भारतीय राजनीति में लोक-लुभावन घोषणाएं ऐसे औजार हैं, जिनका
इस्तेमाल हरेक पार्टी करना चाहती है. पर दूसरी पार्टी को उसका मौका नहीं देना
चाहती.
केंद्र सरकार ने इस साल सितंबर में सिद्धांततः फैसला कर
लिया था कि अब से बजट तकरीबन एक महीना पहले पेश किया जाएगा. यह केवल इस साल की
व्यवस्था ही नहीं होगी. भविष्य में वित्त वर्ष भी बदलने का विचार है.
चर्चा तो इस बात पर होनी चाहिए कि यह विचार सही है या गलत.
पर हम चर्चा तो दूसरी बातों की सुन रहे हैं.