एक स्टिंग ऑपरेशन
में कर्नाटक के कुछ विधायक राज्यसभा चुनाव में वोट के लिए पैसे माँगते देखे गए
हैं। इस मसले पर मीडिया में चर्चा बढ़ती कि तभी मथुरा में जमीन पर कब्जा छुड़ाने
की कोशिश में हुआ खून-खराबा खबरों पर छा गया। यह मामला खून-खराबे से ज्यादा खौफनाक
है। चुनाव आयोग ने पूरे मामले की जाँच शुरू कर दी है। आयोग क्या फैसला करेगा? और उससे होगा क्या? ज्यादा से ज्यादा चुनाव की
प्रक्रिया रद्द हो जाएगी। देश से भ्रष्टाचार दूर करने का संकल्प बगैर राजनीतिक
संकल्प के पूरा नहीं होगा। और जब राजनीति इतने खुलेआम तरीके से भ्रष्टाचार का
सहारा लेगी तो किसपर भरोसा किया जाए?
Sunday, June 5, 2016
Friday, June 3, 2016
कई पहेलियों का हल निकालना होगा राहुल को
कांग्रेस पार्टी की
जिम्मेदारी अब राहुल गांधी के कंधों पर पूरी तरह आने वाली है. एक तरह से यह मौका
है जब राहुल अपनी काबिलीयत साबित कर सकते हैं. पार्टी लगातार गिरावट ढलान पर है. वे
इस गिरावट को रोकने में कामयाब हुए तो उनकी कामयाबी होगी. वे कामयाब
हों या न हों, यह बदलाव होना ही था. फिलहाल इससे दो-तीन बातें होंगी. सबसे बड़ी
बात कि अनिश्चय खत्म होगा. जनवरी 2013 के जयपुर चिंतन शिविर में उन्हें पार्टी का
उपाध्यक्ष बनाया गया था, तब यह बात साफ थी कि वे वास्तविक अध्यक्ष हैं. पर
व्यावहारिक रूप से पार्टी के दो नेता हो गए. उसके कारण पैदा होने वाला भ्रम अब खत्म
हो जाएगा.
Tuesday, May 31, 2016
पत्रकारिता की आत्मा व्यवस्था-विरोधी होगी, अखबार भले न हों
हिन्दी अख़बार के
190 साल पूरे हो गए. हर साल हम हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाकर
रस्म अदा करते हैं. हमें पता है कि कानपुर से कोलकाता गए किन्हीं पं. जुगल किशोर
शुक्ल ने ‘उदंत मार्तंड’ अख़बार शुरू किया था. यह अख़बार बंद क्यों हुआ, उसके बाद के अख़बार किस तरह निकले, इन अखबारों की और पत्रकारों की भूमिका जीवन और समाज में
क्या थी, इस बातों पर अध्ययन नहीं हुए. आजादी के पहले और
आजादी के बाद उनकी भूमिका में क्या बदलाव आया,
इसपर भी रोशनी
नहीं पड़ी. आज ऐसे शोधों की जरूरत है, क्योंकि पत्रकारिता का एक
महत्वपूर्ण दौर खत्म होने के बाद एक और महत्वपूर्ण दौर शुरू हो रहा है.
Monday, May 30, 2016
कश्मीर की इस तपिश के पीछे कोई योजना है
कश्मीर में कई साल बाद हिंसक गतिविधियाँ अचानक बढ़ीं हैं. सोपोर, हंडवारा,
बारामूला, बांदीपुरा और पट्टन से असंतोष की खबरें मिल रहीं है. खबरें यह भी हैं कि
नौजवान और किशोर अलगाववादी युनाइटेड जेहाद काउंसिल के नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं.
सुरक्षा दलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए अलगाववादियों की लाशों के जुलूस निकालने
का चलन बढ़ा है. इस बेचैनी को सोशल मीडिया में की जा रही टिप्पणियाँ और ज्यादा बढ़ाया
है. नौजवानों को सड़कों पर उतारने के बाद सीमा पार से आए तत्व भीड़ के बीच घुसकर
हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं.
Sunday, May 29, 2016
हमारे आर्थिक विकास पर टिका है दुनिया का विकास
जिस समय मोदी
सरकार के पहले दो साल का समारोह मनाया जा रहा है दुनिया आर्थिक मंदी के खतरे का
सामना कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने और खासतौर से चीन में
गाड़ी का पहिया उल्टा चलने के आसार हैं और अब दुनिया हमारी तरफ देख रही है। हाल
में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लैगार्ड ने इस दौर में
भारत को रोशनी की किरण बताया है। उन्होंने कहा कि यह देश चालू वित्त वर्ष में 7.2
प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा और 2019 तक इसकी जीडीपी जापान और जर्मनी की संयुक्त
अर्थव्यवस्था से ज्यादा हो जाएगी।
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