असम के बोडोलैंड टैरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी)
में तकरीबन दो साल बाद फिर से हिंसा का तांडव होने के बाद हमारे मीडिया ने सहज भाव
से इसे हिंदू-मुस्लिम समस्या की शक्ल दी है और कांग्रेस पार्टी ने देरी किए बगैर
इसके पीछे नरेंद्र मोदी के बयानों को जिम्मेदार ठहराया है. पर यह पूरा सच नहीं है.
चुनाव के कारण इसे हम देश की राजनीति से अलग करके देख नहीं पा रहे हैं. असम की
कांग्रेस सरकार ने अपनी बचत के लिए इस हिंसा का आरोप नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के
उग्रवादियों के एक ग्रुप (सोंगजिबित) पर लगाया है. पर एनडीएफबी का कहना है कि
इसमें हमारा हाथ नहीं है. कांग्रेस का बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ गठबंधन
है. इस ग्रुप का एक मंत्री भी गोगोई सरकार में है. हाल की हिंसा के पीछे इसी ग्रुप
का हाथ बताया जाता है. माना जा रहा है कि चुनाव में वोट न डालने की सजा गैर-बोडो
लोगों को दी गई है, जो मूलतः बांग्ला या हिंदी भाषी और मुसलमान हैं. ये सब
बांग्लादेशी नहीं हैं. अंदेशा है कि इस बार कोंकराझार इलाके से किसी गैर-बोडो
प्रत्याशी की जीत होने वाली है.
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव का सातवां दौर आज पूरा हो जाने के बाद 105 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान बाक़ी रह जाएगा.
यानी काम निपटता जा रहा है. पर राजनीतिक दृष्टि से देखें तो चुनाव अपने सबसे महत्वपूर्ण दौर में प्रवेश कर रहा है. आज के सातवें दौर में 89 सीटों का फ़ैसला होगा. कई लिहाज से यह मतदान दिल्ली की भावी सरकार की शक्लो-सूरत तय करेगा.
ख़ास ख़बरें
कांग्रेस और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षों की लोकसभा सदस्यता का फ़ैसला आज होगा. श्रीमती सोनिया गांधी रायबरेली से और राजनाथ सिंह लखनऊ से चुनाव लड़ रहे हैं.
जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव बिहार के मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका फ़ैसला भी आज हो जाएगा.
वर्चस्व की लड़ाई
आज गुजरात की 26, आंध्र की 17, बिहार की सात, जम्मू कश्मीर की एक, पंजाब की 13, उत्तर प्रदेश की 14, पश्चिम बंगाल की नौ, दादरा-नगर हवेली की एक और दमण-दीव की एक सीट पर मतदान होगा.