भारत-इजराइल-अमेरिका और यूएई के बीच नवगठित समूह
आई2यू2 की गुरुवार 14 जुलाई को हुई पहली शिखर बैठक में भारत के लिए नए अवसर खुले
हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजरायल के
प्रधानमंत्री येर लेपिड और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान
की इस वर्चुअल बैठक में दो अहम परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई, जो भारत में शुरू
होंगी। भारत और यूएई के बीच फूड एक कॉरिडोर बनाया जाएगा। दूसरे भारत के द्वारका
में अक्षय ऊर्जा हब बनाया जाएगा। यह आर्थिक कार्यक्रम है, पर इसके पीछे पश्चिम
एशिया की भावी राजनीति और इसमें भारत की भूमिका को भी देखा जा सकता है।
बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति और इजराइल के प्रधानमंत्री
तेल अवीव से शामिल हुए थे। जो बाइडेन 13 से 16 जुलाई तक पश्चिम एशिया के दौरे पर थे।
उनकी इस यात्रा के पीछे पश्चिम एशिया में अपने मित्र देशों के आधार को मजबूत करने
के अलावा यूक्रेन युद्ध के कारण इस समय दुनिया में पेट्रोलियम की कीमतों में तेजी
को रोकना भी है। इस तेजी का लाभ रूस को मिल रहा है। अमेरिका की कोशिश है कि सऊदी
अरब के सहयोग से इस तेजी पर काबू पाया जाए।
फलस्तीन की समस्या
बाइडेन चाहते हैं कि इजरायल और फलस्तीनियों के
बीच दीर्घकालीन समझौता हो जाए। पर यह समझौता फलस्तीनी अथॉरिटी के महमूद अब्बास के
साथ होगा। जो बाइडेन ‘टू स्टेट’ अवधारणा का समर्थन कर
रहे हैं। उनकी महमूद अब्बास से मुलाकात भी हुई है। पर
समझौता आसान नहीं है। खासतौर से हमस का रुख काफी कड़ा है और गज़ा पट्टी पर हमस का
ही दबदबा है। महमूद अब्बास के संगठन और इजरायल दोनों के साथ भारत के रिश्ते अच्छे
हैं, जिनका लाभ लिया जा सकता है।
हमस मूलतः उग्रवादी संगठन है, पर 2005 के बाद से उसने गज़ा पट्टी के इलाके में राजनीतिक प्रक्रिया
में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया। वह फलस्तीनी अथॉरिटी के चुनावों में शामिल होने
लगा। गज़ा में फतह को चुनाव में हराकर उसने प्रशासन अपने अधीन कर लिया है। अब फतह
गुट का पश्चिमी तट पर नियंत्रण है और गज़ा पट्टी पर हमस का। अंतरराष्ट्रीय समुदाय
पश्चिमी तट के इलाके की अल फतह नियंत्रित फलस्तीनी अथॉरिटी को ही मान्यता देता है।
शिखर बैठक के बाद भारत के विदेश सचिव विनय
क्वात्रा ने कहा कि शुरूआती दौर में फिलहाल गुजरात और मध्य प्रदेश में यह पार्क
बनाने की कवायद आगे बढ़ी है। उन्होंने बताया कि भारत की केला, चावल, आलू, प्याज
और मसालों की फसलों को आरंभिक दौर में चिह्नित भी किया गया है। इन परियोजनाओं के
जरिए भारतीय किसानों के उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा, वहीं रोजगार के नए अवसर भी
बनेंगे।
दो अरब डॉलर का निवेश
इस शिखर बैठक के बाद संयुक्त अरब अमीरात ने
घोषणा की कि वह एकीकृत फूड पार्कों की श्रृंखला का विकास करने के लिए भारत में दो
अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसका उद्देश्य दक्षिण और पश्चिम एशिया में खाद्य
असुरक्षा की समस्या का सामना करना है। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया
है कि इस कार्य के लिए भूमि और किसानों को जोड़ने का काम भारत करेगा। इस बैठक में
इस इलाके की खाद्य-सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा, खाद्य उत्पादन तथा वितरण प्रणाली में
बदलावों को सुनिश्चित करने पर विचार हुआ, ताकि वैश्विक खाद्य-सामग्री का भंडार
बनाया जा सके।
इस कार्य में अमेरिका और इजराइल से निजी
क्षेत्रों को आमंत्रित किया जाएगा और उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा। वे
परियोजना की कुल वहनीयता में योगदान देते हुए नवोन्मेषी समाधानों की पेशकश भी
करेंगे। पूँजी निवेश से उपज बेहतर होगी और इससे दक्षिण एशिया एवं पश्चिम एशिया में
खाद्य असुरक्षा से निपटा जा सकेगा।
आई2यू2 ग्रुप
आई2यू2 यानी अंग्रेजी आई 2 (इंडिया और इजरायल)
और यू 2 (यानी यूएसए और यूएई)। इसे पश्चिम एशिया का क्वॉड भी कहा जा रहा है। इस
अनौपचारिक समूह की शुरुआत अक्तूबर 2021 में विदेशमंत्री एस जयशंकर की इजरायल यात्रा
के दौरान उपरोक्त चारों देशों के विदेशमंत्रियों की एक पहल के रूप में हुई थी। उस
समय इसे आर्थिक सहयोग का अंतरराष्ट्रीय फोरम भी कहा गया था।
आई2यू2 समूह को महत्वपूर्ण माना जा रहा है,
क्योंकि पश्चिम एशिया में भारत के साथ अमेरिकी साझेदारी गेम चेंजर हो सकती है। यह
बात पूर्व इजरायल के पूर्व एनएसए मेजर जनरल याकोव अमिद्रोर ने गत 14 जुलाई को फोरम
की पहली उच्च स्तरीय बैठक से पहले कही। भारत सरकार ने मंगलवार 12 जुलाई को आई2यू2
नेताओं के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की घोषणा करते हुए कहा कि यह समूह पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष,
स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह पारस्परिक रूप से पहचाने गए क्षेत्रों
में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगा।
इजरायल के पूर्व एनएसए ने कहा, आई2यू2 दुनिया के हितों को ध्यान में रखकर बनाया
गया है। इसमें इजरायल और यूएई में रणनीतिक
साझेदारी की घोषणा की उम्मीद है। उन्होंने कहा, भारत
की भूमिका यूरोप और इजरायल के साथ एक सेतु
की है और पूरे संदर्भ में भारत एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
नया क्वॉड
इसमें दो राय नहीं कि हाल के वर्षों में भारत
ने इस इलाके में सम्पर्क बढ़ाया है। हाल में जर्मनी में हुई जी-7 की शिखर-बैठक में
शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी यूएई की संक्षिप्त-यात्रा पर भी गए थे। अमेरिका
की दिलचस्पी इस बात में भी है कि इजरायल के रिश्ते इस क्षेत्र के देशों के साथ
बेहतर हों। इसमें यूएई के अलावा सऊदी अरब की भूमिका भी है। इसमें यूएई, मोरक्को और
बहरीन के साथ हुआ अब्राहमिक समझौता मददगार होगा। इस प्रक्रिया को आई2यू2 समूह
बढ़ाएगा।