Tuesday, September 29, 2015

भारतीय बेड़े में अमेरिकी हैलिकॉप्टर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के ठीक पहले भारत ने अमेरिका से बोइंग के 22 अपाचे और 15 शिनूक (चिनूक) हैलिकॉप्टर खरीदने को मंजूरी दी. भारत इनके लिए तकरीबन तीन अरब डॉलर की कीमत चुकाएगा. पिछले कुछ साल में अमेरिका ने भारत के साथ 10 बिलियन से ज्यादा के रक्षा सौदें किए हैं. मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति की बैठक के बाद यह फैसला किया गया. अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति का अनुबंध इनकी निर्माता कंपनी बोइंग के साथ होगा, जबकि इनके शस्त्रास्त्र, रेडार और रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अमेरिकी सरकार के साथ| अनुबंध में इनकी संख्या में बढ़ोतरी का भी प्रावधान है. 11 अपाचे तथा 4 चिनूक हेलिकॉप्टर और ख़रीदे जा सकते हैं. इनके साथ भारत हेलफ़ायर मिसाइल भी खरीदेगा.

भारतीय वायुसेना के पास इस वक्त सबसे ज्यादा रूसी हैलिकॉप्टर हैं. शुरू में उसके पास फ्रांसीसी हैलिकॉप्टर भी थे. स्वदेशी ध्रुव और रुद्र भी हैं. इनके अलावा नौसेना के पास ब्रिटिश सीकिंग हिलकॉप्टर भी हैं. पर यह पहला मौका है जब भारतीय वायुसेना अमेरिकी हैलिकॉप्टरों का इस्तेमाल करने जा रही है. यह अनुबंध तीन साल पहले ही हो जाना चाहिए था, पर औपचारिकताओं के कारण इतनी देर हुई. ये दोनों हैलिकॉप्टर हमारी वायुसेना के लिए गेम चेंजर साबित होंगे. इसके अलावा ये हमारे देश में नई तकनीक भी लाएंगे. अनुबंध के ऑफसेट प्रवधानों के तहत लगभग 60 करोड़ डॉलर का काम देश के एरोस्पेस सेक्टर में भी आएगा।

अपाचे : इसे दुनिया का सबसे घातक अटैक हैलिकॉप्टर माना जाता है. भारत इसके एएच-64ई संस्करण को हासिल करने जा रहा है जो इसके नवीनतम रूपों में से एक है. हालांकि इस हैलिकॉप्टर का पहला संस्करण 1984 में तैयार किया गया, पर भारत जो हैलिकॉप्टर ले रहा है उस सीरीज का पहला हैलिकॉप्टर अमेरिकी नौसेना को 2011 में सौंपा गया.

अपाचे की भूमिका हमलावर हैलिकॉप्टर के रूप में है. सन 1999 के करगिल युद्ध में भारत ने हिलकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था, पर एक एमआई-17 को जब तोलोलिंग के पास पाकिस्तानी सेना ने स्टिंगर मिसाइल की मदद से गिरा लिया. उसके बाद भारतीय वायुसेना ने रणनीति बदली और काफी ऊँचाई से मिराज-2000 विमानों ने लेजर बमों की मदद से प्रहार किए. उसके बाद से भारत को ऊँचाई से काम करने वाले अटैक हैलिकॉप्टरों की जरूरत महसूस की गई. भारत के पास इस समय एमआई-35 और एचएएल रुद्र हैलिकॉप्टर हैं. सन 2011 में जब भारतीय वायुसेना के लिए अटैक हैलिकॉप्टर की तलाश चल रही थी, तब अपाचे एएच-64डी के मुकाबले रूस के एमआई-28एच को परखा गया. अंततः अपाचे को स्वीकार किया गया. पर तब काफी विशेषज्ञों की राय थी कि रूसी हैलिकॉप्टर बेहतर था. 

अब भारतीय वायुसेना के पास एमआई-35 भी है और एचएएल द्वरा विकसित लाइट कॉम्बैट हैलिकॉप्टर भी तैयार है. इनका तुलनात्मक परीक्षण देखने को मिलेगा. अपाचे स्टैल्थी हैलिकॉप्टर है. यानी रेडार की पकड़ में आसानी से नहीं आता. यह हर तरह के ऑपरेशंस में उपयोगी है। खासतौर से आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में. इसकी इन्फ्रारेड प्रणाली इसे हरेक मौसम और दिन-रात दोनों हालात में कारगर बनाती है. इसमें 70 मिमी के रॉकेट और ऑटोमेटिक तोप से अलावा, हैलफायर मिसाइल लगी है.

एक माने में अपाचे शुद्ध अटैक हैलिकॉप्टर है. उसके मुकाबले हमारे पास जो रूसी एमआई-45 हैलिकॉप्टर है वह पूरी तरह अटैक हैलिकॉप्टर नहीं है. उसका इस्तेमाल दुश्मन के क्षेत्र में सैनिकों को पहुंचाने के लिए भी किया जाता है. इस तरह उसका उपयोग दो तरह से होता है. दो पायलट वाला अपाचे केवल हमलावर हैलिकॉप्टर है. सैनिकों को उतारने का काम हम शिनूक हैलिकॉप्टरों की मदद से करेंगे. भारत में अभी इस बात को लेकर बहस है कि अटैक हैलिकॉप्टर की जरूरत वायुसेना को है या थलसेना को. हमारी थलसेना भी अपनी हैलिकॉप्टर शाखा का विस्तार कर रही है. ये 22 अपाचे वायुसेना ले रही है, पर अब हमारी थलसेना ने 39 अपाचे खरीदने की पेशकश की है.

अपाचे चार ब्लेड और दो टर्बोशैफ्ट वाला हैलिकॉप्टर है. इसे अमेरिकी थलसेना के लिए ह्यूज हैलिकॉप्टर्स ने मॉडल-77 के नाम से शुरू किया था. इसके पहले प्रोटोटाइप मॉडल-77 ने पहली उड़ान 30 सितम्बर 1975 में भरी थी. अमेरिकी सेना ने इसे 1982 में अपनी स्वीकृति दी. सन 1984 में ह्यूज हैलिकॉप्टर्स को मैक्डॉनल डगलस ने 1984 में खरीद लिया.  अमेरिकी थलसेना में सन 1986 में यह हैलिकॉप्टर शामिल हुआ. बाद में इस कम्पनी को बोइंग ने खरीद लिया. मोटे तौर अब तक 2100 अपाचे हैलिकॉप्टर बनाए जा चुके हैं. इस वक्त अमेरिकी सेना के अलावा जापान, ग्रीस, इसरायल, नीटरलैंड्स, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात की सेनाएं इसका संचालन करती हैं. ब्रिटेन में इसे लाइसेंस के तहत ऑगस्टा वेस्टलैंड अपाचे के नाम से बनाया जा रहा है. इसका इस्तेमाल पनामा, फारस की खाड़ी, कोसोवो, अफगानिस्तान और इराक के युद्धों में हो चुका है. इसरायली सेना ने इसका इस्तेमाल लेबनान और गजा पट्टी में किया है.

चिनूक : वियतनाम से लेकर इराक के युद्धों तक शामिल चिनूक दो रोटर वाला हैवीलिफ्ट हैलिकॉप्टर है. पहले चिनूक ने 1962 में उड़ान भरी थी. तब से अबतक उसमें तमाम तरह के सुधार हुए हैं. भारत जिस चिनूक को खरीद रहा है उसका नाम है सीएच-47 एफ. इसका काम है भारी माल लाना ले जाना, युद्धक्षेत्र में रसद पहुँचाना. सामान्यतः यह 9.6 टन का वज़न उठाता है. इसमें भारी मशीनरी, तोपें और बख्तरबंद गाड़ियाँ शामिल हैं. सैनिकों का परिवहन भी इसमें शामिल है. इसकी दूसरी खासियत है इसकी तेज गति. भारत को इसकी दरकार युद्ध के अलावा इन दिनों सीमा पर हो रहे सड़क निर्माण के वास्ते भी है. सीमा सड़क संगठन को भी चिनूक का इंतजार है.  

साठ के दशक में बोइंग वर्टोल ने इसका डिजाइन तैयार किया था. इन दिनों इसका निर्माण बोइंग रोटोक्राफ्ट सिस्टम्स करता है. एक माने में यह दुनिया के सक्रिय सबसे पुराने विमानों में से एक चिनूक है. इसके अलावा अमेरिका का ही सी-130 परिवहन विमान भी काफी पुराना है. चिनूक दुनिया के 16 से ज्यादा देशों में सक्रिय है. पुराना होने के बावजूद इसके नवीनतम मॉडल दुनिया के सबसे आधुनिक हैलिकॉप्टरों में गिने जाते हैं.

भारतीय वायुसेना के पास इस समय रूसी एमआई-26 हैवीलिफ्ट हैलिकॉप्टर है. एमआई-26 दुनिया के सबसे भारी हैलिकॉप्टरों में शुमार किए जाते हैं. इन्होंने भारतीय सेना की तमाम मौकों पर सेवा की है. पर हाल के वर्षों में इनके स्पेयर पार्ट्स को लेकर दिक्कतें आ रहीं है. दूसरे इसका ईंधन खर्च बहुत ज्यादा है. यह चिनूक के मुकाबले बहुत भारी है. एक खाली एमआई-26 का वज़न 28,200 किलोग्राम होता है। वहीं चिनूक का वज़न 10,185 किलो. इस वजह से उसकी ईँधन की खपत कम है. समुद्री सतह पर एमआई-26 की बार वहन क्षमता बेहतर है, पर ज्यादा ऊँचाई पर उसकी क्षमता कम होती जाती है. 

हमारी सेना को पहाड़ी इलाकों पर रसद और सामग्री पहुँचाने का काम करना होता है. दो रोटर का डिजाइन होने के कारण चिनूक बेहतर स्थिति में है. दूसरे यह दुर्गम पहाड़ों के बीच कुशलता के साथ निकल सकता है. सन 2012 में इस हैलिकॉप्टर का अपग्रेडेड एमआई-26 से तुलनात्मक अध्ययन किया गया. इधर भारत अपना मिडिल लिफ्ट हैलिकॉप्टर भी विकसित करने की दिशा में अग्रसर है. फिलहाल ये दोनों हैलिकॉप्टर सेना के लिए उपयोगी भूमिका निभाएंगे. 


प्रभात खबर नॉलेज में प्रकाशित

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