दो साल पहले 5 अगस्त, 2019 को भारत ने कश्मीर पर अनुच्छेद 370 और 35 को निष्प्रभावी करके लम्बे समय से चले आ रहे एक अवरोध को समाप्त कर दिया। राज्य का पुनर्गठन भी हुआ है और लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है। पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का मामला अब भी अधूरा है। कश्मीर हमारे देश का अटूट अंग है, तो हमें उस हिस्से को भी वापस लेने की कोशिश करनी चाहिए, जो पाकिस्तान के कब्जे में है। क्या यह सम्भव है? कैसे हो सकता है यह काम?
गृह मंत्री अमित शाह ने नवम्बर 2019 में एक कार्यक्रम
में कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर और जम्मू-कश्मीर के लिए हम जान भी दे सकते हैं और
देश में करोड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके मन में यही भावना है। साथ ही यह
भी कहा कि इस सिलसिले में सरकार का जो भी ‘प्लान ऑफ एक्शन’ है, उसे टीवी डिबेट में घोषित नहीं किया जा सकता। ये सब देश की सुरक्षा
से जुड़े संवेदनशील मुद्दे हैं, जिन्हें ठीक वैसे ही करना चाहिए,
जैसे अनुच्छेद 370 को हटाया गया। इसके समय की बात मत पूछिए तो अच्छा
है।
इसके पहले संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए
भी उन्होंने कहा था कि पीओके के लिए हम जान दे सकते हैं। गृहमंत्री के इस बयान के
पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सितम्बर 2019 में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा ता
कि पाकिस्तान के कब्जे में जो कश्मीर है, वह भारत का
हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि एक दिन इस पर हमारा अधिकार हो जाएगा।
इन दोनों बयानों के बाद जनवरी 2020 में भारतीय
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सेना दिवस के पहले एक संवाददाता सम्मेलन में
कहा कि यदि देश की संसद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने का आदेश देगी तो हम
कारवाई कर सकते है। उन्होंने कहा, संसद इस बारे में प्रस्ताव पास कर चुकी
है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। इन बयानों के पीछे क्या कोई संजीदा
सोच-विचार था? क्या भविष्य में हम कश्मीर को भारत के
अटूट अंग के रूप में देख पाएंगे?
संसद का प्रस्ताव
इस सिलसिले में भारतीय संसद के एक प्रस्ताव का
उल्लेख करना भी जरूरी है। हमारी संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी 1994 को
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और इस बात पर जोर दिया कि सम्पूर्ण
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसलिए पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले राज्य के
हिस्सों को खाली करना होगा संकल्प में कहा गया, जम्मू
और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है, और रहेगा तथा
उसे देश के बाकी हिस्सों से अलग करने के किसी भी प्रयास का सभी आवश्यक साधन के
द्वारा विरोध किया जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया कि पाकिस्तान बल पूर्वक कब्जाए हुए
भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों को खाली करे।