Thursday, June 23, 2022

उद्धव ठाकरे के सामने मुश्किल चुनौती


ताजा समाचार है कि गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे के साथ 41 विधायक आ गए हैं। इतना ही नहीं पार्टी के 18 में से 14 सांसद बागियों के साथ हैं। शिंदे ने अभी तक अपने अगले कदम की घोषणा नहीं की है। शिवसेना के इतिहास के सबसे बड़े घमासान में एक तरफ़ जहां महाविकास अघाड़ी के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है, वहीं दूसरी ओर शिवसेना के नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे हैं। बीबीसी हिंदी में विनीत खरे की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा कैसे हो गया कि मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की नाक के नीचे मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विधायकों ने विद्रोह कर दिया और उन्हें इसकी ख़बर ही नहीं लगी? वह भी तब जब मुंबई में जानकार बताते हैं कि राज्य में ये बात आम थी कि एकनाथ शिंदे नाख़ुश चल रहे हैं। बीबीसी मराठी के आशीष दीक्षित की रिपोर्ट के अनुसार शिवसेना के इस संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ है।

अस्तित्व का सवाल

बीबीसी में दिलनवाज़ पाशा की रिपोर्ट के अनुसार अब उद्धव ठाकरे के सामने सिर्फ़ सरकार ही नहीं अपनी पार्टी बचाने की भी चुनौती है क्योंकि बाग़ी एकनाथ शिंदे ने शिव सेना पर ही दावा ठोक दिया है। महाराष्ट्र के मौजूदा सियासी घमासान का एक नतीजा ये भी हो सकता है कि एकनाथ शिंदे बाग़ी शिव सेना विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिले लें और राज्य में सत्ता बदल जाए। इसी के साथ उद्धव ठाकरे के लगभग ढाई साल के कार्यकाल का भी अंत हो जाएगा।

विश्लेषक मानते हैं कि पिछले ढाई साल में उद्धव ठाकरे ने कोविड के ख़िलाफ़ तो जमकर काम किया लेकिन इसके अलावा वे कुछ और उल्लेखनीय नहीं कर पाए। कोविड महामारी के दौरान उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री के रूप में सोशल मीडिया पर सुपर एक्टिव थे और जनता से सीधा संवाद कर रहे थे। महामारी के दौरान हुए एक सर्वे में उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ पाँच मुख्यमंत्रियों में शामिल किया गया था।

अदृश्य नेतृत्व

उद्धव ठाकरे ने अपने आप को घर तक ही सीमित रखा और वे बहुत कम बाहर निकले। उद्धव दिल के मरीज़ हैं और 2012 में सर्जरी के बाद उन्हें 8 स्टेंट भी लग चुके हैं। नवंबर 2021 में उद्धव अस्पताल में भरती हुए थे और उनकी रीढ़ की सर्जरी की गई थी। उद्धव ठाकरे ने अधिकतर कैबिनेट बैठकें वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए ही कीं। वे बहुत कम मंत्रालय गए। सरकारी आवास वर्षा, जहाँ से सरकार चलती है, वहाँ भी वे कम ही रहे और अपने निजी बंगले में ही अधिक रहे। उन्होंने स्वास्थ्य की वजह से अपने आप को सीमित रखा। हालांकि महाराष्ट्र में ही शरद पवार जैसे बुज़ुर्ग नेता हैं जो बहुत सक्रिय रहते हैं और आमतौर पर दौरे करते रहते हैं।

संख्या की जाँच होगी

महाराष्‍ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि ज‍िरवाल ने एक न्यूज़ चैनल से कहा क‍ि जो मुझे पत्र मिला है, उसमें 34 का नाम है। कभी कम बोलते हैं, कभी ज्यादा बोलते हैं। जो उन्होंने लिखा है उसकी जांच करने की जरूरत पड़ेगी। एक दो दिन में फैसला हो जाएगा। लिस्ट में कुछ हस्ताक्षर पर संशय है। कानून में जैसा होगा वैसी मैं जांच करूंगा। उन्होंने कहा क‍ि जांच करने के लिए विधायकों को सामने बुलाना पड़ेगा। अभी तक कोई कम्युनिकेशन नहीं हुआ है। देखूंगा अभी पढ़ रहा हूं क्या-क्या है, उसके बाद निर्णय लूंगा। दूसरी तरफ पार्टी के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिंदे के पाले में गए 40 में से कम से कम आधे विधायक वापस आने के लिए संपर्क में हैं।

लिस्ट का इंतजार

उधर एबीपी न्यूज के अनुसार बीजेपी फिलहाल एकनाथ शिंदे की तरफ से जारी होने वाली उस लिस्ट का इंतजार कर रही है जिसके आधार पर आधिकारिक तौर पर यह पता चल सके कि एकनाथ शिंदे के साथ में कुल कितने विधायकों का समर्थन मौजूद है और इन विधायकों में कितने शिवसेना के विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि इस वक्त उनके साथ 37 से ज्यादा शिवसेना के विधायक मौजूद है और ऐसे में अब उनके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती।

 

 

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-06-2022) को चर्चा मंच     "गुटबन्दी के मन्त्र"   (चर्चा अंक-4471)     पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  2. सुंदर और सामयिक अभिव्यक्ति।

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  3. गिरगिटी चालों का इसमें जब तलक तड़का न था
    तब तलक मुंबई-सियासत बे-मज़ा सी दाल थी

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