल में भारत के दौरे पर आए जर्मन रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने  डॉयचे वेले (जर्मन रेडियो) को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत का रूसी हथियारों पर निर्भर रहना जर्मनी के हित में नहीं है.

Monday, June 19, 2023

लोकसभा चुनाव से पहले फिर छिड़ेगी आरक्षण की बहस

लोकसभा चुनाव आने के पहले देश में जाति के आधार पर आरक्षण की बहस एकबार फिर से छिड़ने की संभावना है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि हम आरक्षण का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा करेंगे। कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने नारा लगाया,  ‘जितनी आबादी, उतना हक। वस्तुतः यह बसपा के संस्थापक कांशी राम के नारे का ही एक रूप हैजिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जातीय आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक रखी है, उसे खत्म करना चाहिए। 

इसके पहले रायपुर में हुए पार्टी महाधिवेशन में इस आशय का एक प्रस्ताव पास भी किया गया था। कर्नाटक चुनाव के ठीक पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने 3 अप्रेल को सामाजिक न्याय का नया मोर्चा बनाने की घोषणा की थी, जिसके पीछे विरोधी दलों की एकता कायम करना था। साथ ही इस एकता के पीछे ओबीसी तथा दलित जातियों के हितों के कार्य को आगे बढ़ाना था। बिहार की जातिगत जनगणना भी इसी का एक हिस्सा थी।

ओबीसी राजनीति का यह आग्रह केवल विरोधी दलों की ओर से ही नहीं है, बल्कि अब भारतीय जनता पार्टी भी इसमें पूरी ताकत से शामिल है। अगले साल चुनाव के ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर का एक हिस्सा जनता के लिए खोल दिया जाएगा। राम मंदिर का ओबीसी राजनीति से टकराव नहीं है, क्योंकि ओबीसी जातियाँ प्रायः मंदिर निर्माण के साथ रही हैं। बिहार में इस समय नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की राजनीति के समांतर बीजेपी की सोशल इंजीनियरी भी चल रही है।

Sunday, June 18, 2023

भारत की विलक्षण ‘सॉफ्ट पावर’ योग


पिछले आठ साल से दुनिया भर में पूरे उत्साह से मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने भारत की सॉफ्ट पावरको मज़बूती दी है। 21 जून 2015 को, जिस दिन पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 37,000 लोगों के साथ योग का प्रदर्शन किया। यह असाधारण परिघटना थी, पर अकेली नहीं थी। ऐसे तमाम प्रदर्शन दुनिया के देशों में हुए थे। उस अवसर पर दुनिया के हर कोने से, योग-प्रदर्शन की तस्वीरें आईं थीं। अब प्रधानमंत्री 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, और उसके व्यापक राजनयिक निहितार्थ हैं, पर फिलहाल यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि न्यूयॉर्क स्थित संरा मुख्यालय में वे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करेंगे। यह भारत की सॉफ्ट पावर है। सॉफ्ट पावर का मतलब है बिना किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती के दूसरों को प्रभावित करना। योग के मार्फत दुनिया का बदलते भारत से परिचय हो रहा है। योग के सैकड़ों कॉपीराइट दुनिया भर में कराए गए हैं। भारत में जन्मी इस विद्या के बहुत से ट्रेडमार्क दूसरे देशों के नागरिकों ने तैयार कर लिए हैं। एक उद्यम के रूप में भी योग विकसित हो रहा है। यह दुनिया को भारत का वरदान है।

हमारी सॉफ्ट पावर

भारत के पास प्राचीन संस्कृति और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत है। हम अपनी इस विरासत को दुनिया के सामने अच्छी तरह पेश करें तो देश की छवि अपने आप निखरती जाएगी। इसी तरह भारत में बौद्ध संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यह संस्कृति जापान, चीन, कोरिया और पूर्वी एशिया के कई देशों को आकर्षित करती है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन हमारी सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा। गूगल के तत्कालीन कार्याधिकारी अध्यक्ष एरिक श्मिट ने कुछ साल पहले कहा था कि आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाज़ार बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बरसों में इंटरनेट पर जिन तीन भाषाओं का दबदबा होगा वे हैं- हिंदी, मंडारिन और अंग्रेजी। जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों का वैश्विक-प्रसार अमेरिका की सॉफ्ट पावर है, तो, भारत के लिए यही काम योग करता है। अगले एक दशक में योग की इस ताक़त को आप राष्ट्रीय शक्ति के रूप में देखेंगे। योग यानी भारत की शक्ति। विदेश नीति का लक्ष्य होता है राष्ट्रीय हितों की रक्षा। इसमें देश की फौजी और आर्थिक शक्ति से लेकर सांस्कृतिक शक्ति तक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे इन दिनों ‘सॉफ्ट पावर’ कहते हैं। अमेरिका की ताकत केवल उसकी सेना की ताकत नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था, नवोन्मेषी विज्ञान-तकनीक और यहाँ तक कि उसकी संस्कृति और जीवन शैली ताकत को साबित करती है। करवट बदलती दुनिया में भारत भी अपनी भूमिका को स्थापित कर रहा है।

Wednesday, June 14, 2023

राष्ट्रीय-प्रतिष्ठा से जुड़ी है ‘कोहिनूर’ और पुरावस्तुओं की वापसी


हाल में भारतीय संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘कोहिनूर’ हीरे को वापस लाने की भारत की माँग जायज़ है. हालांकि हाल के वर्षों में संस्कृति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की कोशिशों से भारत की पुरानी कलाकृतियाँ और पुरातात्विक वस्तुएं देश में आई हैं, फिर भी ‘कोहिनूर’ हीरे को देश में वापस लाना आसान नहीं है.

‘कोहिनूर’ को लौटाने की माँग सिर्फ भारत ही नहीं करता, बल्कि पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान की भी इसपर दावेदारी है. भारत ने पहली बार ब्रिटेन से 1947 में आजादी मिलने के बाद ही इसे सौंपने की मांग की थी. दूसरी बार 1953 में मांग की गई.

2000 में भारत की तरफ से फिर माँग की गई. कुछ सांसदों ने ब्रिटिश सरकार को चिट्ठी लिखी. ब्रिटिश सरकार ने तब कहा कि ‘कोहिनूर’ के कई दावेदार हैं. 2016 में भारत के संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि वह ‘कोहिनूर’ को भारत लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा.

जुलाई 2010 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत दौरे पर आए तो ‘कोहिनूर’ लौटाने की बात उनके सामने भी उठी. कैमरन ने तब कहा कि ऐसी मांगों पर हाँ कर दें, तो ब्रिटिश म्यूजियम खाली हो जाएंगे. फरवरी 2013 में भारत दौरे पर कैमरन ने फिर कहा कि ब्रिटेन ‘कोहिनूर’ नहीं लौटा सकता.

क्वीन कैमिला ने नहीं पहना

पिछले साल ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के बाद और हाल में उनके पुत्र किंग चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के दौरान कई बार ‘कोहिनूर’  का जिक्र हुआ. यह चर्चा इसलिए भी हुई, क्योंकि ‘कोहिनूर’ हीरा महारानी एलिज़ाबेथ के मुकुट में था, पर रानी कैमिला के मुकुट में नहीं है. उसकी जगह महारानी मैरी के मुकुट को सजा-सँवार उन्हें पहनाया गया.

अब राजपरिवार को लगता है कि ‘कोहिनूर’ पहनने से भारत के साथ राजनयिक संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राजपरिवार अब यह मानने लगा है कि ‘कोहिनूर’ हीरा जबरन हासिल किया गया था.

Sunday, June 11, 2023

कृत्रिम मेधा के खतरे और वरदान


पिछले हफ्ते तमाम बड़ी खबरों के बीच तकनीक और विज्ञान से जुड़ी एक खबर को उतना महत्व नहीं मिला, जितने की वह हकदार थी। ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया: अंतर्दृष्टिपूर्ण बातचीत के लिए सैम अल्टमैन को धन्यवाद…हम उन सभी सहयोगों का स्वागत करते हैं, जो नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए हमारे डिजिटल बदलाव को गति दे सकते हैं। यह मुलाकात भले ही बड़ी खबर नहीं बनी हो, पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस यानी एआई इन दिनों तकनीकी-विमर्श के शिखर पर है। मई के महीने में जापान में हुई जी-7 की बैठक में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर विचार भी एजेंडा में शामिल था। उन्हीं दिनों जब ओपनएआई ने आईओएस के लिए चैटजीपीटी ऍप लॉन्च किया, तब से इसका ज़िक्र काफी हो रहा है। चैटजीपीटी ओपन एआई द्वारा विकसित नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग मॉडल है। इसके बारे में विवरण पहली बार 2018 में एक शोधपत्र  में प्रकाशित किया गया था। इसे आप गूगल की तरह का एक टूल मान सकते हैं, जो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रश्नों के जवाब देता है। महत्वपूर्ण चैटजीपीटी या ओपनएआई नहीं, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस है, जिसे मनुष्य-जाति के लिए तकनीकी वरदान माना जा रहा है, वहीं इसे खतरा भी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह तकनीक अंततः मनुष्य-जाति के अस्तित्व के लिए खतरे पैदा कर सकती है। 

ओपनएआई

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़ी रिसर्च लैबोरेटरी ओपनएआई आईएनसी, नॉन-प्रॉफिट संस्था है, जिससे जुड़ी ओपनएआई एलपी लाभकारी संस्था है। इसकी स्थापना 2015 में सैम अल्टमैन, एलन मस्क और कुछ अन्य व्यक्तियों ने सैन फ्रांसिस्को में की थी। फरवरी, 2018 में मस्क ने इसके बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था, पर वे डोनर के रूप में इसके साथ बने रहे। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और मैथ्यू ब्राउन कंपनी ने इसमें निवेश किया। इस साल माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें 10 अरब डॉलर का एक और निवेश किया है। आईआईटी दिल्ली में डिजिटल इंडिया डायलॉग्स कार्यक्रम में, अल्टमैन ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुलाकात मजेदार रही। पीएम मोदी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर उत्साहित हैं। अल्टमैन ने कहा कि उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकी के डाउनसाइड्स, यानी खतरों पर भी चर्चा की।

खतरा कैसा खतरा?

यह अंदेशा कंप्यूटर-युग की शुरुआत में ही व्यक्त किया गया था कि जब मशीनें मनुष्य का स्थान लेने लगेंगी, तब उसका विस्तार एक दिन इंसान के अंत के रूप में भी हो सकता है। अब विशेषज्ञ खुलकर कह रहे हैं कि आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से इंसानी वजूद को ख़तरा हो सकता है। उसका हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। मसलन ड्रग डिस्कवरी टूल्स की मदद से रासायनिक हथियार बनाए जा सकते हैं। फ़ेक जानकारियाँ अस्थिरता पैदा करेंगी। साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी। एआई की ताक़त थोड़े से हाथों में सिमटने का खतरा भी है।  सरकारें बड़े पैमाने पर लोगों की निगरानी करने और दमनकारी सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करेंगी। मनुष्य एआई पर निर्भर होकर जबर्दस्त आलसी बन जाएंगे और मशीनें अमर होने के तरीके खोज लेंगी, जैसा पिक्सेल फ़िल्म वॉल ई जैसी फिल्मों में दिखाया गया है। दूसरी तरफ एआई वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि ऐसे सर्वनाश की परिकल्पना भी कुछ ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताई जा रही है।

Friday, June 9, 2023

संस्कृति और अपनी ज़मीन से जुड़े भारतीय मुसलमान

कुछ प्रसिद्ध मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी

नवंबर 2003 की बात है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जूनियर ने लोकतंत्र से जुड़े एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ने लोकतंत्र और बहुधर्मी-समाज के निर्माण की दिशा में अद्भुत काम किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों ने साबित किया है कि इस्लाम का लोकतंत्र के साथ समन्वय संभव है.

जॉर्ज बुश ने एक जगह इस बात का जिक्र भी किया है कि अल-कायदा के नेटवर्क में भारतीय मुसलमान नहीं हैं. हालांकि बाबरी मस्जिद और गुजरात के प्रकरण के बाद भारतीय मुसलमानों को भड़काने के प्रयास किए गए, पर उन्हें सफलता नहीं मिली.

उसके भी पहले अस्सी के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत सेना के खिलाफ लड़ने वाले 'मुजाहिदीन' के बीच भारत के मुसलमान या तो थे ही नहीं और थे भी, तो बहुत कम संख्या में थे. आज तो स्थिति और भी बदली हुई है. भारतीय-संस्कृति और लोकतंत्र में मुसलमानों की भूमिका अपने आप में विषद विषय है.  इस छोटे से संदर्भ में भी उनकी भूमिका पर नज़र डालें, तो रोचक बातें सामने आती हैं.  

वैश्विक लड़ाई से दूर

भारत में मुसलमानों की आबादी इंडोनेशिया और पाकिस्तान की आबादियों के करीब-करीब बराबर है. पश्चिम एशिया के देशों के नागरिक जितनी बड़ी संख्या में विदेशी-युद्धों में लड़ते दिखाई पड़ते हैं, उनकी तुलना में भारतीयों की संख्या नगण्य है. उन छोटे देशों की कुल आबादी की तुलना में उनके लड़ाकों का प्रतिशत देखा जाए तो वह बहुत ज्यादा होगा.

भारतीय मुसलमान ने वैश्विक-आतंकवाद को नकारा है. इसकी वजह भारतीय समाज और संस्कृति में खोजी जा सकते हैं. हमें इस बात को हमेशा ध्यान में रखना होगा कि जिस भारत का विभाजन इस्लाम के आधार पर हुआ, उसमें आज भी तकरीबन उतने ही मुसलमान नागरिक हैं, जितने पाकिस्तान में हैं. उन्होंने भारत में ही रहना चाहा, तो उसका कोई कारण जरूर था.

उनकी देशभक्ति को लेकर किसी प्रमाण की जरूरत ही नहीं है. काउंटर-टेरर रणनीति बनाने वालों को इस फैक्टर पर गहराई से विचार करना चाहिए कि कौन से सांस्कृतिक-भावनात्मक और मानसिक कारण भारतीय मुसलमानों को अपनी ज़मीन से जोड़कर रखते हैं.

अतिवादी तत्व

यह भी नहीं कह सकते कि उनके बीच चरमपंथी नहीं हैं. उनके बीच अतिवादी तत्व भी हैं, पर सीमित संख्या में हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि जब वैश्विक-स्तर पर काफी बड़ी आबादी टकराव के रास्ते पर है, भारतीय मुसलमान उससे अपेक्षाकृत दूर हैं. हमारे जीवन में दोनों तरफ से जहरीली बातें भी हैं. उनकी प्रतिक्रिया भी होती है, पर देश की न्यायपालिका और जिम्मेदार नागरिक इस बदमज़गी को बढ़ने से रोकते हैं.  

Wednesday, June 7, 2023

इमरान बनाम सेना बनाम पाकिस्तानी लोकतंत्र


पाकिस्तानी राजनीति में इमरान खान का जितनी तेजी से उभार हुआ था, अब उतनी ही तेजी से पराभव होता दिखाई पड़ रहा है. उनकी पार्टी के वफादार सहयोगी एक-एक करके साथ छोड़ रहे हैं. कयास हैं कि उन्हें जेल में डाला जाएगा, देश-निकाला हो सकता है, उनकी पार्टी को बैन किया जा सकता है वगैरह.

पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है. ऊपर जो बातें गिनाई हैं, ऐसा अतीत में कई बार हो चुका है. पहले भी सेना ने ऐसा किया था और इस वक्त इमरान के खिलाफ कार्रवाई भी सेना ही कर रही है. परीक्षा पाकिस्तानी नागरिकों की है. क्या वे यह सब अब भी होने देंगे?

कुल मिलाकर यह लोकतंत्र की पराजय है. इमरान खान ने सेना का सहारा लेकर प्रतिस्पर्धी राजनीतिक दलों को पीटा, अब वे खुद उसी लाठी से मार खा रहे हैं. पर उन्होंने अपनी इस गलती को कभी नहीं माना. 

ब्रिटिश पत्रिका इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि इमरान को पिछले साल अपदस्थ करने के बजाय, लँगड़ाते हुए ही चलने दिया जाता, तो अगले चुनाव में जनता उसे रद्द कर देती. लोकतंत्र में खराब सरकारों को जनता खारिज करती है. इसकी नज़ीर बनती है और आने वाले वक्त की सरकारें डरती हैं.

सेना का हस्तक्षेप

जनरलों ने किसी भी सरकार को पूरे पाँच साल काम करने नहीं दिया. पिछले साल इमरान को हटाने के पीछे भी जनरल ही थे, जिन्होंने एक विफल राजनेता को सफल बनने का मौका दिया. इमरान ने साजिशों की कहानियाँ गढ़ लीं, और उनके समर्थकों की तादाद बढ़ती चली गई.

Tuesday, June 6, 2023

भारत-जर्मनी के बीच एआईपी युक्त छह पनडुब्बियाँ बनाने का करार होगा

 


भारत दौरे पर आए जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ वार्ता की. खबरों के मुताबिक, भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण का समझौता होने जा रहा है। इस करार का मतलब है कि लंबे अर्से से रुका पड़ा प्रोजेक्ट 75(आई) अब तेजी पकड़ेगा।

राजनाथ सिंह ने जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस से व्यापक चर्चा की और द्विपक्षीय रक्षा व सामरिक संबंध मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान दिया।  पिस्टोरियस भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं। मंगलवार की बैठक के बाद मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत और जर्मनी, भारत में पनडुब्बी बनाने पर समझौते के करीब आ गए हैं। ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए बनाई जानी हैं।

Monday, June 5, 2023

विरोधी-एकता के असमंजस


आगामी 12 जून को पटना में प्रस्तावित विरोधी दलों की एकता-बैठक एक बार फिर से स्थगित हो गई है। हालांकि इसकी अगली तारीख तय नहीं है, पर संभावना है कि अब यह बैठक 23 जून को हो सकती है। इसका स्थान भी पटना के बजाय कहीं और हो सकता है। इसे शिमला में भी किया जा सकता है। कांग्रेस पहले से 23 जून की बात कह रही थी, पर जेडीयू ने 12 जून की घोषणा कर दी थी।

विरोधी-एकता की एक परीक्षा संसद के मॉनसून सत्र में होगी, जब दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े अध्यादेश का स्थान लेने वाला विधेयक पेश किया जाएगा। बहरहाल 12 जून की बैठक में शामिल होने के लिए 16 पार्टियों ने सहमति दी थी, जिनमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। इस बैठक को लेकर नीतीश कुमार के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।

हिंदी बेल्ट

ममता बनर्जी ने एक वीडियो जारी करके पटना आने और बैठक में शामिल होने का बयान भी दिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि पटना में होने वाली विपक्ष की एकता की बैठक से हिंदी बेल्ट में बेहतर असर होगा। हालांकि ममता ने इस बात को खुलकर नहीं कहा है, पर जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे संकेत मिलता है कि उन्होंने ही नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि आप अपनी तरफ से पहल करें। 12 जून की बैठक उसी पहल का परिणाम थी। ममता बनर्जी सत्तर के दशक में जय प्रकाश नारायण की पहल का इस सिलसिले में उदाहरण देती हैं।

Sunday, June 4, 2023

पूर्वोत्तर की चुनौती: मणिपुर-हिंसा


मणिपुर में एक महीने से चल रही हिंसा की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि गृहमंत्री अमित शाह को खुद वहाँ जाकर स्थिति पर नियंत्रण करने के निर्देश देने पड़े। उन्होंने अलग
-अलग जनजातियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत की है, पर दीर्घकालीन समाधान एक-दो दिनों में नहीं आते। उसके लिए पहले माहौल को बनाना होगा। यह हिंसा देश की बहुजातीय पहचान और सांस्कृतिक-बहुलता के लिए खतरनाक है। इसका राजनीतिक इस्तेमाल और भी खतरनाक है। राज्य के पाँच जिलों में जितनी तेजी से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ, लोगों की जान गई, घरों, चर्चों, मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई, वह राज्य में लंबे अर्से से चली आ रही पहाड़ी और घाटी की पहचान के विभाजन का नतीजा है। प्रशासनिक समझदारी से उसे टाला जा सकता था।

पक्षपात का आरोप

इस वक्त सबसे ज्यादा सवाल राज्य सरकार की भूमिका को लेकर उठाए जा रहे हैं। अमित शाह ने विभिन्न वर्गों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में शांति बहाल करना सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा है कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और 20 हज़ार के क़रीब लोगों को हिंसाग्रस्त इलाकों से निकालकर शिविरों में पहुंचा दिया गया है। राज्य सरकार ने तत्परता और समझदारी से काम किया होता तो यह धारणा जन्म नहीं लेती कि वह एक खास समुदाय की हिमायती है। ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ से प्रेरित होकर सरकार ने अति उत्साह में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया, जिसमें कुकी समुदाय के गाँव प्रभावित हुए थे। भाजपा के कुछ आदिवासी विधायकों ने इस पक्षपात का मुद्दा उठाया था और नेतृत्व में बदलाव की मांग भी की थी।

अतिक्रमण-विरोधी अभियान

मणिपुर सरकार ने फ़रवरी में संरक्षित इलाक़ों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया था, तभी से तनाव था। लोग सरकार के इस रुख़ का विरोध कर रहे थे, लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद 3 मई से स्थिति बेकाबू हो गई, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने 3 मई को जनजातीय एकता मार्च निकाला। इस मार्च के दौरान कई जगह हिंसा हुई। यह मार्च मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने के प्रयास के विरुद्ध हुआ था। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफ़ारिश को लागू करे, जिसमें ग़ैर-जनजाति मैती समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। यह शिकायत, कि मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर पहाड़ी आदिवासी समुदायों के आरक्षण लाभों को काम कर देगा, एक सीमा तक ठीक लगता है। पर उनकी यह चिंता सही नहीं है कि इससे पारंपरिक भूमि स्वामित्व बदल जाएगा। आदिवासी नेताओं ने घाटी विरोधी भावनाओं को भड़काने में जमीन खोने के दाँव का इस्तेमाल किया है।

Thursday, June 1, 2023

अमेरिकी ऋण-सीमा बढ़ेगी


अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव ने सरकार की ऋण-सीमा बढ़ाने वाले विधेयक को स्पष्ट बहुमत से पारित कर दिया है. विधेयक के समर्थन में 314 और विरोध में 117 मत पड़े. दोनों ही पक्षों की तरफ़ से विरोध में मतदान हुआ है.

विधेयक के समर्थन में 165 डेमोक्रेट (राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी) और 149 रिपब्लिकन सदस्यों ने मतदान किया है. इससे अमेरिकी सरकार के क़र्ज़ संकट का समाधान हो सकता है और सरकार के डिफॉल्टर होने का ख़तरा टल सकता है. सरकार को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए अब सोमवार से पहले इस विधेयक को सीनेट में पारित कराना अनिवार्य होगा.

रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के बीच इस समझौते के कारण व्यवस्था के बिखर जाने का खतरा टल जरूर गया है, पर देश का आर्थिक संकट बरकरार है. उधर रिपब्लिकन पार्टी को इस बात का संतोष है कि राष्ट्रपति जो बाइडन से उसने कुछ सरकारी खर्च कम करवा लिए हैं. अनुमान है कि अगले एक दशक में सरकारी खर्चों में 1.3 ट्रिलियन डॉलर की कटौती होगी. ये कटौतियाँ 2024 और 2025 से लागू होंगी.   

संसद की प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है. जबकि, सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है. ऐसे में इस बिल का प्रतिनिधि सभा में पास होना महत्वपूर्ण है. इस बिल को पारित कराने में दोनों पार्टियों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले रिपब्लिकन पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता केविन मैकार्थी ने इसे ऐतिहासिक कहा है.

वर्चुअली होगा एससीओ शिखर सम्मेलन

दूसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर यह है कि जुलाई के महीने में भारत में होने वाला शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन अब वर्चुअल होगा. केंद्र सरकार ने मंगलवार को एलान किया कि 4 जुलाई को दिल्ली में प्रस्तावित एससीओ की बैठक अब वर्चुअली आयोजित होगी. इस साल एससीओ की अध्यक्षता भारत के पास है, जिसकी वजह से ये बैठक दिल्ली में आयोजित होनी थी.

 

इस बैठक में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हिस्सा लेना था. इनमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तानी पीएम शाहबाज़ शरीफ़ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे नेता शामिल होते.

केंद्र सरकार इस बैठक को आयोजित करने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारी भी कर रही थी. इन नेताओं को भारत आने का न्यौता भी भेजा गया था. मंगलवार को सरकार ने एकाएक अपना फ़ैसला बदल दिया. दो-तीन बातें हवा में हैं. एक, दिल्ली में सम्मेलन की तैयारी पूरी नहीं है. दूसरे चीन, पाकिस्तान और रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने अभी तक सम्मेलन में आने की पुष्टि नहीं की है. संभवतः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन-युद्ध के कारण आने की स्थिति में नहीं हैं.

 

उम्मीद से बेहतर जीडीपी संवृद्धि


देश की ​आर्थिक-वृद्धि दर विश्लेषकों के अनुमान को पीछे छोड़ते हुए वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी रही। मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण गतिविधियों में तेजी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ने चकित किया है। साथ ही यह कमजोर वै​श्विक परिदृश्य के बीच मजबूत घरेलू मांग को दर्शाता है। पिछले हफ्ते रॉयटर्स द्वारा 56 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

चौथी तिमाही में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि से पूरे वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी वृद्धि दर पहले के 7 फीसदी के अनुमान को पार कर 7.2 फीसदी पहुंच गई। राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय ने पहले अंतरिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। बुनियादी मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (GVA) वित्त वर्ष 2023 की मार्च तिमाही में 6.5 फीसदी और पूरे वित्त वर्ष में 7 फीसदी बढ़ा है। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था का आकार वित्त वर्ष 2023 में 272.4 लाख करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2024 के बजट से पूर्व जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान से 67,039 करोड़ रुपये कम है।

लगातार दो तिमाही में गिरावट झेलने के बाद जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र ने अच्छी वापसी की और कच्चे माल की लागत कम होने तथा मार्जिन में सुधार के साथ इस क्षेत्र के उत्पादन में 4.5 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। ब्याज दरों में बढ़ोतरी और ऊंची खुदरा मुद्रास्फीति के बावजूद श्रम प्रधान निर्माण क्षेत्र में भी मार्च तिमाही के दौरान 10.4 फीसदी की तेजी देखी गई।

बेमौसम बारिश के बावजूद जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में कृषि क्षेत्र का उत्पादन 5.5 फीसदी बढ़ा है जबकि व्यापार, होटल और परिवहन के बेहतर प्रदर्शन के दम पर सेवा क्षेत्र में 6.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यहाँ पढ़ें बिजनेस स्टैंडर्ड में असित रंजन मिश्र का विश्लेषण और अखबार का संपादकीय

 आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से मानव सभ्यता के अंत का ख़तरा

'आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से इंसानी वजूद को ख़तरा हो सकता है.कई विशेषज्ञों ने इसे लेकर आगाह किया है. ऐसी चेतावनी देने वालों में ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड के प्रमुख शामिल हैं.इसे लेकर जारी बयान 'सेंटर फ़ॉर एआई सेफ़्टी' के वेबपेज़ पर छपा है. कई विशेषज्ञों ने इस बयान के साथ अपनी सहमति जाहिर की है. विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा है, "समाज को प्रभावित कर सकने वाले दूसरे ख़तरों, मसलन महामारी और परमाणु युद्ध के साथ-साथ एआई (आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस) की वजह से वजूद पर मौजूद ख़तरे को कम करना वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए." बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट पढ़ें यहाँ

 राहुल गांधी ने मोदी पर साधा निशाना, खालिस्तानियों को भी जवाब

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस को निशाना बनाया है. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में लोगों को एक ग्रुप ऐसा है, जिसे लगता है कि वे हर चीज़ जानते हैं. राहुल गांधी 10 दिनों की अमेरिका यात्रा पर हैं. सैन फ्रांसिस्को के बाद वे वॉशिंगटन डीसी और फिर न्यूयॉर्क जाएँगे. संबोधन के दौरान सिख्स फ़ॉर जस्टिस (एसजेएफ़) से जुड़े कुछ लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की और खालिस्तान का झंडा भी दिखाया. इंदिरा गांधी को लेकर भी नारेबाज़ी की गई. एसजेएफ़ का कहना है कि वे राहुल गांधी की हर सभा में जाएँगे और जब पीएम मोदी अमेरिका आएँगे, तब भी ऐसा ही करेंगे. बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट पढ़ें यहाँ