नरेन्द्र मोदी इस रविवार को हैदराबाद में रैली करके एक प्रकार से अपना अभियान शुरू करने जा रहा हैं। उनके इस कार्यक्रम के होर्डिंगों की थीम है नई सोच। मोदी की नवभारत युवा भेरी के होर्डिंग काफी सादा, सीधे और साफ हैं। आमतौर पर भाजपा के पोस्टर तमाम नेताओं की तस्वीरों से भरे होते हैं और उनपर राष्ट्रवाद का मुलम्मा चढ़ा होता है। मोदी की एप्रोच राष्ट्रवादी है, पर ट्रीटमेंट कंटेम्परेरी है। यानी आधुनिक। फिलहाल यह रैली आने वाले विधानसभा चुनावों की आहट दे रही है, पर इससे मोदी की प्रचार नीति पर रोशनी पड़ेगी। अभी यह शुरुआती होर्डिंग है। पता लगा है कि यह होर्डिंग भाजपा की हैदराबाद इकाई की ओर से नहीं लगाया या है, बल्कि दिल्ली वालों ने लगवाया है।
हालिया घटनाक्रम ने संसद सत्र के दौरान सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं
चार दिन की गहमा-गहमी के बाद संसद सोमवार तक के लिए स्थगित हो गई. पिछले सोमवार को आशा थी कि इस मॉनसून सत्र में कुछ कुछ संजीदा काम संभव होगा. पर चार दिन में सरकार केवल खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश कर पाई.
दूसरी ओर राज्यसभा ने कंपनी कानून पास कर दिया. लोकसभा उसे पहले ही पास कर चुकी है.
कॉरपोरेट गवर्नेंस को बेहतर और पारदर्शी बनाने के लिए इस विधेयक का पास होना शुभ समाचार है. लगभग 57 साल पुराने इस कानून में बदलाव की जरूरत लम्बे अर्से से महसूस की जा रही थी.
राष्ट्रीय विकास, आर्थिक प्रगति और प्रशासनिक सुधार के लिए संसद के सामने पड़े दूसरे विधेयकों का निस्तारण भी इतना ही जरूरी है.
इस काम के लिए यूपीए को राजनीतिक समझदारी का परिचय देना होगा. और इतनी ही समझदारी पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने में दिखानी होगी. यह बेहद संवेदनशील मसला है. और इसमें जोखिम उठाने होंगे.
चार दिन की राजनीतिक गतिविधियाँ इस बात का संकेत दे रही हैं कि आर्थिक उदारीकरण की गाड़ी को गति देना और पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बेहतर बनाना तलवार की धार पर चलने के समान है.
दोनों में भारी राजनीतिक जोखिम हैं और दोनों का दक्षिण एशिया के आर्थिक-सामाजिक विकास के साथ गहरा रिश्ता है.
हिन्दू में सुरेन्द्र का कार्टून |
सतीश आचार्य का कार्टून |