भारतीय विदेश और रक्षा-नीतियों के संदर्भ में इन दिनों काफी हलचल है। पहली बार भारत ने चीन के खिलाफ साफ शब्दों में बोलना शुरू किया है। देश के पूर्व विदेश सचिव और पूर्व रक्षा सलाहकार श्याम सरन इसे 'ऐतिहासिक हिचकिचाहट' से निजात पाना कहते हैं। देश की इस नीति की आने वाले समय में परीक्षा होगी। देखना होगा कि चीन किस हद तक ताकतवर देश बनता है और हिंद महासागर क्षेत्र में कितने देशों को अपने साथ जोड़ पाता है। पिछले कुछ सप्ताह के घटनाक्रम पर गौर करें, तो पाएंगे कि नेपाल और बांग्लादेश में भारत ने चीनी प्रभाव के बरक्स अपनी पकड़ को बेहतर बनाया है।
हिंद महासागर के बदलते सुरक्षा परिदृश्य पर श्याम सरन ने बिजनेस स्टैंडर्ड में ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड और भारत की भूमिका’ शीर्षक आलेख में कहा है कि कम से कम इस बात के लिए चीन का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने भारत को 'ऐतिहासिक हिचकिचाहट' से निजात पाने में मदद की और वह क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सुरक्षा संवाद का अनौपचारिक रणनीतिक मंच) को अपनी हिंद-प्रशांत नीति के केंद्र में ला सका। चीन ने पूर्वी लद्दाख में जो आक्रामकता दिखाई उसने भारत को प्रोत्साहित किया कि वह क्वाड के रूप में चारों देशों के गठजोड़ को संस्थागत स्वरूप प्रदान करे।