Saturday, February 27, 2021

चीन में गरीबी का खात्मा


आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में टीएन नायनन के इस लेख में चीन के इस दावे का विश्लेषण किया गया है कि वहाँ गरीबी को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इस दावे पर आप यकीन करें या नहीं करें, अलबत्ता टीएन नायनन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यह सूचना भारतीय संदर्भों में बहुत महत्वपूर्ण है। उनका लेख पढ़ें
:

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के मुताबिक उनके देश ने गरीबी का पूरी तरह खात्मा कर दिया है। इस बयान को चाहे जैसे देखा जाए लेकिन यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। दुनिया के सबसे गरीब समाजों में से एक रहा और भारत के साथ दुनिया के अधिकांश गरीबों वाला चीन अब प्रति व्यक्ति आय के ऐसे स्तर पर (क्रय शक्ति समता के अनुसार) पहुंच गया है जो वैश्विक औसत के करीब है। चीन का दावा है कि उसने 85 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा।

चीन के तमाम आंकड़ों की तरह इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। चीन मानक के रूप में विश्व बैंक द्वारा बताए गए गरीबी के स्तर के आय संबंधी बुनियादी आंकड़ों को अपनाता है जबकि उसे मध्य आय वाले देशों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले उच्च आंकड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए। परंतु उस हिसाब से भी देखा जाए तो चीन में गरीबी का आंकड़ा प्रति 20 लोगों में से एक ही निकलता है। भारत की बात करें तो उच्च स्तर के आंकड़ों के मुताबिक आधी आबादी गरीब निकलेगी जबकि निचले स्तर पर भी आबादी का 10 प्रतिशत गरीब है। भारत यह दावा जरूर कर सकता है कि वह दुनिया के सर्वाधिक गरीब लोगों वाला देश नहीं रह गया है। यह दर्जा अब नाइजीरिया को मिल गया है जबकि कॉन्गो दूसरे स्थान पर आ सकता है। यकीनन अगर कोविड (जिसने भारत में गरीबों की संख्या बढ़ाई) नहीं आया होता तो शायद हम भी संयुक्त राष्ट्र के 2030 के पहले गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के करीब पहुंच चुके होते।

जैसा कि बार-बार कहा जाता रहा है करीब 40 वर्ष पहले भारत और चीन दोनों विकास और आय के समान स्तर पर थे। अब चीन की प्रति व्यक्ति आय (पीपीपी डॉलर में) भारत की प्रति व्यक्ति आय का 2.7 गुना है। यदि बाजार विनिमय दर पर सांकेतिक डॉलर का इस्तेमाल किया जाए तो भी यह दोगुने से अधिक ठहरता है। यह अंतर बढऩे लगा था लेकिन बाद में भारत चीन को पीछे छोड़कर विश्व की सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था बन गया। लेकिन परंतु महामारी के आगमन के ऐन पहले वह दोबारा पिछड़ गया जबकि चीन की वृद्घि जारी रही। विभिन्न मानकों पर चीन भारत से 10 से 15 वर्ष आगे है। भारत की प्रति व्यक्ति आय आज जिस स्तर पर है, चीन 15 वर्ष पहले वहां था। इसी तरह मानव विकास सूचकांक (आय, स्वास्थ्य और शिक्षा समेत) पर भी वह हमसे 15 वर्ष आगे है। इससे कहीं अधिक जटिल, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य पर भारत चीन के मौजूदा स्तर से एक दशक पीछे है।

बिजनेस स्टैंडर्ड में पढ़ें पूरा आलेख

इकोनॉमिस्ट के इस आलेख को भी पढ़ें

इस वीडियो को भी देखें


3 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 01 -03 -2021 ) को 'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
  2. बढ़िया लेख

    ReplyDelete