उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नरेन्द्र मोदी की विजय के रूप में भाजपा प्रचारित कर रही है। और लालकृष्ण आडवाणी की और रथयात्रा पर निकलने वाले हैं। अमेरिकी संसद के एक पेपर के निहितार्थ को लेकर विशेषज्ञ प्राइम टाइम को धन्य कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा की गतिविधियाँ तेज़ हो गईं हैं। इस इतवार को शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक समिति के चुनाव में कांग्रेस और अकाली दल की ताकत का पंजाब में पहला इम्तहान होगा। 2012 के विधान सभा चुनाव पर इसका असर नज़र आएगा। कांग्रेस इस चुनाव में औपचारिक रूप से नहीं उतरी है, पर उसके प्रत्याशी और नेता मैदान में हैं। उत्तर भारत के इन तीन राज्यों के अलावा मणिपुर और गोवा में भी अगले साल चुनाव हैं। इन पाँचों राज्यों से लोकसभा की 100 सीटें है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मसले अलग और वक्त भी अलग है, पर कहीं न कहीं वोटर के मिजाज़ का पता लगने लगता है। अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद पहली बार देश के बड़े हिस्से के लोगों की राजनीतिक राय सामने आएगी। हर लिहाज़ से ये चुनाव महत्वपूर्ण साबित होंगे।
Tuesday, September 20, 2011
राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौती होंगे 2012 के चुनाव
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नरेन्द्र मोदी की विजय के रूप में भाजपा प्रचारित कर रही है। और लालकृष्ण आडवाणी की और रथयात्रा पर निकलने वाले हैं। अमेरिकी संसद के एक पेपर के निहितार्थ को लेकर विशेषज्ञ प्राइम टाइम को धन्य कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा की गतिविधियाँ तेज़ हो गईं हैं। इस इतवार को शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक समिति के चुनाव में कांग्रेस और अकाली दल की ताकत का पंजाब में पहला इम्तहान होगा। 2012 के विधान सभा चुनाव पर इसका असर नज़र आएगा। कांग्रेस इस चुनाव में औपचारिक रूप से नहीं उतरी है, पर उसके प्रत्याशी और नेता मैदान में हैं। उत्तर भारत के इन तीन राज्यों के अलावा मणिपुर और गोवा में भी अगले साल चुनाव हैं। इन पाँचों राज्यों से लोकसभा की 100 सीटें है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मसले अलग और वक्त भी अलग है, पर कहीं न कहीं वोटर के मिजाज़ का पता लगने लगता है। अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद पहली बार देश के बड़े हिस्से के लोगों की राजनीतिक राय सामने आएगी। हर लिहाज़ से ये चुनाव महत्वपूर्ण साबित होंगे।
शहरयार की तस्वीर
Monday, September 19, 2011
राजनीति में जिसका स्वांग चल जाए वही सफल है
दारुल-उल-उलूम देवबंद के पूर्व मोहातमिम गुलाम मुहम्मद वस्तानवी ने नरेन्द्र मोदी के बारे में क्या कहा था? यही कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात का विकास हुआ है। और दूसरे यह कि जहाँ तक विकास की बात है मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं बरता गया। उन्होंने यह भी कहा कि 2002 के दंगे देश के लिए कलंक हैं। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। दंगों के दौरान पुलिस ने मुसलमानों को नहीं बचाया, क्योंकि ऊपर से राजनीतिक दबाव था। वस्तानवी ने इसके अलावा यह भी कहा कि मुसलमानों को अच्छी शिक्षा लेनी चाहिए। उनके लिए नौकरियों का बंदोबस्त तभी हो सकता है जब वे अच्छी तरह पढ़ें।
मोदी के बारे में वस्तानवी का बयान एकतरफा नहीं था। पर शायद देवबंद के प्रमुख पद पर बैठे व्यक्ति से देश के ज्यादातर मुसलमानों को ऐसी उम्मीद नहीं थी। मोदी के बारे में मुसलमानों को नरम बयान नहीं चाहिए। गुजरात में मुसलमानों का जिस तरह संहार किया गया वह क्या कभी भुलाया जा सकता है? फिर वस्तानवी ने ऐसा बयान क्यों दिया? वे तो गुजराती हैं। उन्हें तो दंगों की भयावहता की जानकारी थी। उनकी ईमानदारी पर पहले किसी को संदेह नहीं था। पर इस बयान से कहानी बदल गई। उन्हें पद से हटा दिया गया। और जब उन्हें हटाया जा रहा था तभी यह बात कही जा रही थी कि उनके हटने की वजह यह भी है कि वे गुजरात से हैं। वस्तानवी उन कुछ मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी राय है कि हमें गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से आगे बढ़ना चाहिए। बात मोदी को माफ करने या उन्हें समर्थन देने की नहीं है। बल्कि नए दौर में मुसलमानों के दूसरे सवालों को रेखांकित करने की भी है।
Sunday, September 18, 2011
चीन में जनता का विरोध
चीन में ऐसी तस्वीरें मीडिया में प्रसारित नहीं होतीं। हेनिंग, जेंगजियांग प्रांत के होंगशियाओ के तरकीबन 500 निवासियों ने जिंको सोलर कॉरपोरेशन के सामने प्रदर्शन किया और उसके आस-पास खड़ी आठ गाड़ियों को उल्टा कर दिया। यह कार उनमें से एक है। चीन की जनता नाराज होती है और उपद्रव भी करती है, इस बात पर विस्मय होता है। यह फोटो ग्लोबल टाइम्स की वैबसाइट पर नजर आई।
Saturday, September 17, 2011
गूगल पर अनंत पै
गूगल के होम पेज पर अक्सर देशकाल के हिसाब से चित्र बदलता है। 17 सितम्बर को अनंत पै के 82 वें जन्म दिन की याद करते हुए उनका चित्र लगाया है। अनंत पै को न जाने कितने भारतीय याद रखते हैं। उनका योगदान केवल चित्रकथाएं नहीं हैं। उन्होंने अमर चित्र कथा के रूप में एक नए विषय का प्रवेश कराया। भारत में फैंटम, मैनड्रेक और फ्लैश गॉर्डन जैसे पात्रों का प्रवेश कराया और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए सुरुचिपूर्ण सामग्री तैयार की।
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