Friday, January 1, 2021

2 जनवरी को होगा देश में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास


 कोविड टीकाकरण शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे टीकाकरण शुरू करने के लिए 2 जनवरी को पूर्वाभ्यास करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे पूरी तरह तैयार हैं। इससे टीका आपूर्ति, शीत भंडारगृह शृंखला समेत भंडारण एवं लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन में उनकी क्षमता का पता चल पाएगा। यह टीकाकरण विश्व का अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम होगा, जिसके लिए सरकार 96,000 टीका लगाने वाले लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी है। टीके से संबंधित सवालों के समाधान के लिए राज्य एक हेल्पलाइन 104 शुरू कर रहे हैं। इस बात की संभावना है कि अगले एक-दो दिन में एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड विवि की वैक्सीन को भारत में लगाने की अनुमति मिल जाएगी। 

 पूर्वाभ्यास का मकसद जमीनी स्तर पर को-विन एप्लीकेशन के उपयोग की व्यवहार्यता का आकलन करना और टीकाकरण कार्यक्रम की योजना एïवं क्रियान्वयन के बीच तालमेल को जांचना है। इससे राज्यों के चुनौतियों को चिह्नित कर पाने और वास्तविक टीका उपलब्ध कराए जाने से पहले खामियों को दूर करने की संभावना है। यह पूर्वाभ्यास इसलिए भी किया जा रहा है ताकि विभिन्न स्तरों के कार्यक्रम प्रबंधकों में आत्मविश्वास पैदा किया जा सके। सभी राज्यों की राजधानियों में शनिवार को तीन टीकाकरण स्थलों पर पूर्वाभ्यास होगा। इन स्थलों में कुछ उन दुर्गम जगहों पर हो सकते हैं, जहां लॉजिस्टिक उपलब्धता कमजोर है। 

 स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में टीकाकरण शुरू करने के लिए 29,000 कोल्ड टेन पॉइंट, 240 वॉक-इन कूलर, 70 वॉइ-इन फ्रीजर, 45,000 आइस-लाइंड रेफ्रिजरेटर, 41,000 डीप फ्रीजर और 300 सोलर रेफ्रिजरेटर की जरूरत होगी।  स्वास्थ्य मंत्रालय कह चुका है कि कुल 2.39 लाख टीका देने वालों में से 1.54 लाख वे ऑग्जिलियरी नर्सेज ऐंड मिडवाइव्स (एएनएम) होंगी, जो व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम में टीके लगाती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के परिचालन दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रभारी चिकित्सा अधिकारी प्रत्येक टीकाकरण स्थल  पर 25 जांच लाभार्थियों- स्वास्थ्य कर्मियों की पहचान करेगा और उनका डेटा को-विन ऐप में अपलोड किया जाएगा। पूर्वाभ्यास में सभी प्रस्तावित टीकाकरण स्थलों का भौतिक सत्यापन भी शामिल होगा ताकि पर्याप्त स्थान, लॉजिस्टिक इंतजाम, इंटरनेट कनेक्टिविटी, बिजली एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उदाहरण के लिए प्रत्येक राज्य में तीन मॉडल टीकाकरण स्थलों में 'तीन कमरों के सेट-अप' में अलग-अलग प्रवेश और निकास बिंदु होने चाहिए और जागरूकता गतिविधियों के लिए बाहर पर्याप्त जगह होनी चाहिए। राज्यों को टीकाकरण टीम चिह्नित करनी होंगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें मानक परिचालन प्रक्रिया की जानकारी है और टीका लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इस पूर्वाभ्यास में टीकाकरण के बाद किसी प्रतिकूल स्थिति को संभालने पर भी अहम ध्यान दिया जाएगा।

पूरी रिपोर्ट पढ़ें बिजनेस स्टैंडर्ड में 

Thursday, December 31, 2020

नेपाल का संकट क्या चीन के सीधे हस्तक्षेप से सुलझ पाएगा?

 


नेपाल में गत 20 दिसंबर को संसद हो जाने के बाद से असमंजस की स्थिति है। पिछले हफ्ते ऐसा लगा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है। वहाँ से पार्टी की एक उच्च स्तरीय टीम नेपाल का दौरा करके वापस चली गई है, पर स्थितियाँ जस की तस हैं। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने जानने का प्रयास किया कि क्या संसद की पुनर्स्थापना संभव है। यदि संभव नहीं है, तो क्या चुनाव उन तारीखों में हो सकेंगे, जिनकी घोषणा की गई है। बुधवार 30 दिसंबर को यह टीम वापस लौट गई।

सवाल है कि क्या इस राजनीतिक संकट का समाधान चीन कर पाएगा? इस बीच खबर है कि नेपाली विदेशमंत्री प्रदीप ग्यावली भारत और नेपाल के बीच बने संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए जनवरी में भारत आएंगे। अभी इसकी तारीख तय नहीं है। यह यात्रा औपचारिक है, पर संभव है कि इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें हों।

Wednesday, December 30, 2020

औद्योगिक विकास में मददगार होगा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 29 दिसंबर को ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) राष्ट्र को समर्पित किया। देश के तेज औद्योगिक विकास के लिए यह महत्वपूर्ण परिघटना है। इस मौके पर पीएम ने 351 किलोमीटर लंबे रेल खंड न्यू खुर्जा से न्यू भाऊपुर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने प्रयागराज के सूबेदारगंज में बनाए गए ईडीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का भी उद्घाटन किया। यह कंट्रोल रूम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहाँ से पूरे कॉरिडोर की मॉनिटरिंग की जा सकेगी देश में ऐसा पहली बार होगा जब कंट्रोल रूम में लगे स्क्रीन पर ट्रेन लाइव दिखाई देगी

जब आप दिल्ली से कानपुर की तरफ ट्रेन से जाएं, तो आपको अपनी लाइन के साथ चलती कुछ और रेलवे लाइनें दिखाई पड़ेंगी। यह ईडीएफसी है। देश के तेज आर्थिक विकास के लिए कनेक्टिविटी की भूमिका है। हाईवे, रेलवे, एयर वे, वॉटर वे, आईवे की जरूरत है। प्रधानमंत्री के इस मौके पर दिए गए भाषण के राजनीतिक निहितार्थ पर ध्यान न दे, तो इतना साफ है कि जैसा हमारी ज्यादातर योजनाओं के साथ हुआ है, यह कार्यक्रम भी समय से पीछे चला गया है। मोदी का कहना है कि साल 2006 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली, उसके बाद यह सिर्फ कागजों और फाइलों में बनता रहा। केंद्र को राज्यों के साथ जिस गंभीरता से बात करनी चाहिए थी वह किया ही नहीं। साल 2014 तक एक किमी ट्रैक भी नहीं बिछाया गया। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद इस प्रोजेक्ट की फाइलों को फिर खंगाला गया, अधिकारियों को नए सिरे से आगे बढ़ने के लिए कहा गया। इसका बजट 11 गुना यानी 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गया।

Tuesday, December 29, 2020

जीवन-शैली को बदल गया यह साल


इस साल मार्च में जब पहली बार लॉकडाउन घोषित किया गया, तब बहुत से लोगों को पहली नजर में वह पिकनिक जैसा लगा था। काफी लोगों की पहली प्रतिक्रिया थी, आओ घर में बैठकर घर का कुछ खाएं। काफी लोगों ने लॉकडाउन का आनंद लिया। फेसबुक पर रेसिपी शेयर की जाने लगीं। पर जैसे ही बीमारी बढ़ने और मौत की खबरें आने लगीं, लोगों के मन में दहशत ने धीरे-धीरे प्रवेश करना शुरू दिया। मॉल, रेस्त्रां और सिनेमाघरों के बंद होने से नौजवानों की पीढ़ी को धक्का लगा। अचानक कई तरह की सेवाएं खत्म हो गईं। सिर और दाढ़ी के बाल बढ़ने लगे। ब्यूटी पार्लर बंद हो गए। ज़ोमैटो और स्विगी की सेवाएं बंद। पीत्ज़ा और बर्गर की सप्लाई बंद। अस्पतालों में सिवा कोरोना के हर तरह का इलाज ठप। 

कोविड-19 ने हमारे जीवन और समाज को कितने तरीके से बदला इसका पता बरसों बाद लगेगा। भावनात्मक बदलावों को मुखर होकर सामने आने में भी समय लगता है। इस दौरान छोटे बच्चों का जो भावनात्मक विकास हुआ है, उसकी अभिव्यक्ति भी एक पीढ़ी बाद पता लगेगी। इतना समझ में आता है कि जीवन और समाज में किसी एक वैश्विक घटना का इतना गहरा असर शायद इसके पहले कभी नहीं हुआ होगा। पहले और दूसरे विश्व युद्ध का भी नहीं। इसका असर जीवन-शैली, रहन-सहन और मनोभावों के अलावा उद्योग-व्यापार और तकनीक पर भी पड़ा है।

ठहर गई जिंदगी

विमान सेवाएं शुरू होने के बाद दुनिया के इतिहास में पहला मौका था, जब सारी दुनिया की सेवाएं एकबारगी बंद हो गईं। रेलगाड़ियाँ, मोटरगाड़ियाँ थम गईं। गोष्ठियाँ, सभाएं, समारोह, नाटक, सिनेमा सब बंद। खेल के मैदानों में सन्नाटा छा गया। विश्व कप क्रिकेट स्थगित, इस साल जापान में जो ओलिंपिक खेल होने वाले थे, टल गए।

Monday, December 28, 2020

‘सुंदर सपनों’ को तोड़ने वाला साल

आप पूछें कि इस गुजरते साल 2020 को हम किस तरह याद रखें, तो पहला जवाब है महामारी का साल।’ महामारी न होती, तब भी इसे यादगार साल होना था। ‘इंडिया 2020: ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’ डॉ एपीजे कलाम की किताब है, जो 1998 में लिखी गई थी। तब वे राष्ट्रपति बने नहीं थे, पर उन्होंने 2020 के भारत का सपना देखा था। इस साल की शुरुआत उस सपने के साथ हुई थी और अंत ‘स्वप्न-भंग’ से हुआ। सपनों पर पानी फेरने वाला साल।

गिलास पूरा खाली नहीं है। यह हमारी परीक्षा का साल था। फिर भी एक मुश्किल दौर को हमने जीता है। साल की शुरूआत आंदोलनों से हुई और समापन किसान आंदोलन के साथ हो रहा है। देश की राजधानी में जामिया मिलिया विवि और शाहीनबाग के नाम से जो आंदोलन शुरू हुआ था, उसकी छाया विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे दिल्ली शहर पर पड़ी। दिल्ली को सांप्रदायिक दंगे ने घेर लिया। उत्तर प्रदेश के शहरों में भी हिंसा हुई।

नमस्ते ट्रंप

फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दिल्ली यात्रा के दौरान दिल्ली में फसाद की बुनियाद पड़ गई थी। इस हिंसा के पहले दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विवि परिसर में हिंसा हुई, जिसकी प्रतिक्रिया में देश के अनेक शिक्षा-संस्थानों में आंदोलनों का दौर बना रहा। कोरोना का हमला न होता, तो शायद यह साल ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ की बहस का विषय बनता। जलते भारत को लेकर तमाम अंदेशे हैं और उम्मीदें भी, जो ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ हैं।