
इन परिणामों के आने के पहले ही तेदेपा के
चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली आकर राहुल गांधी समेत अनेक नेताओं से मुलाकात की थी और
2019 के बारे में बातें करनी शुरू कर दी। सपनों के राजमहल फिर से बनने लगे हैं। पर
गौर करें तो कहानियाँ लगातार बदल रहीं हैं। साल के शुरू में जो पहल ममता बनर्जी और
के चंद्रशेखर राव ने शुरू की थी, वह इसबार आंध्र से शुरू हुई है।
महत्वपूर्ण पड़ाव कर्नाटक
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव इस साल एक
महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुए हैं। यहाँ कांग्रेस ने त्याग किया है। पर क्या यह
स्थायी व्यवस्था है? क्या कांग्रेस दिल्ली में भी त्याग करेगी? क्या चंद्रबाबू पूरी तरह विश्वसनीय हैं? बहरहाल उनकी पहल के साथ-साथ तेलंगाना के
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-तेदेपा गठबंधन का लांच भी हुआ है। अब चंद्रबाबू चाहते
हैं कि महागठबंधन जल्द से जल्द बनाना चाहिए, उसके लिए पाँच राज्यों के विधानसभा
चुनावों के परिणामों का इंतजार नहीं करना चाहिए।