नवम्बर 2007 में संघवाद पर दिल्ली में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि संघवाद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद तथा मौसम परिवर्तन जैसी मानव-जनित चुनौतियों से निपटने के उपाय भी खोजने होंगे। नरेंद्र मोदी सरकार ‘सहकारी संघवाद’ की बात करती है। उसका आशय भी समस्याओं के समाधान मिलकर खोजने वाली व्यवस्था से है। यह एक आदर्श स्थिति है। भारत जैसे बहुरंगी समाज के लिए संघीय ढाँचा अनिवार्यता भी है। कई बार हमारी संघ-राज्य राजनीति समाधान बनने के बजाय समस्या बन जाती है।
भारत में संघीय व्यवस्था तीन सतह पर काम करती है। केंद्र, राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र। संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज भी इस व्यवस्था में शामिल हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 268 से 281 तक राज्यों और केन्द्र के बीच राजस्व संग्रहण और वितरण की व्यवस्था परिभाषित की गई है। संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक आपात उपबंधों की व्यवस्था है। अनुच्छेद 355 बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से निपटने की जिम्मेदारी केन्द्र को देता है।
भारत में संघीय व्यवस्था तीन सतह पर काम करती है। केंद्र, राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र। संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज भी इस व्यवस्था में शामिल हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 268 से 281 तक राज्यों और केन्द्र के बीच राजस्व संग्रहण और वितरण की व्यवस्था परिभाषित की गई है। संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक आपात उपबंधों की व्यवस्था है। अनुच्छेद 355 बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से निपटने की जिम्मेदारी केन्द्र को देता है।