Friday, March 15, 2013

कश्मीर के बारे में भारतीय संसद का 22 फरवरी 1994 का प्रस्ताव


पाकिस्तानी राजनेताओं को या तो सम्प्रभुता और संसदीय गरिमा की समझ नहीं है  या उन्होंने किसी दीर्घकालीन रणनीति के तहत संसद के माध्यम से प्रस्ताव पास किया है।  उन दिनों जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो बार-बार कह रहीं थीं कि कश्मीर का मसला विभाजन के बाद बचा अधूरा काम है। इस पर भारत के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की भारत में वापसी ही अधूरा रह गया काम  है। वह समय था जब कश्मीर में हिंसा चरमोत्कर्ष पर थी। बढ़ती हुई आतंकवादी हिंसा के मद्देनज़र भारतीय संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और इस बात पर जोर दिया कि सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसलिए पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले राज्य के हिस्सों को खाली करना होगा । संकल्प का पाठ इस प्रकार है।



"यह सदन"
पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित शिविरों में आतंकवादियों को प्रशिक्षण प्रदान करने, साथ ही हथियार और धन देकर जम्मू और कश्मीर में विदेशी भाड़े के सैनिकों सहित प्रशिक्षित उग्रवादियों की घुसपैठ में सहायता से सामाजिक सद्भाव को नष्ट करने और तोड़फोड़ के घोषित उद्देश्य की आपूर्ति में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करता है |

सदन ने दोहराया कि पाकिस्तान में प्रशिक्षित उग्रवादी हत्या, लूट, लोगों को बंधक बनाने और आतंक का वातावरण निर्मित करने जैसे अन्य जघन्य अपराधों में लिप्त हैं;

भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान द्वारा जारी समर्थन और प्रोत्साहन की सदन द्रढता से निंदा करता है |

पाकिस्तान अविलम्ब आतंकवादियों को सहयोग करना बंद करे, जोकि शिमला समझौते का उल्लंघन है तथा दोनों देशों के मध्य तनाव का मुख्य कारण तथा पारस्परिक संबंधों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानदंडों के विरुद्ध है| साथ ही सदन ने भारतीय राजनीतिक और लोकतांत्रिक ढांचे और अपने सभी नागरिकों के संविधान प्रदत्त अधिकारों व मानवाधिकारों के संरक्षण करने का विश्वास दिलाया और अपने समर्थन को दोहराया |

पाकिस्तान के भारत-विरोधी अभियान को अस्वीकार कर उसे दुखद रूप में झूठ बताते हुए उसकी निंदा की |
वातावरण दूषित करने और जनमत उत्तेजित करने बाले पाकिस्तान के बेहद उत्तेजक बयानों को गंभीर चिंता विषय मानते हुए उनसे बचने का आग्रह पाकिस्तान से किया |

पाकिस्तान के अवैध कब्जे बाले क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की दयनीय स्थिति तथा उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रहने पर चिंता व्यक्त की गई |
भारत के लोगों की ओर से,

मजबूती से कहते हैं कि-

(क) जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है, है और रहेगा तथा उसे देश के बाकी हिस्सों से अलग करने के किसी भी प्रयास का सभी आवश्यक साधन के द्वारा विरोध किया जाएगा;

(ख) भारत में अपनी एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध होने वाले किसी भी आक्रमण का मजबूती से मुकाबला करने की इच्छाशक्ति व क्षमता है

और मांग है कि -

(सी) पाकिस्तान बल पूर्वक कब्जाए हुए भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों को खाली करे; और सदन पारित करता है कि -

(d) भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के सभी प्रयासों से सख्ती से निबटा जाए."

प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाया गया ।
अध्यक्ष महोदय: प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है।

2 comments:

  1. बिना दृढ़ उत्तर के कोई निष्कर्ष निकलने वाला नहीं।

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