Monday, February 12, 2018

चुनाव का प्रस्थान-बिन्दु है मोदी का भाषण

बजट सत्र में संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को लेकर पैदा हुए राजनीतिक विवाद की अनदेखी कर दें तो यह साफ नजर आता है कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रणनीति क्या होगी। जून 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के और इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषणों को मिलाकर पढ़ें तो यह बात और साफ हो जाती है।
मोदी सरकार बदलते पैराडाइम को लेकर आई थी। जनता ने इस संदेश को किस रूप में लिया, यह अब सामने आएगा। अब हमें कांग्रेस के एजेंडा का इंतजार करना चाहिए। जिस वक्त नरेन्द्र मोदी लोकसभा में अपना वक्तव्य दे रहे थे, कांग्रेस पार्टी के सांसद निरंतर शोर कर रहे थे। इससे पैदा हुई राजनीति की अनुगूँज संसद के बाहर भी सुनाई पड़ी है। साफ है कि चुनाव होने तक अब माहौल ऐसा ही रहेगा। 

नरेंद्र मोदी जनता की कल्पनाओं को उभारने वाले नेता हैं। इन सपनों की जिम्मेदारी उनकी है। वे पूरे होंगे तो श्रेय उन्हें मिलेगा और पूरे नहीं मिलेगा तो उसका सामना भी उन्हें ही करना होगा। जून 2014 में संसद की पहली बैठक में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण विशाल परिकल्पना से लैस था। उसमें टेक्नोट्रॉनिक बदलाव की आहट थी तो सामाजिक क्षेत्र में बदलाव का वादा भी था।
मध्यवर्गीय भारत की महत्वाकांक्षाएं उस भाषण में नजर आती थीं। देश में एक सौ नए स्मार्ट शहरों का निर्माण, अगले आठ साल में हर परिवार को पक्का मकान, गाँव-गाँव तक ब्रॉडबैंड पहुँचाने का वादा और हाई स्पीड ट्रेनों के हीरक चतुर्भुज तथा राजमार्गों के स्वर्णिम चतुर्भुज के अधूरे पड़े काम को पूरा करने का वादा किया गया था। ट्रेडीशन, टैलेंट, टूरिज्म, ट्रेड और टेक्नोलॉजी के 5-टी के सहारे ब्रांड-इंडिया स्थापित करने की मनोकामना थी।
अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले 4 साल का ब्यौरा दिया है। मोदी सरकार के कामकाज का यह रिपोर्ट कार्ड है और लोकसभा चुनाव का एजेंडा भी। इन वक्तव्यों से इस बात की झलक मिलती है कि मोदी सरकार चार बिन्दुओं के इर्द-गिर्द अपनी रणनीति बनाएगी वे हैं, 1.टेक्नोट्रॉनिक रूपांतरण और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, 2.आर्थिक संवृद्धि की रेग्युलेटरी व्यवस्थाएं, 3.गाँव, खेत, किसान और गरीब का कल्याण और 3.सामाजिक-सांस्कृतिक एजेंडा यानी राष्ट्रवाद।
नोटबंदी, जीएसटी, जनधन योजना, मुद्रा योजना, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मेक इन इंडिया, उड़ान, ई-नाम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण कार्यक्रम, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान, स्वच्छ भारत, भारत-माला, सागर-माला, भारत-नेट, ग्रामीण विद्युतीकरण, उजाला, उज्ज्वला, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से लेकर खेलो इंडिया तक इस सपने के अलग-अलग सोपान हैं। ऐसे तमाम कार्यक्रम अलग-अलग नामों से इस बीच सामने आए हैं। गाँवों और शहरों को अलग-अलग तरीके से आकर्षित करने वाले ये कार्यक्रम लोगों तक पहुँचे हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हमें इस साल इंतजार करना पड़ेगा।
संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के भाषण में सरकार की तारीफ के पुल थे, तो कांग्रेस की आलोचना की भरमार भी थी। इस भाषण में उन बातों के सूत्र छिपे हैं, जो चुनाव सभाओं में सामने आएंगी। लोकसभा चुनाव का यह प्रस्थान-बिन्दु था। नरेन्द्र मोदी का यह लम्बा भाषण संसद के उनके पिछले भाषणों से कुछ अलग था। इससे पहले को भाषणों में वे अपने काम-काज को गिनाते रहे हैं। इस बार उन्होंने काम-काज गिनाने से ज्यादा वक्त कांग्रेस को लानतें भेजने में लगाया।
उनके भाषण की थीम थी 70 बनाम 5 साल। यही थीम अब चुनाव तक रहेगी। इसके दो कारण हैं। मोदी बार-बार कहते हैं, मैं पिछले पन्द्रह साल से हमलों का निशाना बनता रहा हूँ। अमेरिकी वीजा प्रकरण से लेकर दावोस जाने से रोकने की कोशिशों ने जो कड़वाहट भरी है, वह भी सामने आ रही है। कांग्रेस पर हमले करते वक्त उनका निशाना नेहरू-गांधी परिवार होता है। यहाँ भी उन्होंने कहा, आपको इमरजेंसी वाला भारत चाहिए, पर मुझे गांधी जी वाला भारत चाहिए। गांधी जी ने कहा था कि आजादी मिल गई है, अब कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए। कांग्रेस मुक्त भारत का विचार हमारा नहीं गांधी जी का था।
कांग्रेस के अलावा दूसरे विरोधी दलों पर हमलों से वे बचते रहे हैं। यह राजनीतिक रणनीति है। वे विरोधी दलों से दोस्ती बनाकर रख रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति के अभिभाषण में कोई न कोई संशोधन कराती रही है। इससे हासिल कुछ नहीं होता, पर एक प्रकार का संतोष कांग्रेसी नेतृत्व को मिलता है। इस बार कांग्रेसी संशोधन वोटिंग में गिर गया।  
मोदी ने सन 2022 के लक्ष्यों को सोच-समझकर सामने रखा है। यह उनकी राजनीति है। दूसरे शब्दों में 2019 के चुनाव में विजय दिलाने की अपील। जनता से समर्थन माँगने का यह उनका राजनीतिक अंदाज है। मोदी ने संसद के अपने भाषण में अपने न्यू इंडिया और कांग्रेस के ओल्ड इंडिया का कंट्रास्ट पेश किया। कांग्रेस बार-बार कहती है कि आप हमारे कार्यक्रमों और नीतियों को ही लागू करते रहे हैं। इसी संदर्भ में राज्यसभा में वे बता रहे थे कि आधार जैसे आईडी की परिकल्पना बीजेपी सरकार ने की थी। उन्होंने सन 1998 में लालकृष्ण आडवाणी के एक उत्तर का हवाला दिया, तभी रेणुका चौधरी वाला प्रसंग हुआ।
इस प्रसंग के राजनीतिक निहितार्थ अपनी जगह हैं, पर मोदी का निशाना वह उपहास था, जो कांग्रेस पार्टी सरकारी कार्यक्रमों का उड़ाती है। मोदी ने कहा, मेक इन इंडिया का मजाक उड़ाया जा रहा है, जनधन योजना का मजाक उड़ाया जा रहा है। पर ओबीसी बिल को ब्लॉक कर रहे हैं? ट्रिपल तलाक पर कानून को रोक रहे हैं, क्यों? यकीनन सरकार ट्रिपल तलाक बिल का मुद्दा चुनाव में उठेगा। मोदी ने कहा, कांग्रेस पार्टी ट्रिपल तलाक को लेकर जैसा कानून बनाने की बात कह रही है, उसे तीस साल पहले क्यों नहीं बनाया?
नरेन्द्र मोदी कम्युनिकेटर हैं और अपनी बात लोगों तक पहुँचाने की कला जानते हैं। उन्होंने अपने मन की बात की लिए रेडियो का माध्यम चुना। शहरी श्रोताओं के बीच रेडियो अब केवल एफएम तक सीमित है, पर गाँव में आज भी रेडियो संचार का महत्वपूर्ण माध्यम है। उनके मन की बात को दूर-दराज इलाकों में करीब 27 करोड़ लोग सुनते हैं। उनकी विदेश नीति भी कसौटी पर है। दुनिया के बड़े राष्ट्राध्यक्षों को जोड़ना उनकी उपलब्धियों में शामिल है। संसद का यह भाषण जनता को संबोधित था और चुनाव का आगाज़।








1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-02-2018) को दही जमाना छोड़ के, रही जमाती धाक; चर्चामंच 2877 पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    महाशिवरात्रि की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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