राहुल गांधी के जिस इस्तीफे पर एक महीने से अटकलें चल रही
थीं, वह अब जाकर वास्तविक बना। उसे छिपाने की जरूरत क्या थी? पार्टी ने इस बात को छिपाया जबकि वह
एक महीने से ज्यादा समय से हवा में है। बहरहाल अब सवाल है कि इसके आगे क्या? क्या कांग्रेस परिवार-मुक्त हो गई या हो जाएगी? क्या भविष्य में उसका संचालन लोकतांत्रिक तरीके
से होगा? इस्तीफा देने के बाद
राहुल गांधी की भूमिका क्या होगी और उनके उत्तराधिकारी का चयन किस तरीके से होगा?
पार्टी के संविधान में व्यवस्था है कि किसी अनहोनी की
स्थिति में पार्टी के वरिष्ठतम महासचिव को अंतरिम अध्यक्ष का काम सौंपा जा सकता है।
अलबत्ता पार्टी ने संकेत दिया है कि जबतक कार्यसमिति इस्तीफे को स्वीकार नहीं
करती, तबतक राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष हैं। इसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति की
प्रक्रिया पूरा होगी। तमाम नाम सामने आ रहे हैं, पर अब सबसे पहले कार्यसमिति की
बैठक का इंतजार है।
राहुल गांधी के चार पेज के इस्तीफे में पार्टी की भावी दिशा
के कुछ संकेत जरूर मिलते हैं। इस्तीफे के बाद यह नहीं मान लेना चाहिए कि पार्टी पर
परिवार का वर्चस्व खत्म हो गया है, बल्कि उस वर्चस्व की अब औपचारिक पुष्टि होगी। उन्होंने
लिखा है कि इस्तीफ़ा देने के तत्काल बाद मैंने कांग्रेस कार्यसमिति में
अपने सहकर्मियों को सलाह दी कि वे नए अध्यक्ष को चुनने की ज़िम्मेदारी एक ग्रुप को
दें। वही ग्रुप नए अध्यक्ष की खोज शुरू करे। मैं इस मामले में मदद करूंगा और
कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन बहुत ही आसानी से हो जाएगा।