आसिया इस्लाम
ज़रूरी डिग्रियों व कौशल के अभाव में लोग मध्यवर्गीय दिखाई पड़ने वाली ऐसी नौकरियों के भंवर में फंस गए हैं, जिनके कामकाजी हालात मजदूरों जैसे हैं.
दावोस में हुए हालिया वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के प्लेनरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. फोरम के संस्थापक क्लॉस श्वाब ने उनका परिचय ऐसे देश के नेता के तौर पर कराया, जिसकी छवि गतिशीलता और उम्मीदों से दमक रही है. अपनी तरफ से मोदी जी ने साझे भविष्य का एक ऐसा दृष्टिकोण पेश किया जो असमानता, गरीबी, बेरोजगारी और अवसरों की कमी की दरारों को पाट सकता है.
दौरे से ऐन पहले मोदी जी ने भारत को पूरी दुनिया के आकर्षण के केंद्र के रूप में पेश किया. जब मोदी भारत को उभरती हुई वैश्विक शक्ति के तौर पर परोस रहे थे, करीब उसी वक्त नीति आयोग (दुर्भाग्य से जिसका नेतृत्व स्वयं मोदी जी करते हैं) ने देश में बेरोजगारी की भयावह स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की. इसी समय 'असर 2017' रिपोर्ट ने खुलासा किया कि शिक्षा तथा युवाओं को पेशेवर प्रशिक्षण देने के लिए चलाए जा रहे अनेक कार्यक्रम बेअसर साबित हुए हैं. विश्व बैंक के हाल के एक बयान के मुताबिक़ भारत के 1% सबसे धनवान लोग देश की 73% सम्पत्ति पर काबिज हैं. कुल मिलाकर देश के भविष्य की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं दिखाई देती.
ज़रूरी डिग्रियों व कौशल के अभाव में लोग मध्यवर्गीय दिखाई पड़ने वाली ऐसी नौकरियों के भंवर में फंस गए हैं, जिनके कामकाजी हालात मजदूरों जैसे हैं.
दावोस में हुए हालिया वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के प्लेनरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. फोरम के संस्थापक क्लॉस श्वाब ने उनका परिचय ऐसे देश के नेता के तौर पर कराया, जिसकी छवि गतिशीलता और उम्मीदों से दमक रही है. अपनी तरफ से मोदी जी ने साझे भविष्य का एक ऐसा दृष्टिकोण पेश किया जो असमानता, गरीबी, बेरोजगारी और अवसरों की कमी की दरारों को पाट सकता है.
दौरे से ऐन पहले मोदी जी ने भारत को पूरी दुनिया के आकर्षण के केंद्र के रूप में पेश किया. जब मोदी भारत को उभरती हुई वैश्विक शक्ति के तौर पर परोस रहे थे, करीब उसी वक्त नीति आयोग (दुर्भाग्य से जिसका नेतृत्व स्वयं मोदी जी करते हैं) ने देश में बेरोजगारी की भयावह स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की. इसी समय 'असर 2017' रिपोर्ट ने खुलासा किया कि शिक्षा तथा युवाओं को पेशेवर प्रशिक्षण देने के लिए चलाए जा रहे अनेक कार्यक्रम बेअसर साबित हुए हैं. विश्व बैंक के हाल के एक बयान के मुताबिक़ भारत के 1% सबसे धनवान लोग देश की 73% सम्पत्ति पर काबिज हैं. कुल मिलाकर देश के भविष्य की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं दिखाई देती.