Sunday, January 19, 2014

दिल्ली में आप की कांग्रेस से सीधी तकरार

आज सुबह के अखबार सुनंदा पुष्कर थरूर के निधन की खबरों से भरे पड़े थे। ऐसे विषयों को उछालने में मीडिया को मजा आता है। ऐसे में भाजपा कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद को वह कवरेज नहीं मिल पाई जो मिल सकती थी। वह कमी आज दिन में नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पूरी हो गई। शायद कल के अखबारों में भी यही खबर प्रभावी होगी। बहरहाल कुछ ध्यान खींचने वाली कतरनें इस प्रकार हैंः-

नवभारत टाइम्स

अब आप के कर्णधारों को सोचना चाहिए

पिछले महीने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अचानक जीत के बाद राहुल गांधी ने कहा था, नई पार्टी को जनता से जुड़ाव के कारण सफलता मिली और इस मामले में उससे सीखने की जरूरत है। हम इससे सबक लेंगे। पर इसी शुक्रवार को कांग्रेस महासमिति की बैठक में उन्होंने कहा, विपक्ष गंजों को कंघे बेचना चाहता है और नया विपक्ष कैंची लेकर गंजों को हेयर स्टाइल देने का दावा कर रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रति उनका आदर एक महीने के भीतर खत्म हो गया। उन्होंने अपने जिन कार्यक्रमों की घोषणा की उनमें कार्यकर्ताओं की मदद से प्रत्याशी तय करने और चुनाव घोषणापत्र बनने की बात कही, जो साफ-साफ आप का असर है।

राहुल को आप के तौर-तरीके पसंद हैं, पर आप नापसंद है। भारतीय जनता पार्टी ने तो पहले दिन से उसकी लानत-मलामत शुरू कर दी थी। उसने दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान इस बात पर जोर देकर कहा कि 'आप' और कुछ नहीं, कांग्रेस की बी टीम है। जनता के मन में मुख्यधारा की पार्टियों को लेकर नाराजगी है। 'आप' को उस नाराजगी का फायदा मिला। उसने खुद को आम आदमी जैसा साबित किया, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की घोषणा की, लालबत्ती संस्कृति का तिरस्कार किया। शपथ लेने के दिन मेट्रो से यात्रा की। बंगला-गाड़ी को लेकर अपनी अरुचि व्यक्त की वगैरह।

Saturday, January 18, 2014

राहुलमय कांग्रेस और 'आप' का टूटता जादू

पिछले दो दिन के अखबार राहुल के प्रधानमंत्रित्व को समर्पित थे। सभी चैनलों पर बहस का मुद्दा भी यही था। बहरहाल कांग्रेस महासमिति की बैठक का निष्कर्ष यह निकला कि अब राहुल नए अवतार में हैं। उनकी बोली और अंदाज बदला है। पार्टी की इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हिंदी में बोले। अपने संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने हिंदी में पूछे गए सवालों के जवाब भी अंग्रेजी में दिए थे। इससे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस अब अपनी आर्थिक नीति को लेकर जवाब देने की स्थिति में है। उसके प्रवक्ताओं को होमवर्क के साथ भेजा जा रहा है। राहुल ने मणिशंकर की तारीफ की तो उन्हें भी ताव आ गया और उन्होंने नरेंद्र मोदी को चायवाला बना दिया। रोचक बात यह कि जिस नरेंद्र मोदी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर आगमन से लेकर सभा स्थल तक जाने का आँखों देखा हाल प्रसारित होता था, वे दो दिन से दिल्ली में पड़े थे उनकी कोई खबर नहीं। खबरें हैं 'आप' की दुर्दशा की। अब इस आशय की खबरें भी आने लगी हैं कि किस तरह से आप की टोपी पहने लोग सरकारी अफसरों को फटकार रहे हैं। दिल्ली में स्टिंग ऑपरेशन वाले उपकरणों की बिक्री हो रही है। पर उससे ज्यादा है मंत्री-पुलिस संवाद। लोकतंत्र अपने अगले पायदान पर आ गया है। 

दैनिक भास्कर 


Thursday, January 16, 2014

भास्कर ने अपने सिर ताज रखा

दैनिक भास्कर

दैनिक भास्कर के इंटरव्यू की ओर दुनिया भर का ध्यान गया। इसकी वजह इंटरव्यू नहीं था, बल्कि वह घोषणा थी जो राहुल गांधी ने की थी। पर यह शुद्ध रूप से पीआर एक्ससाइज थी। राहुल गांधी चाहते तो यह घोषणा किसी और माध्यम से हो सकती थी। हाँ यह सवाल जरूर मन में आता है कि राहुल को हिंदी मीडिया इस वक्त क्यों याद आया। आज की कतरनों में सबसे ज्यादा 'आप' के तबेले में लतिहाव से जुड़ी हैं। शशि थरूर और सुनंदा के तलाक की संभावनाओं से जुड़ी खबर भी रोचक है। 

‘आप’ की तेजी क्या उसके पराभव का कारण बनेगी?

दिल्ली में 'आप' सरकार ने जितनी तेजी से फैसले किए हैं और जिस तेजी से पूरे देश में कार्यकर्ताओं को बनाना शुरू किया है, वह विस्मयकारक है। इसके अलावा पार्टी में एक-दूसरे से विपरीत विचारों के लोग जिस प्रकार जमा हो रहे हैं उससे संदेह पैदा हो रहे हैं। मीरा सान्याल और मेधा पाटकर की गाड़ी किस तरह एक साथ चलेगी? इसके पीछे क्या वास्तव में जनता की मनोकामना है या मुख्यधारा की राजनीति के प्रति भड़के जनरोष का दोहन करने की राजनीतिक कामना है?  अगले कुछ महीनों में साफ होगा कि दिल्ली की प्रयोगशाला से निकला जादू क्या देश के सिर पर बोलेगा, या 'आप' खुद छूमंतर हो जाएगा?

फिज़ां बदली हुई थी, समझ में आ रहा था कि कुछ नया होने वाला है, पर 8 दिसंबर की सुबह तक इस बात पर भरोसा नहीं था कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में इतनी बड़ी सफलता मिलेगी। ओपीनियन और एक्ज़िट पोल इशारा कर रहे थे कि दिल्ली का वोटर ‘आप’ को जिताने जा रहा है, पर यह जीत कैसी होगी, यह समझ में नहीं आता था। बहरहाल आम आदमी पार्टी की जीत के बाद से यमुना में काफी पानी बह चुका है। पार्टी की इच्छा है कि अब राष्ट्रीय पहचान बनानी चाहिए। पार्टी अपनी सफलता को लोकसभा चुनाव में भी दोहराना चाहती है। 10 जनवरी से देश भर में ‘आप’ का देशव्यापी अभियान शुरू होगा। इस अभियान का नाम ‘मैं भी आम आदमी’ रखा गया है। सदस्यता के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।