Tuesday, May 13, 2014

भाजपा या कांग्रेस के खोल से बाहर आइए


हिंदू में कशव का कार्टून
मंजुल का कार्टून
एक्जिट पोल अंतिम सत्य नहीं है। यों भी भारत में एक्ज़िट पोलों की विश्वसनीयता संदिग्ध है। पर क्या हमें कांग्रेस की हार नज़र नहीं आती? बेहतर है चार रोज़ और इंतज़ार करें। परिणाम जो भी हों उनसे सहमति और असहमति की गुंजाइश हमेशा रहेगी। पर एक सामान्य नागरिक को कांग्रेसी या भाजपाई खोल में रहने के बजाय नागरिक के रूप में खुद को देखना चाहिए और राज-व्यवस्था के संचालन में भागीदार बनना चाहए।सामान्य वोटर का फर्ज है वोट देना। अब जो भी सरकार बनेगी वह पूरे देश की और आपकी होगी, भले ही आपने उसके खिलाफ वोट दिया हो।


यह सच है कि हमारी फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली में ऐसा बहुत कम होता है कि किसी पार्टी को देश भर में 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते हैं। प्रायः 30 से 35 फीसदी वोट पर ही स्पष्ट बहुमत मिल जाता है। चूंकि नम्बर का खेल है, इसलिए सभी पार्टियाँ जाति और सम्प्रदाय का खेल खेलती हैं। इधर कुछ लोगों ने अपने आप को सेक्युलर घोषित किया है। सेक्युलर को अक्सर हम असाम्प्रदायिक का पर्याय मानते हैं। सेक्युलर राज व्यवस्था होती है और देश में संविधान की शपथ लेकर गठित होने वाली हरेक पार्टी सेक्युलर है।

बहरहाल हमें 16 का इंतजा़र है। अलबत्ता आज के अखबारों की दो-एक कतरने पेश हैं ताकि सनद रहे।

एक्ज़िट पोल कितने सही या गलत साबित होते रहे हैं। 


इस बार के पोल परिणाम



1 comment:

  1. बस ३ दिन बाद खेल खत्म। .
    वैसे भाजपा की सरकार के बन रहे हैं आसार
    तब तक जनता को मिलती रहेगी खबरसार

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