मोदी के गले की हड्डी ‘कट्टर हिंदुत्व’
- 28 मिनट पहले
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद देश में कुछ दिनों तक हिन्दुत्व को लेकर शांति रही.
लोकसभा चुनाव के आख़िरी दौर में कुछ मसले ज़रूर उठे थे, लेकिन मोदी ने उन्हें तूल नहीं दिया.
अब ‘कट्टर हिन्दुत्व’ नरेंद्र मोदी सरकार के गले की फाँस बनता दिख रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘कट्टरपंथी’ माना जाता है, पर चुनाव अभियान में उन्होंने राम मंदिर की बात नहीं की, बल्कि गिरिराज सिंह और प्रवीण तोगड़िया जैसे नेताओं को कड़वे बयानों से बचने की सलाह दी.
उनके रुख़ के विपरीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहयोगी संगठनों से जुड़े कुछ नेता विवादित मुद्दों को हवा दे रहे हैं. जैसे, विहिप नेता अशोक सिंघल ने दावा किया कि दिल्ली में 800 साल बाद 'गौरवशाली हिंदू' शासन करने आए हैं.
साध्वी निरंजन ज्योति और योगी आदित्यनाथ के तीखे तेवरों के बीच साक्षी महाराज का नाथूराम गोडसे के महिमा-मंडन का बयान आया. बयान बाद में उसे वापस ले लिया गया, पर तीर तो चल चुका था.
इधर, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर जल्द से जल्द बनना चाहिए. इसी तरह ‘धर्म जागरण’ और ‘घर वापसी’ जैसी बातें पार्टी की नई राजनीति से मेल नहीं खातीं.
भा ज पा की यह सब से बड़ी कमजोरी है, वह आर एस एस केडर के बिना चुनाव नहीं जीत सकती, और जीतने के बाद उसके एजेंडे से दूर नहो हो सकती उस पर आर एस एस का साया मंडराता ही रहता है कहने को वह अपने आपको उस से अलग बताती है लेकिन ऐसा हो नहीं पता रही सही कमी उस से सम्बंधित नेता पूरी कर देते हैं गिरिराज, आदित्यनाथ,साक्षी महाराज,अवेधनाथ ,निरंजन ज्योति जैसे नेता मोदी के किये कराये पर पानी फेरने को पर्याप्त हैं ,आर एस एस का भी उन पर हाथ है, इसलिए वह उनकी जबान पर लगाम नहीं लगाता ,और इसीलिए यह धर्म परिवर्तन ,लव जिहाद, घर वापसी जैसे मुद्दों को तूल देकर अनावश्यक पार्टी की छवि ख़राब कर रहे हैं जो बड़ी मुश्किल से कुछ सुधरी है अभी पार्टी को बहुत से चुनाव लड़ने और जीतने है पर यही ढंग रहा तो आखिर अकेले मोदी कब तक चुनाव जितवा पाएंगे , इसीलिए कहा जाता है कि भा ज पा को राज करना नहीं आता
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