Showing posts with label पाकिस्तान. Show all posts
Showing posts with label पाकिस्तान. Show all posts

Thursday, October 21, 2021

पाकिस्तानी विदेशमंत्री काबुल क्यों गए?

पाकिस्तानी विदेशमंत्री का काबुल में स्वागत

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी एक दिन की तालिबान यात्रा पर गुरुवार को क़ाबुल पहुंचे। ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख जनरल फ़ैज़ अहमद भी इस दौरे पर कुरैशी के साथ गए हैं। अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद किसी पाकिस्तानी मंत्री का यह पहला अफ़ग़ानिस्तान दौरा है, पर जनरल फ़ैज़ का यह दूसरा दौरा है।

क्या वजह है इस दौरे की? खासतौर से जब मॉस्को में तालिबान के साथ रूस की एक बैठक चल रही है? इसे 'मॉस्को फॉर्मेट' नाम दिया गया है। इस बैठक में चीन और पाकिस्तान समेत 10 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं लेकिन अमेरिका इसमें हिस्सा नहीं ले रहा है। भारत ने इसमें हिस्सा लिया है और कहा है कि हम मानवीय सहायता देने को तैयार हैं, पर सम्भवतः भारत भी तालिबान सरकार को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है।

पाकिस्तानी विदेशमंत्री का दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई नेता तालिबान से एक समावेशी सरकार बनाने और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने की अपील कर रहे हैं। क्या पाकिस्तानी विदेशमंत्री तालिबानियों को समझाने गए हैं कि अपने तौर-तरीके बदलो?

पंजशीर-प्रतिरोध

फिलहाल मुझे एक बात समझ में आती है। पंजशीर में प्रतिरोध तेज हो गया है और काफी बड़े इलाके से तालिबानियों को खदेड़ दिया गया है। पिछली बार जब जनरल फ़ैज़ वहाँ गए थे, तब भी पंजशीर का मसला खड़ा था। उसके बाद कहा गया कि पाकिस्तानी सेना ने पंजशीर पर कब्जे के लिए तालिबान की मदद की थी। अगले कुछ दिन में बातें ज्यादा साफ होंगी। तालिबान की ताकत घटती जा रही है। उसके सामने एक तरफ आईसिस का खतरा है, दूसरी तरफ पंजशीर में उसके पैर उखड़ रहे हैं।

इन सब बातों के अलावा अफ़ग़ानिस्तान की आर्थिक चुनौतियां आने वाले दिनों में और भी गंभीर हो सकती हैं। अमेरिका ने फिर साफ़ कर दिया है कि उसका तालिबान के 'फ़्रीज़ फंड' को रिलीज़ करने का कोई इरादा नहीं है। अमेरिका ने मॉस्को वार्ता में हिस्सा भी नहीं लिया। बेशक अफगानिस्तान की जनता की परेशानियाँ बढ़ गई हैं, उनके भोजन और स्वास्थ्य के बारे में दुनिया को सोचना चाहिए, पर जिन देशों ने तालिबान को बढ़ने का मौका दिया, उनकी भी कोई जिम्मेदारी है। पाकिस्तान, चीन और रूस को सबसे पहले मदद के लिए आगे आना चाहिए।

आर्थिक संकट

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी दी है कि अफ़ग़ानिस्तान को तुरंत सहायता नहीं मिली तो स्थिति 'बेहद गंभीर' हो जाएगी। अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक संकट का असर पाकिस्तान, ताजिकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से लेकर तुर्की और यूरोप तक की मुश्किल बढ़ा देगा। अफ़ग़ानिस्तान को बड़ी मात्रा में विदेशी सहायता मिलती थी। ब्रिटेन की सरकार का अनुमान है कि ओईसीडी (ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) देशों ने साल 2001 से 2019 के बीच अफ़ग़ानिस्तान को 65 अरब अमेरिकी डॉलर का दान किया था।

Saturday, August 14, 2021

पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 15 से 14 अगस्त क्यों हुआ?

मेरा यह आलेख अगस्त 2019 में इसी ब्लॉग में प्रकाशित हुआ था। आज मैं इसे फिर से लगा रहा हूँ, क्योंकि इसकी जरूरत मुझे आज पिर महसूस हो रही है।  

भारत और पाकिस्तान अपने स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। दोनों के स्वतंत्रता दिवस अलग-अलग तारीखों को मनाए जाते हैं। सवाल है कि भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ, तो क्या पाकिस्तान उसके एक दिन पहले आजाद हो गया था? इसकी एक वजह यह बताई जाती है कि माउंटबेटन ने दिल्ली रवाना होने के पहले 14 अगस्त को ही मोहम्मद अली जिन्ना को शपथ दिला दी थी। दिल्ली का कार्यक्रम मध्यरात्रि से शुरू हुआ था।
शायद इस वजह से 14 अगस्त की तारीख को चुना गया, पर व्यावहारिक रूप से 14 अगस्त को पाकिस्तान बना ही नहीं था। दोनों ही देशों में स्वतंत्रता दिवस के पहले समारोह 15 अगस्त, 1947 को मनाए गए थे। सबसे बड़ी बात यह है कि स्वतंत्रता दिवस पर मोहम्मद अली जिन्ना ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, स्वतंत्र और सम्प्रभुता सम्पन्न पाकिस्तान का जन्मदिन 15 अगस्त है।
14 अगस्त को पाकिस्तान जन्मा ही नहीं था, तो वह 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाता है? 14 अगस्त, 1947 का दिन तो भारत पर ब्रिटिश शासन का आखिरी दिन था। वह दिन पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस कैसे हो सकता है? सच यह है कि पाकिस्तान ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 1947 को मनाया था और पहले कुछ साल लगातार 15 अगस्त को ही पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। पाकिस्तानी स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगाँठ के मौके पर जुलाई 1948 में जारी डाक टिकटों में भी 15 अगस्त को स्वतंत्रता पाकिस्तानी दिवस बताया गया था। पहले चार-पाँच साल तक 15 अगस्त को ही पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था।
अलग दिखाने की चाहत
अपने को भारत से अलग दिखाने की प्रवृत्ति के कारण पाकिस्तानी शासकों ने अपने स्वतंत्रता दिवस की तारीख बदली, जो इतिहास सम्मत नहीं है। पाकिस्तान के एक तबके की यह प्रवृत्ति सैकड़ों साल पीछे के इतिहास पर भी जाती है और पाकिस्तान के इतिहास को केवल इस्लामी इतिहास के रूप में ही पढ़ा जाता है। पाकिस्तान के अनेक लेखक और विचारक इस बात से सहमत नहीं हैं, पर एक कट्टरपंथी तबका भारत से अपने अलग दिखाने की कोशिश करता है। स्वतंत्रता दिवस को अलग साबित करना भी इसी प्रवृत्ति को दर्शाता है।
11 अगस्त, 2016 को पाक ट्रिब्यून में प्रकाशित अपने लेख में सेवानिवृत्त कर्नल रियाज़ जाफ़री ने अपने लेख में लिखा है कि कट्टरपंथी पाकिस्तानियों को स्वतंत्रता के पहले और बाद की हर बात में भारत नजर आता है। यहाँ तक कि लोकप्रिय गायिका नूरजहाँ के वे गीत, जो उन्होंने विभाजन के पहले गए थे, उन्हें रेडियो पाकिस्तान से प्रसारित नहीं किया जाता था। उनके अनुसार आजाद तो भारत हुआ था, पाकिस्तान नहीं। पाकिस्तान की तो रचना हुई थी। उसका जन्म हुआ था।   

Tuesday, May 11, 2021

एशिया में तेज गतिविधियाँ और भारतीय विदेश-नीति की चुनौतियाँ

 


पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अचानक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। एक तरफ अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी शुरू हो गई है, वहीं अमेरिका के हटने के बाद की स्थितियों को लेकर आपसी विमर्श तेज हो गया है। अफगानिस्तान में हाल में हुए एक आतंकी हमले में 80 के आसपास लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें ज्यादातर स्कूली लड़कियाँ हैं। ये लड़कियाँ शिया मूल के हज़ारा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि यह हमला दाएश यानी इस्लामिक स्टेट ने किया है। इस हमले के बाद अमेरिका ने कहा है कि अफगान सरकार और तालिबान को मिलकर इस गिरोह से लड़ना चाहिए। दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सऊदी अरब का दौरा करके आए हैं। इस दौरे के पीछे भी असली वजह अमेरिका के पश्चिम एशिया से हटकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर जाना है।

सऊदी अरब का प्रयास है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म हो, ताकि अफगानिस्तान में हालात पर काबू पाया जा सके, साथ ही इस इलाके में आर्थिक सहयोग का माहौल बने। इस बीच सऊदी अरब और ईरान के बीच भी सम्पर्क स्थापित हुआ है। जानकारों के अनुसार अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन का ईरान के साथ परमाणु समझौते को दोबारा बहाल करने की कोशिश करना और चीन का ईरान में 400 अरब डॉलर के निवेश के फ़ैसले के कारण सऊदी अरब के रुख़ में बदलाव नज़र आ रहा है।

अमेरिका की कोशिश भी ईरान से रिश्तों को सुधारने में है। इतना ही नहीं सऊदी और तुर्की रिश्तों में भी बदलाव आने वाला है। इस प्रक्रिया में भारत की नई भूमिका भी उभर कर आएगी। भारत ने प्रायः सभी देशों के साथ रिश्तों को सुधारा है। पाकिस्तान के कारण या किसी और वजह से तुर्की के साथ खलिश बढ़ी है, पर उसमें भी बदलाव आएगा।

Friday, March 19, 2021

पाकिस्तान से शांति का संदेश

 


पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने और फिर सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने कहा है, कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार होना चाहिए। प्रधानमंत्री के साथ जनरल बाजवा के बयान का आना भी बड़ा संदेश दे रहा है।

पिछले बुधवार को इमरान खान ने पाकिस्तान के थिंकटैंक नेशनल सिक्योरिटी डिवीजन के दो दिन के इस्लामाबाद सिक्योरिटी डायलॉग का उद्घाटन करते हुए कहा कि हम भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, पर भारत को इसमें पहल करनी चाहिए। पर उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका आशय क्या है।

इसी कार्यक्रम में बाद में जनरल बाजवा बोले थे। इसमें उन्होंने कहा, ''जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो जाता तब तक उपमहाद्वीप में शांति का सपना पूरा नहीं होगा। अब अतीत को भुला कर आगे बढ़ने का समय आ गया है।" पाकिस्तान की तरफ़ से हाल ही में सीमा पर युद्ध विराम समझौता किया गया है। जिसके बाद सेना प्रमुख जनरल जावेद बाजवा की भारत से बातचीत की पेशकश सामने आई है। उनकी इस पेशकश की सकारात्मक बात यह है कि इसमें कश्मीर से अनुच्छेद 370 की वापसी और इसी किस्म के विवादास्पद विषयों के नहीं उठाया गया है।

इस सिलसिले में एक और रोचक खबर यह है कि क़मर जावेद बाजवा ने अपनी सेना के जवानों को भारतीय लोकतंत्र की सफलता पर आधारित किताब पढ़ने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यह जानने की ज़रूरत है कि भारत ने किस तरह से राजनीति को अपनी सेना को अलग रखा है।

Monday, March 15, 2021

सियासी आँधी में घिरे इमरान खान

पाकिस्तानी संसद के ऐवान-ए-बाला यानी सीनेट के चुनाव में हार के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने वहाँ की राष्ट्रीय असेम्बली में विश्वासमत हासिल कर लिया है। शनिवार 6 मार्च को हुए मतदान में उनके पक्ष में 178 वोट पड़े, जबकि विरोधी दलों ने मतदान का बहिष्कार किया। पर ये 178 वोट खुले मतदान में पड़े हैं, जबकि सीनेट का चुनाव गुप्त मतदान से हुआ था। लगता है कि कुछ सदस्यों को मौके का इंतजार है, पर वे खुलकर सामने आना भी नहीं चाहते।

इस वक़्त सबसे अहम सवाल है कि देश के विरोधी दलों का उगला हदफ़ (निशाना) क्या होगा? पर्यवेक्षकों का कहना है कि एकबार शिगाफ़ (दरार) पड़ जाए, तो बार-बार उसपर वार करना जरूरी होता है। लगता है कि इमरान खान की सत्ता कमज़ोर पड़ रही हैं। अलबत्ता विरोधी दलों ने 26 मार्च को पूरे देश में लांग मार्च का कार्यक्रम बनाया है। इस लांग मार्च के साथ ही देश में फिर से चुनाव कराने की माँग शुरू हो गई है।

फौज किसके साथ?

फिलहाल विपक्ष सीनेट में अपना अध्यक्ष लाने की कोशिश करेगा और उसके बाद पंजाब की सूबाई सरकार को गिराने या बदलवाने की। मरियम नवाज शरीफ का कहना है कि पंजाब में पीटीआई के विधायकों ने अब हमसे सम्पर्क करना शुरू कर दिया है। यानी कहानी अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि उसका अगला अध्याय शुरू होने जा रहा है। सवाल यह भी है कि फौज (जिसे पाकिस्तान में एस्टेब्लिशमेंट या व्यवस्था कहा जाता है) किसके साथ है?

इमरान खान का विश्वासमत हासिल करना भी पाकिस्तान की राजनीति के लिहाज से अटपटा है। अप्रेल 2010 में हुए संविधान के 18वें संशोधन के बाद यह पहला मौका था, जब किसी प्रधानमंत्री ने विश्वासमत हासिल किया है। इसके पहले जरूरी होता था कि नवनियुक्त प्रधानमंत्री अपना पद संभालने के 30 दिन के भीतर विश्वासमत हासिल करे। अब सांविधानिक-व्यवस्था में इसकी जरूरत नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 91 की धारा 7 के अनुसार जब तक बहुमत को लेकर राष्ट्रपति को संदेह नहीं हो, वह अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं करेगा।

इमरान खान को अपनी तरफ से विश्वासमत हासिल करने की कोई जरूरत थी भी नहीं थी। उनसे राष्ट्रपति ने नहीं कहा था। शायद वे असुरक्षा से घिरे हैं और अपना बहुमत साबित करके अपने सुरक्षा-घेरे को मजबूत करना चाहते हैं। इमरान के पक्ष 155 वोट उनकी पार्टी पीटीआई के थे, सात एमक्यूएम (पी) के पाँच-पाँच बलोचिस्तान अवामी पार्टी, और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क़ायद और एक-एक वोट अवामी मुस्लिम लीग और जम्हूरी वतन पार्टी का था।

Saturday, March 6, 2021

इमरान सरकार बची, पर खतरा टला नहीं

युसुफ रजा गिलानी ने सीनेट की सीट जीतकर तहलका मचाया

 सीनेट चुनाव में हार के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने वहाँ की राष्ट्रीय असेम्बली में विश्वासमत हासिल कर लिया है। शनिवार को हुए मतदान में उनके पक्ष में 178 वोट पड़े, जबकि विरोधी दलों ने मतदान का बहिष्कार किया। इमरान और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की निगाहें उन नेताओं पर रहीं जिन पर सीनेट चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ विपक्ष का दामन थामने का आरोप लगाया गया था। जब वोट पड़े तो सरकार को आसानी से बहुमत मिल गया। 

इस जीत से इमरान सरकार बच तो गई है, पर ऐसा लग रहा है कि सेना ने खुद को तटस्थ बना लिया है। यों विश्वासमत के दो दिन पहले गुरुवार को इमरान देश के सेनाध्यक्ष और आईएसआई के प्रमुख से मिले थे। उसके बाद उन्होंने विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की। विरोधी दल जानते हैं कि पीटीआई के पास अभी बहुमत है। उनकी लड़ाई सड़क पर चल रही है। देश पर छाया आर्थिक संकट अभी टला नहीं है। विदेश-नीति में भी इमरान को विशेष सफलता मिली नहीं है। सरकार के पास वैक्सीन खरीदने तक का पैसा नहीं है। उसकी अलोकप्रियता बढ़ती जा रही है। 

Thursday, December 17, 2020

चीन से कर्जा लेकर पाकिस्तान ने सऊदी पैसा लौटाया


पाकिस्तान ऐसे मुकाम पर है, जहाँ पहले कभी नहीं था। पाकिस्तानी साप्ताहिक अखबरा फ्रायडे टाइम्स में कार्टून

आर्थिक रूप से तंगी में आए पाकिस्तान ने चीन से कर्जा लेकर सऊदी अरब को एक अरब डॉलर वापस लौटा दिए हैं। सऊदी अरब कुछ समय पहले तक पाकिस्तान का संरक्षक था और दो साल पहले जब पाकिस्तान के ऊपर विदेशी देनदारी का संकट आया था, तब सऊदी अरब ने उसे तीन अरब डॉलर का कर्ज दिया था। हाल में दोनों देशों को रिश्ते में खलिश आ जाने के कारण पाकिस्तान पर यह धनराशि जल्द वापस करने का दबाव है। ऐसे में चीन ने सहायता करके पाकिस्तान की इज्जत बचाई है। बाहरी कर्जों को चुकाने के लिए वह चीन से लगातार कर्ज ले रहा है।

जानकारी मिली है कि चीन ने पाकिस्तान को डेढ़ अरब डॉलर (करीब 11 हजार करोड़ भारतीय रुपये) की सहायता स्वीकृत की है। इस धनराशि से पाकिस्तान सऊदी अरब के दो अरब डॉलर (करीब 14,500 करोड़ रुपये) का कर्ज चुकाएगा। पाकिस्तान ने सऊदी अरब के बकाया एक अरब डॉलर लौटा दिए हैं और बाकी एक अरब डॉलर जनवरी में चुकाने का वायदा किया है। यह जानकारी पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने वहाँ के अखबार ट्रिब्यून को दी है।

Thursday, November 26, 2020

ओआईसी की बैठक को लेकर पाकिस्तान परेशान


नाइजर की राजधानी नियामे में शुक्रवार 27 नवंबर से हो रही ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक के एजेंडा में कश्मीर का जिक्र नहीं है। इस खबर से पाकिस्तान सरकार काफी परेशान है और उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाहिद हफीज़ चौधरी ने कहा कि यह भारतीय मीडिया का प्रचार है कि बैठक के एजेंडा में कश्मीर नहीं है।

दरअसल आज सुबह पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन की वैबसाइट पर यह खबर प्रकाशित की गई थी कि इस सिलसिले में ओआईसी के अंग्रेजी और अरबी भाषा में जारी वक्तव्य में कश्मीर का नाम नहीं है। इसके पहले हिंदुस्तान टाइम्स ने यह खबर दी थी कि एजेंडा में कश्मीर का जिक्र नहीं है।

Thursday, November 19, 2020

हाफिज सईद को सजा या सब नौटंकी है?


पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमले के सरगना और जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद को आतंकवाद के दो और मामलों में 10 साल जेल की सजा सुनाई है। दोनों मामले आतंकवाद के लिए पैसे जुटाने से जुड़े हुए हैं। यह खबर जितने जोरदार तरीके से भारतीय मीडिया में प्रकाशित की जा रही है, उतने जोरदार तरीके से पाकिस्तानी मीडिया में नहीं है। पाकिस्तान के डॉन और ट्रिब्यून जैसे अखबारों की वैबसाइट पर यह खबर इन पंक्तियों के लिखे जाते समय यानी शाम 6.00 बजे के आसपास आई भी नहीं थी।

सोशल मीडिया पर भारत के लोगों की पहली प्रतिक्रिया यह है कि यह भी किसी किस्म की नौटंकी है। शायद फरवरी में होने वाली एफएटीएफ बैठक की पेशबंदी है। सच यह है कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल संरा सुरक्षा परिषद से अनुरोध करके हाफिज सईद की पेंशन बँधवाई थी। हाफिज सईद को सजा दी गई है इसका मतलब साफ है कि यह किसी बात की पेशबंदी है। वह तो पाकिस्तानी सेना से जुड़ा व्यक्ति है और उसे देश का हीरो माना जाता है। बीबीसी के एक विश्लेषण के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान लगातार एफएटीएफ को निराश करता है और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो इसके गंभीर वित्तीय और कूटनीतिक नतीजे होंगे।

Wednesday, November 18, 2020

भारत-द्रोही लॉर्ड नज़ीर की लॉर्ड्स सभा से बर्खास्तगी की सिफारिश

 


युनाइटेड किंगडम के हाउस ऑफ लॉर्ड्स की आचरण समिति ने गत मंगलवार 17 नवंबर को एक रिपोर्ट अपने एक सदस्य लॉर्ड नज़ीर के बारे में प्रकाशित की, जिसमें सिफारिश की गई थी कि इस व्यक्ति को सदन की सदस्यता से बर्खास्त कर देना चाहिए। इस बर्खास्तगी से पहले ही लॉर्ड नज़ीर ने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और वे 14 नवंबर को सदस्यता से मुक्त हो चुके हैं। यह रिपोर्ट वस्तुतः लॉर्ड नज़ीर की कमिश्नर फॉर स्टैंडर्ड्स की एक जाँच रिपोर्ट के विरुद्ध याचिका को खारिज करते हुए दी गई थी। अब यह रिपोर्ट 19 नवंबर को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में पेश की जाएगी। यह पहला मौका है जब किसी हाउस ऑफ लॉर्ड्स के किसी सदस्य की बर्खास्तगी हुई हो।

ब्रिटेन में नज़ीर अहमद नाम का पाकिस्तानी मूल का यह नागरिक बीस साल पहले हाउस ऑफ लॉर्ड्स का सदस्य बनाया गया था। ब्रिटेन में भारत-विरोधी अभियानों का यह मुख्य संचालक था। सन 2019 में उसके खिलाफ एक शिकायत आई थी कि उसने सहायता माँगने आई एक महिला का यौन शोषण किया। सन 2017 में ताहिरा ज़मां नामक एक महिला ने उनके पास आकर माँग की थी कि एक मुस्लिम पीर या ओझा की जाँच कराई जाए, जो स्त्रियों के लिए खतरनाक है।

ताहिरा ज़मां ने पिछले साल बीबीसी के कार्यक्रम न्यूज़नाइट में बताया था कि लॉर्ड नज़ीर ने मुझे बार-बार डिनर पर बुलाया और अंत में मैं इसके लिए तैयार हो गई। इसके बाद उसने मुझे पूर्वी लंदन स्थित अपने घर पर चलने को कहा। दोनों के बीच सहमति से सहवास भी हुआ, पर ताहिरा का कहना है कि मुझे मदद की जरूरत थी और इस आदमी ने इसका फायदा उठाया और अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।

Thursday, November 12, 2020

पाकिस्तान में सेना ने विरोधी दलों से संपर्क साधा

बुधवार को बल्तिस्तान में मरयम नवाज शरीफ जिस स्थानीय वेशभूषा में थीं, वह तुर्की ड्रामा सीरियल एर्तुग्रल की एक महत्वपूर्ण पात्र हलीमे सुल्तान की वेशभूषा से मिलती-जुलती थी। उन्होंने नीले रंग का परिधान पहना था, जो इस सीरियल की अभिनेत्री एसरा बिल्जिक के परिधान से मिलता जुलता है। 

ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में पीपुल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) को देखते हुए वहाँ की सेना ने इन विरोधी दलों के साथ बातचीत करने की पेशकश की है। जियो न्यूज के अनुसार नवाज शरीफ की बेटी और
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नून) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज शरीफ ने कहा है कि हम मिलिटरी एस्टेब्लिशमेंट के साथ बातचीत करने को तैयार हैं, बशर्ते वे पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी के इमरान खान से पल्ला झाड़ने को तैयार हो जाएं।

मरियम ने बीबीसी की उर्दू सेवा से कहा, 'फ़ौज मेरा इदारा (संस्था) है हम ज़रूर बात करेंगे, लेकिन आईन (संविधान) के दायरा कार में रहते हुए। अगर कोई क्रीज़ से निकल कर खेलने की कोशिश करेगा, जो (दायरा कार आईन ने वज़ा कर दिया है इस में रह कर बात होगी, और वो बात अब अवाम के सामने होगी, छिप-छुपा कर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि 'मैं इदारे के मुख़ालिफ़ नहीं हूँ मगर समझती हूँ कि अगर हमने आगे बढ़ना है तो इस हुकूमत को घर जाना होगा।

Monday, November 9, 2020

पाकिस्तान में विरोधी आंदोलन का अगला दौर

इस्लामाबाद में मौलाना फजलुर्रहमान

पाकिस्तान के विरोधी दलों के आंदोलन पीडीएम का अगला दौर अब 13 नवंबर से शुरू होगा, जब 11 दलों का यह गठबंधन इस्लामाबाद में बैठक करने के बाद एक माँग-पत्र जारी करेगा। रविवार 8 नवंबर को पीडीएम के अध्यक्ष मौलाना फजलुर्रहमान ने इस्लामाबाद में कहा कि सभी दल अपने-अपने प्रस्ताव उस बैठक में रखेंगे, जिसके बाद उसके अगले दिन सभी दलों के प्रमुखों की बैठक में उस माँग-पत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा।

मौलाना फजलुर्रहमान ने इस्लामाबाद में इन दलों की बैठक के बाद इस आंदोलन की भावी दिशा के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य देश में वास्तविक सांविधानिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था को लागू करना है। इस बैठक में पाकिस्तान मुस्लिम लीग नून के अध्यक्ष नवाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली ज़रदारी क्रमशः लंदन और कराची से वीडियो लिंक के माध्यम से शामिल हुए थे। पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी गिलगित-बल्तिस्तान में 15 नवंबर को होने वाले चुनाव के सिलसिले में वहाँ व्यस्त हैं।

Tuesday, November 3, 2020

पाकिस्तान: आतंक जिसकी विदेश नीति है

दुनिया को धीरे-धीरे समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान किसी देश का नाम नहीं, वह एक आंतकी अवधारणा है। उसका प्रधानमंत्री संरा महासभा में खून की नदियाँ बहाने और एटम बम चलाने की धमकी दे सकता है। हाल के वर्षों में उसने तुर्की और चीन जैसे दो ऐसे देशों को अपना संरक्षक बनाया है, जो खुद अपनी हिंसक और अराजक गतिविधियों के कारण वैश्विक आलोचना के पात्र बन रहे हैं।

गत 21 से 23 अक्तूबर तक पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वर्च्युअल बैठक में फैसला हुआ कि आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए पाकिस्तान को जो काम निर्धारित समय में पूरा करने के लिए कहा गया था, वे पूरे नहीं हो पाए हैं, इसलिए उसे ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखा जाएगा। पाकिस्तान को अब सुधरने के लिए फरवरी 2021 तक का समय और दिया गया है।

राष्ट्रीय रणनीति!

अराजकता और आतंक जिस देश की घोषित रणनीति है, उसके सुधरने की क्या उम्मीद की जाए? पाकिस्तान कैसे सुधरेगा? हम जिन्हें आतंकवादी कहते हैं, उन्हें वह राष्ट्रनायक कहता है। अलबत्ता अपनी गतिविधियों के कारण वह चारों तरफ से घिरने लगा है। एफएटीएफ की कार्रवाई के अलावा इसके कुछ और उदाहरण भी सामने हैं।

Thursday, October 29, 2020

पाकिस्तान ने घबराकर अभिनंदन को छोड़ा था

 

अयाज सादिक

गुरुवार को दो वीडियो के वायरल होने से भारत और पाकिस्तान में सनसनी फैल गई। दोनों वीडियो पाकिस्तानी संसद में दो महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बयानों से जुड़े थे। पाकिस्तान की संसद के पूर्व स्पीकर और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नून) के वरिष्ठ नेता अयाज सादिक ने बुधवार 28 अक्तूबर को देश की संसद में एक ऐसा बयान दिया, जिसकी तवक्को न सेना को की थी और न इमरान खान की सरकार को। उनका कहना था कि बालाकोट में एयर स्ट्राइक के अगले दिन हुए पाकिस्तानी हवाई हमले में एफ-16 विमान को मार गिराने वाले भारतीय सैनिक विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की रिहाई पाकिस्तान सरकार ने इस बात से घबरा कर की थी कि भारत हमला कर देगा। उन्होंने पाकिस्तानी विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा को अभिनंदन की रिहाई के लिए जिम्मेदार ठहराया। सादिक ने संसद में बयान दिया कि अभिनंदन की कब्जे में लेने के बाद भारत हमला न कर दे इसको लेकर बाजवा के पैर कांप रहे थे।

अयाज सादिक के इस बयान पर टीका-टिप्पणी चल ही रही थी कि पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने संसद में एक और बयान दिया, जो और ज्यादा सनसनीखेज था। उन्होंने कहा कि पिछले साल फरवरी में हुए पुलवामा के हमले में इमरान खान सरकार का हाथ था। बाद में वे अपने बयान से मुकर गए और बोले कि हमारा देश आतंकवाद का समर्थन नहीं करता है। और पुलवामा हमले पर उनकी टिप्पणी की गलत व्याख्या की गई थी। मुझे गलत समझा गया। पहले फवाद चौधरी का बयान देखें:-


कश्मीर की आड़ में इमरान

पाकिस्तानी साप्ताहिक फ्राइडे टाइम्स से साभार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार 27 अक्तूबर को कहा कि हम भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते
कश्मीरियों का उत्पीड़न रोका जाए और समस्या का समाधान हो। उन्होंने यह बात कश्मीर के काले दिन के मौके पर एक वीडियो संदेश में कही। कश्मीर का यह कथित काल दिन पाकिस्तानी दृष्टिकोण से काला है, क्योंकि इस दिन 1947 में महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

भारत ने इस साल पहली बार 22 अक्तूबर को काल दिन मनाया था, जिस दिन 1947 में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर हमला किया था। इमरान खान ने अपने संदेश में शांति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की समृद्धि के लिए शांति आवश्यक है। इमरान खान ने पिछले ढाई साल में न जाने कितनी बार बातचीत की पेशकश की है, साथ ही यह भी कहा है कि हम तो बातचीत करना नहीं चाहते।

Saturday, October 24, 2020

फिलहाल ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा पाकिस्तान

पाकिस्तानी अखबार फ्राइडे टाइम्स से साभार

पाकिस्तान फिलहाल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की
ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकलेगा। उसे जो काम दिए गए थे, उन्हें पूरा करने का समय भी निकल चुका है। अब उसके पास फरवरी 2021 तक का समय है, जब उसे मानकों पर खरा उतरने का एक मौका और दिया जाएगा। गत 21 से 23 अक्तूबर तक हुई वर्च्युअल बैठक के बाद शुक्रवार शाम को एफएटीएफ ने बयान जारी किया कि पाकिस्तान सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। उसने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

सूत्रों के मुताबिक एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान के बचाव के लिए तुर्की ने पुरजोर पैरवी की। उसने सदस्य देशों से कहा कि पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में छह मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। पर बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी सहित कई देश पाकिस्तान की  आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं।

अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी

ग्रे लिस्ट में बने रहने से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा। विदेशी पूँजी निवेश में भी दिक्कतें पैदा होंगी, क्योंकि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। इसबार की बैठक में पाकिस्तान की फज़ीहत का आलम यह था कि 39 सदस्य देशों में से केवल तुर्की ने उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकाले जाने की वकालत की।

Thursday, October 22, 2020

कश्मीर का ‘काला दिन’

भारत सरकार ने इस साल से 22 अक्तूबर को कश्मीर का काला दिनमनाने की घोषणा की है। 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोला था। पाकिस्तानी लुटेरों ने कश्मीर में भारी लूटमार मचाई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। बारामूला के समृद्ध शहर को कबायलियों, रज़ाकारों ने कई दिन तक घेरकर रखा था। इस हमले से घबराकर कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर 1947 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिसके बाद भारत ने अपने सेना कश्मीर भेजी थी। इस बात के प्रमाण हैं कि स्वतंत्रता के फौरन बाद पाकिस्तान ने कश्मीर और बलोचिस्तान पर फौजी कार्रवाई करके उनपर कब्जे की योजना बनाई थी।

Wednesday, October 21, 2020

कराची की सब्ज़ी मंडी में हरी मिर्च और शिमला मिर्च की क़ीमतें आसमान छूने लगीं


 पाकिस्तान के उर्दू डॉन अख़बार से देवनागरी में उर्दू का आनंद लें

20 अक्तूबर 2020। कराची में हरी मिर्च और शिमला मिर्च की क़ीमतें बुलंदी पर पहुँच गई हैं और ये 320 रुपये और 480 रुपये फ़ी किलो तक फ़रोख़्त हो रही हैं। डॉन अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ मार्केट ज़राए का कहना था कि हरी मिर्च और शिमला मिर्च की क़ीमतें रवां माह दबाव का शिकार रही, इस से क़बल शिमला मिर्च 180 से 200 रुपये फ़ी किलो जबकि हरी मिर्च 200 से240 रुपये फ़ी किलो में दस्तयाब थी। ताहम अब क़ीमतों में इज़ाफे़ के बाद मुख़्तलिफ़ सारिफ़ीन के लिए देसी खानों में इस्तेमाल होने वाली हरी मिर्च ख़रीदना मुश्किल हो गया है।

मार्केट में250 ग्राम यानी एक पाओ हरी मिर्च80 रुपये में दस्तयाब है जबकि बड़ी शिमला मिर्च40 से50 रुपये में फ़रोख़्त हो रही है। उधर कमिश्नर कराची की प्राइस लिस्ट के मुताबिक़ पीर को शिमला मिर्च के होलसेल और रिटेल रेट यक्म अक्तूबर के 130 और133 रुपये फ़ी किलो से बढ़कर 400 और 403 रुपये किलो तक पहुंच गए। इस से क़बल इतवार को शिमला मिर्च के होलसेल और रिटेल क़ीमतें330 और333 रुपये फ़ी किलो थीं। इसी तरह हर मिर्च की होलसेल और रिटेल क़ीमतों में भी इज़ाफ़ा हुआ और ये 110 और 113 रुपये फ़ी किलो से बढ़कर 240 और 243 रुपये फ़ी किलो तक पहुंच गईं।

वाज़ेह रहे कि मुल्क में चाइनीज़ और पैन एशियन रेस्टोरेंट्स की तादाद में इज़ाफे़ के बाइस गुज़श्ता कुछ बरसों में शिमला मिर्च की तलब में इज़ाफ़ा हुआ है। इस हवाले से डॉन से बात करते हुए एक रिटेलर का कहना था कि बैगन और लौकी मार्कीट में60 से70 रुपये किलो में दस्तयाब थी जबकि ईरान और अफ़्ग़ानिस्तान से सब्ज़ी के आने के बावजूद प्याज़ की क़ीमत 80 रुपये किलो से नीचे नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि ज़्यादा-तर अश्या (चीजें) 100 रुपये फ़ी किलो से ऊपर फ़रोख़्त हो रही हैं जबकि दरआमदात (सप्लाई) के बावजूद टमाटर अब भी 160 रुपये किलो हैं।

कराची और इस्लामाबाद की शबर है कि दरआमदशुदा सब्ज़ियों की आमद से अवाम को कोई रिलीफ़ नहीं मिल सका क्योंकि टमाटर और प्याज़ की क़ीमतें 150-160 रुपये फ़ी किलो और 50-60 रुपये फ़ी किलो से बिलतर्तीब 200 रुपये फ़ी किलो और 80 रुपये फ़ी किलो की बुलंद तरीन सतह पर पहुंच गई हैं। डॉन अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ सारिफ़ीन पहले से ही दरआमदी अदरक के लिए 600 रुपये फ़ी किलो अदा कर रहे हैं, जबकि कुछ लालची ख़ुदरा फ़रोश उसको बेहतरीन मयार का क़रार देते हुए 700 रुपये फ़ी किलो का मुतालिबा कर रहे हैं। ख़ुदरा फ़रोशों का कहना है कि गुज़श्ता एक हफ़्ते के दौरान ईरानी टमाटर और प्याज़, जबकि अफ़ग़ान प्याज़ की आमद मोख़र होने की वजह से क़ीमतों में मज़ीद इज़ाफ़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्याज़ और टमाटर दोनों की बलोचिस्तान की फ़सलें अब तक नाकाफ़ी साबित हो चुकी हैं जिससे ईरान और अफ़ग़ानिस्तान से उन अश्या की दरआमद की राह हमवार होगी।

 पाकिस्तान के उर्दू डॉन अख़बार को पढ़ने के लिए क्लिक करें

 

Tuesday, October 20, 2020

एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट’ से पाकिस्तान का फिलहाल निकल पाना मुश्किल

 

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 21 से 23 अक्तूबर को होने वाली सालाना आम बैठक के ठीक पहले लगता है कि पाकिस्तान इसबार भी न तो ग्रे लिस्ट से बाहर आएगा और न ब्लैक लिस्ट में डाला जाएगा। भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जिन 27 कार्य-योजनाओं की जिम्मेदारी दी थी, उनमें से केवल 21 पर ही काम हुआ है। शेष छह पर नहीं हुआ।

इसके पहले एफएटीएफ के एशिया प्रशांत ग्रुप की रिपोर्ट गत 30 सितंबर को जारी हुई थी, जिसमें पाकिस्तान को दिए गए कार्य और उस पर अमल करने के उपायों की समीक्षा की गई। इसका सारांश है कि पाकिस्तान फिलहाल प्रतिबंधित होने वाली सूची से तो बच सकता है, लेकिन उसे अभी निगरानी सूची में ही रहना होगा। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन, बाहर से आने वाली फंडिंग को रोकने, एनजीओ के नाम पर काम करने वाली एजेंसियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने व पारदर्शिता लाने के लिए कार्यों की सूची सौंपी है।

पेरिस में क्या होगा?

पेरिस स्थित मुख्यालय में एफएटीएफ की 21-23 अक्टूबर को वर्च्युअल बैठक होगी। एफएटीएफ ने हाल के महीनों में पाकिस्तान सरकार की तरफ से उठाए गए कुछ कदमों की तारीफ भी की है। खासतौर पर जिस तरह से गैरसरकारी संगठनों की गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं, उनकी तारीफ की गई है। पाकिस्तान में नई व्यवस्था लागू की गई है, जिससे हजारों एनजीओ की फंडिंग की निगरानी संभव हो सकेगी।

Monday, October 19, 2020

कराची में पाकिस्तानी विपक्ष का भारी जलसा

 पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ आंदोलन ज़ोर पकड़ता जा रहा है। भारतीय मीडिया इस आंदोलन की खास कवरेज नहीं कर रहा है, क्योंकि उसकी दिलचस्पी स्थानीय मसलों में ज्यादा है। इस वक्त पाकिस्तान पर नजर रखने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि अभी जो कुछ हो रहा है उसका असर भविष्य में भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर पड़ेगा। पाकिस्तान की कवरेज के लिए मैं बीबीसी का सहारा लेता हूँ या फिर डॉन और एक्सप्रेस ट्रिब्यून का। नीचे मैंने पहले बीबीसी की हिंदी वैबसाइट से छोटा सा अंश लिया है। आप विस्तार से पढ़ना चाहें, तो वैबसाइट पर जाएं, जिसका लिंक साथ में है। मेरी दिलचस्पी उस शब्दावली में है, जो पाकिस्तान में इस्तेमाल हो रही है। वह बीबीसी की उर्दू सेवा में सुनने को मिलती है। मैंने बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट का देवनागरी में लिप्यंतरण करके अपेक्षाकृत विस्तार से लगाया है। लिप्यंतरण करते समय मैंने सब कुछ वैसे ही रहने दिया है, जैसी ध्वनि मूल आलेख से आ रही है। मसलन मरियम नवाज शरीफ को मर्यम लिखा गया है, तो मैंने वैसा ही रहने दिया है। पहले पढ़ें बीबीसी हिंदी की खबर का अंश:

इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ कराची में विपक्ष का जलसा, कुछ बदलेगा?

पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ 11 पार्टियाँ संयुक्त मोर्चे पीडीएम (ऑल पार्टीज़ डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के तहत गुजरांवाला में हुए पहले बड़े प्रदर्शन के बाद रविवार को कराची के जिन्ना-बाग़ में जलसा कर रही हैं. इस रैली में शामिल होने मरियम नवाज़, बिलावल भुट्टो समेत अन्य कई नेता पहुंचे हैं. मरियम नवाज़ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं और बिलावल भुट्टो पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं. मरियम नवाज़ हवाई मार्ग से कराची पहुँचीं और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार पर भी गईं.

विस्तार से पढ़ना चाहें, तो बीबीसी हिंदी की वैबसाइट पर जाएं

 अब पढ़ें बीबीसी उर्दू की खबर के लिप्यंतरण का संपादित अंश

 जो अवाम के वोटों को बूटों के नीचे रौंदता है हम उसे सलाम नहीं करते- मर्यम नवाज़

ग्यारह जमाती हुकूमत मुख़ालिफ़ इत्तिहाद, पीडीएम का जलसा कराची के जिनाह बाग़ में मुनाक़िद हुआ और इस मौके़ पर मर्यम नवाज़ ने कहा कि हम हलफ़ की पासदारी करने वाले फ़ौजीयों को सलाम करते हैं लेकिन जो अवाम के वोटों को बूटों के नीचे रौंदता है उसे सलाम नहीं करते।

इस जलसे से पीटीएम के मुहसिन दावड़, डाक्टर अबदुलमालिक बलोच, महमूद ख़ान अचकज़ई और अख़तर मीनगल समेत दीगर सयासी रहनुमाओं ने भी ख़िताब किया।