Thursday, August 13, 2015

मॉनसून सत्र : सवाल ही सवाल

मॉनसून सत्र तो धुल गया, अब आगे क्या?

  • 25 मिनट पहले
संसद, भारत
उम्मीद नहीं है कि संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन चमत्कार होगा. जो दो महत्वपूर्ण बिल सामने हैं, उनमें से भूमि अधिग्रहण विधेयक अगले सत्र के लिए टल चुका है.
राज्यसभा की प्रवर समिति के सुझावों को शामिल करके जो जीएसटी विधेयक पेश किया गया है, उस पर कांग्रेस ने विचार करने से ही इनकार कर दिया है.
अब आख़िरी दिन यह पास हो पाएगा इसकी उम्मीद कम है.
इस सत्र को नकारात्मक बातों के लिए याद किया जाएगा. राज्यों में आई बाढ़, महंगाई और गुरदासपुर के चरमपंथी हमले जैसे सवालों की अनदेखी के लिए भी.
अब सोचना यह है कि अगले सत्र में क्या होगा? सुषमा स्वराज का इस्तीफा नहीं हुआ तो क्या शीतकालीन सत्र भी जाम होगा?
शायद बिहार के चुनाव परिणाम भावी राजनीति की दिशा तय करेंगे.

शून्य संसद

इस सत्र में पास करने के लिए आठ विधेयक थे. सबसे महत्वपूर्ण थे जीएसटी, भूमि अधिग्रहण, व्हिसल ब्लोवर संरक्षण और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक.
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर संयुक्त समिति का प्रतिवेदन अब शीत सत्र में ही पेश होगा, इसलिए आखिरी दिन उसकी संभावना नहीं है.
मानसून सत्र में 11 अगस्त तक संसद के दोनों सदनों में 7 विधेयक पेश हुए. तीन वापस लिए गए और चार पास हुए. इनमें से केवल दिल्ली हाईकोर्ट संशोधन बिल ही दोनों सदनों से पास हुआ है. शेष तीन लोकसभा से पास हुए हैं.
इस लोकसभा का पहला साल संसदीय काम के लिहाज से अच्छा रहा. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार इस साल का बजट सत्र पिछले 15 साल में सबसे अच्छा था.
लोकसभा ने अपने निर्धारित समय से 125 फीसदी और राज्यसभा ने 101 फीसदी काम किया. पर मानसून सत्र में ऐसा नहीं हो सका.

अखाड़ा राजनीति

सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह
कांग्रेस की छापामार शैली ने नरेंद्र मोदी की दृढ़ता और भाजपा के संख्याबल में सेंध लगा दी. पर गारंटी नहीं कि यह राजनीति वोटर को भी भाएगी और इसके सहारे क्षीणकाय कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी.
सवाल यह भी पूछा जाएगा कि इस राजनीति के लिए क्या संसद का इस्तेमाल उचित है?
सवाल भाजपा को लेकर भी हैं. गतिरोध तोड़ने के लिए उसने भी कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री सामने नहीं आए. लोकसभा में कार्य-स्थगन के जवाब में उनके सामने आने की उम्मीद थी, जो नहीं हुआ.
भाजपा ने लंबे समय तक विदेशी पूँजी निवेश, बैंकिग और इंश्योरेंस-सुधार और जीएसटी के रास्ते में भी अड़ंगे लगाए थे. संसदीय पवित्रता की दुहाई वह किस मुँह से दे सकती है?

Sunday, August 9, 2015

कहाँ हो भारत भाग्य विधाता?

रघुवीर सहाय की कविता है :-

राष्ट्रगीत में भला कौन वह/ भारत भाग्य विधाता है/ फटा सुथन्ना पहने जिसका/ गुन हरचरना गाता है।

कविता की अंतिम पंक्तियाँ हैं :-

कौन-कौन है वह जन-गण-मन/ अधिनायक वह महाबली/ डरा हुआ मन बेमन जिसका/ बाजा रोज़ बजाता है।

वह भारत भाग्य विधाता इस देश की जनता है। क्या उसे जागी हुई जनता कहना चाहिए? जागने का मतलब आवेश और तैश नहीं है। अभी हम या तो खामोशी देखते हैं या भावावेश से। दोनों ही गलत हैं। सही क्या है, यह सोचने का समय आज है। आप सोचें कि 9 और 15 अगस्त की दो क्रांतियों का क्या हुआ।

अगस्त का यह महीना चालीस के दशक की तीन तारीखों के लिए खासतौर से याद किया जाता है। सन 1942 की 9 अगस्त से शुरू हुआ ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलन 15 अगस्त 1945 को अपनी तार्किक परिणति पर पहुँचा था। भारत आज़ाद हुआ। 1942 से 1947 के बीच 1945 के अगस्त की दो तारीखें मानवता के इतिहास की क्रूरतम घटनाओं के लिए याद की जाती हैं। 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर एटम बम गिराया गया। फिर भी जापान ने हार नहीं मानी तो 9 अगस्त को नगासाकी शहर पर बम गिराया गया। इन दो बमों ने विश्व युद्ध रोक दिया। इस साल दुनिया उस बमबारी की सत्तरवीं सालगिरह मना रही है।

Saturday, August 8, 2015

हमारा संघवाद क्या आतंकवाद का सामना करने में आड़े आता है?

नवम्बर 2007 में संघवाद पर दिल्ली में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि संघवाद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद तथा मौसम परिवर्तन जैसी मानव-जनित चुनौतियों से निपटने के उपाय भी खोजने होंगे। नरेंद्र मोदी सरकार ‘सहकारी संघवाद’ की बात करती है। उसका आशय भी समस्याओं के समाधान मिलकर खोजने वाली व्यवस्था से है। यह एक आदर्श स्थिति है। भारत जैसे बहुरंगी समाज के लिए संघीय ढाँचा अनिवार्यता भी है। कई बार हमारी संघ-राज्य राजनीति समाधान बनने के बजाय समस्या बन जाती है।
भारत में संघीय व्यवस्था तीन सतह पर काम करती है। केंद्र, राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र। संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज भी इस व्यवस्था में शामिल हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 268 से 281 तक राज्यों और केन्द्र के बीच राजस्व संग्रहण और वितरण की व्यवस्था परिभाषित की गई है। संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक आपात उपबंधों की व्यवस्था है। अनुच्छेद 355 बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से निपटने की जिम्मेदारी केन्द्र को देता है।

Thursday, August 6, 2015

पूर्वोत्तर का महत्त्व बढ़ेगा

नगालैंड का शांति समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ भारत अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है. उधर का रास्ता पूर्वोत्तर से होकर गुजरता है, जो देश का सबसे संवेदनशील इलाका है. सब ठीक रहा तो यह समझौता केवल नगालैंड की ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर की कहानी बदल सकता है. एनएससीएन (आईएम) के साथ समझौते की जिस रूपरेखा पर दस्तखत किए गए हैं, उसकी शर्तों की जानकारी अभी नहीं है। उम्मीद है कि 18 साल के विचार-विमर्श ने इस समझौते की बुनियाद पक्की बना दी होगी.

सरकार ने इस मामले में काफी सावधानी से कदम रखे हैं. समझौते पर दस्तखत से पहले प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुलायम सिंह यादव, मायावती, शरद पवार, सीताराम येचुरी, ममता बनर्जी, जे जयललिता, नगालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और दूसरे राजनेताओं के साथ बात की थी. इसलिए समझौते को लेकर आंतरिक राजनीति में विवाद का अंदेशा नहीं है. अलबत्ता इसके पूरी तरह लागू होने से पहले कुछ सवाल जरूर हैं.

Tuesday, August 4, 2015

किस हद तक जाएगा कांग्रेस का विरोध


कांग्रेस का संसदीय गतिरोध कार्यक्रम कमज़ोर हो ही रहा था कि कांग्रेस के 25 सदस्यों के निलंबित होने से आंदोलन में जान आ गई है। क्या कांग्रेस इसे किसी तार्किक परिणति तक ले जाने में कामयाब होगी? अगले पाँच दिन तक लोकसभा के बहिष्कार से कांग्रेस को मीडिया कवरेज का अवसर मिलेगा, पर इससे संसदीय कर्म को ठेस लगेगी। दूसरी ओर बीजेपी के रुख में भी नरमी नहीं है। भाजपा संसदीय दल की बैठक में कांग्रेस के आंदोलन के विरोध में प्रस्ताव पास हुआ है। आर्थिक सुधारों से जुड़े विधेयकों के रास्ते में अड़ंगा लगने पर  नुकसान देश का होगा। अब लगता नहीं कि संसद का शेष बचा सत्र कोई महत्वपूर्ण सकारात्मक कार्य कर पाएगा। 

देखना यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी अपने आंदोलन के पक्ष में विपक्ष के दूसरे दलों से कितना समर्थन जुटा पाती है। साथ ही पार्टी ने इसे किस हद तक ले जाने की योजना बनाई है। सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की माँग को लेकर पार्टी का विरोध प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी है। लोकसभा में अपने 25 सांसदों को निलंबित किए जाने के विरोध में सोनिया गांधी के नेतृत्व में सांसदों ने संसद के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। सभी सांसद गांधी प्रतिमा के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने बाहों में काली पट्टियाँ बाँध रखी हं। पार्टी के राज्यसभा सांसद भी धरने में शामिल हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सभी सांसदों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 

धरने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, सत्यव्रत चतुर्वेदी, प्रमोद तिवारी, आनंद शर्मा, एके एंटनी, अश्वनी कुमार, राजीव शुक्ला, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, राज बब्बर, शैलजा कुमारी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अहमद पटेल सहित तमाम सांसद शामिल हैं। सभी नेताओं ने हाथ पर काली पट्टी बांध रखी है। सांसदों का कहना है कि सरकार की तानाशाही के खिलाफ लगातार 5 दिन तक धरना दिया जाएगा।

कल लोकसभा स्पीकर ने 25 कांग्रेस सांसदों को 5 दिन के लिए निलंबित कर दिया था। कांग्रेस ने इसे विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश करार दिया है। वहीं आज बीजेपी संसदीय दल की बैठक भी हो रही। माना जा रहा है कि इस बैठक में लोकसभा से पांच दिनों के लिए निलंबित सांसदों के बाद पैदा हालातों पर रणनीति तय की जाएगी।

25 निलंबित सांसदों के समर्थन में कांग्रेस सहित जिन 9 पार्टियों ने अगले पाँच दिन तक लोकसभा का बहिष्कार करने का फैसला किया है उनके नाम हैं- तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी, जेडीयू, एनसीपी, मुस्लिम लोग और आम आदमी पार्टी। वे इस सिलसिले में समाजवादी पार्टी से भी बात कर रहे हैं। आज सुबह मुलायम सिंह मीडिया के सामने आए और उन्होंने निलंबन का विरोध किया। 

इस सत्र में पास होने के लिए जो मुख्य विधेयक लंबित हैं उनके नाम हैं- जीएसटी, भूमि अधिग्रहण, रियल एस्टेट्स रेग्युलेटर बिल, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक, ह्विसिल ब्लोवर संरक्षण (संशोधन), बाल श्रम निषेध एवं नियमन विधेयक, किशोर अपराध (बाल संरक्षण) तथा नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट (संशोधन) विधेयक। 
निलंबित लोकसभा सदस्य क्लिक करके बड़ा करें
                           
Here is the list of Congress MPs suspended:
 BN Chandrappa
Santokh Singh Chaudhary
Abu Hasem Khan Choudhury
Sushmita Dev
R Dhruvanarayana
Ninong Ering
Gaurav Gogoi
Sukender Reddy Gutha
Deepender Singh Hooda
Suresh Kodikunnil
SP Muddahanumegowda
Abhijit Mukherjee
Ramachandra Mullappally
KH Muniyappa
BV Nayak
Vincent H Pala
MK Raghvan
Ranjeet Ranjan
CL Ruala
Tamradhwaj Sahu
Rajeev Shankarrao Satav
Ravneet Singh
Doddaalahalli Kempegowda Suresh
KC Venugopal
Thokehom Meinya