अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण लंबे
समय तक होता रहेगा, पर एक बात निर्विवाद रूप से स्थापित हुई है कि भारतीय
राष्ट्र-राज्य के मंदिर का निर्माण सर्वोपरि है और इसमें सभी धर्मों और समुदायों
की भूमिका है. हमें इस देश को सुंदर और सुखद बनाना है. हमें अपनी अदालत को धन्यवाद
देना चाहिए कि उसने एक जटिल गुत्थी को सुलझाया. प्रतीक रूप में ही सही अदालत ने यह
फैसला सर्वानुमति से करके एक संदेश यह भी दिया है कि हम एक होकर अपनी समस्याओं के
समाधान खोजेंगे. इस फैसले में किसी एक जज की भी राय अलग होती, तो उसके तमाम
नकारात्मक अर्थ निकाले जा सकते थे.
एक तरह से यह फैसला भारतीय सांविधानिक व्यवस्था में मील का
पत्थर साबित होगा. सुप्रीम कोर्ट के सामने कई तरह के सवाल थे और बहुत सी ऐसी
बातें, जिनपर न्यायिक दृष्टि से विचार करना बेहद मुश्किल काम था, पर उसने भारतीय
समाज के सामने खड़ी एक जटिल समस्या के समाधान का रास्ता निकाला. इस सवाल को
हिन्दू-मुस्लिम समस्या के रूप में देखने के बजाय राष्ट्र-निर्माण के नजरिए से देखा
जाना चाहिए. सदियों की कड़वाहट को दूर करने की यह कोशिश हमें सही रास्ते पर ले
जाए, तो इससे अच्छा क्या होगा?