Friday, December 4, 2015

पीएम मोदी की 'संत मुद्रा' के मायने क्या हैं?

प्रमोद जोशी

नरेंद्र मोदी

Image copyrightLOKSABHA TV

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद के दोनों सदनों में दिए गए बयान उपदेशात्मक और आदर्शों से ओत-प्रोत हैं, पर उनसे वास्तविक सवालों के जवाब नहीं मिलते.
लगता नहीं कि विपक्ष इन सवालों को आसानी से भूलकर सरकार को बचकर निकलने का मौका देगा.
राज्यसभा में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के एक नोटिस को सभापति ने विचार के लिए स्वीकार कर लिया है.
येचुरी ने असहिष्णुता व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दे पर एक पंक्ति का यह प्रस्ताव दिया है.
देखना होगा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस प्रस्ताव को पास कराने में मदद करेंगे या नहीं. और यह भी कि इस प्रस्ताव का इस्तेमाल सरकार की निंदा के रूप में होगा या नहीं.
दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के बयान सकारात्मक जरूर हैं, पर वे विपक्ष के भावी प्रहारों की पेशबंदी जैसे लगते हैं. प्रधानमंत्री की यह संत-मुद्रा बताती है कि वे राजनीतिक दबाव में हैं.

नरेंद्र मोदीImage copyrightPTI

मोदी जी ने किसी भी सवाल का सीधे जवाब नहीं दिया है. जबकि देश उम्मीद रखता है कि वे उन सारे सवालों के जवाब दें जो इस बीच उठाए गए हैं.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मान वापस करने वाले लेखकों और कलाकारों से मिलने की इच्छा व्यक्त की है. गृह मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री को ऐसा कदम उठाना चाहिए था.
दादरी में मोहम्मद अख़लाक की हत्या से देश में दहशत का माहौल बना था. उसके बाद कुछ मंत्रियों और सांसदों के बयानों से माहौल और बिगड़ा.
प्रोफेसर कलबुर्गी की हत्या को लेकर लेखकों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपना आक्रोश व्यक्त किया तो बजाय हमदर्दी जताने के उनकी आलोचना हुई.
इसके बाद सम्मान वापसी को देशद्रोह साबित करने की कोशिश की गई. बात-बात पर लोगों को पाकिस्तान जाने की सलाह दी गई. इन बातों को बेहतर तरीके से सुलझाया जा सकता था. ऐसा हुआ नहीं.


No comments:

Post a Comment