Saturday, September 18, 2021

अमरिंदर सिंह के इस्तीफे से खत्म नहीं होगा कांग्रेस का पंजाब-द्वंद्व



 अब यह करीब-करीब साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के पीछे कांग्रेस हाईकमान की भूमिका है। नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तेमाल किया गया है। कहा जा रहा है कि आलाकमान ने कैप्टन पर विधायकों के कहने पर दबाव बनाया, पर कांग्रेस पार्टी के भीतर विधायकों को जब हाईकमान की इच्छा समझ में आ जाती है, तब उनका व्यवहार उसी हिसाब से बदलता है। बहरहाल अब मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह बात महत्वपूर्ण नहीं है। देखना यह होगा कि पार्टी अब आगे की राजनीति का संचालन किस प्रकार करेगी।

अलबत्ता यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि हाईकमान को कैप्टेन से क्या शिकायत हो सकती है। एक बात कही जा रही है कि राज्य में सरकार के खिलाफ जबर्दस्त एंटी-इनकम्बैंसी है। इसलिए नए चेहरे के साथ चुनाव में जाना बेहतर होगा। ऐसी बात थी, तो इतने टेढ़े तरीके से बदलाव की जरूरत क्या थी? महीनों पहले हाईकमान को अमरिंदर को यह बात बता देनी चाहिए थी। अब विधानसभा चुनाव नए मुख्यमंत्री, नवजोत सिद्धू और गांधी परिवार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। श्रेय भी उन्हें मिलेगा। 

अमरिंदर सिंह का कहना है कि दो महीने में तीन-तीन बार विधायकों की बैठक बुलाने का मतलब क्या था? कल रात अचानक घोषणा हुई कि शनिवार की शाम पांच बजे विधायकों की बैठक होगी।

सूत्रों का कहना है कि 80 में से 50 से अधिक विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मांग की थी कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए, जिसके कारण विधायकों की आपात बैठक बुलानी पड़ी। विचित्र बात है कि हाईकमान ने विधायकों से सवाल पूछने की कोशिश नहीं की और मुख्यमंत्री से भी बात नहीं की।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अमरिंदर सिंह ने आज सुबह सोनिया गांधी से फोन पर बात की और कहा, इस तरह का अपमान काफी है, यह तीसरी बार हो रहा है। मैं इस तरह के अपमान के साथ पार्टी में नहीं रह सकता। पहले खबरें थी कि उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी से भी इस्तीफा दूँगा। अलबत्ता आज शाम इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पत्रकारों के साथ छोटी सी बात में कहा कि मैं पार्टी में हूँ। कुछ सूत्रों के अनुसार, वे पार्टी को भी जल्द ही अलविदा कह सकते हैं।

117 सदस्यीय पंजाब विधानसभाओं के लिए अगले साल होने वाले मतदान में यह संकट चुनाव से पहले ही संख्या के खेल की ओर बढ़ रहा है। जुलाई में अमरिंदर सिंह के प्रतिरोध के बावजूद, पार्टी ने नवजोत सिद्धू को पंजाब प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन कड़वाहट खत्म नहीं हुई। पिछले महीने चार मंत्रियों और लगभग दो दर्जन पार्टी विधायकों ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ शिकायतें कीं और नेतृत्व से कहा कि उन्हें चुनावी वादों को पूरा करने की उनकी क्षमता पर कोई भरोसा नहीं है।

कैप्टेन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के गुटों के बीच चल रहे विवाद ने 1997 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में हुए लतिहाव की याद ताजा कर दी है। आम चुनाव से तीन महीने से भी कम समय पहले 20 नवंबर, 1996 को, आलाकमान ने हरचरण सिंह बराड़ की जगह राजिंदर कौर भट्ठल को मुख्यमंत्री बना दिया। वे पंजाब की पहली और एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं। वे केवल 82 दिनों के लिए इस कुर्सी पर बैठीं।

1997 में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। विधानसभा की कुल 117 सीटों में से पार्टी ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 14 सीटों पर जीत हासिल की। 1996 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने जिन 13 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से केवल दो पर ही जीत मिली।

 

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