दावे हर पार्टी करती है. पर सबको यकीन नहीं होता। समाजवादी पार्टी को यकीन रहा होगा, पर इस बात को खुलकर मीडिया नहीं कह रहा था। वैसे ही जैसे 2007 में नहीं कह पा रहा था। फिर भी यह चुनाव समाजवादी पार्टी की जबर्दस्त जीत के साथ-साथ बसपा, कांग्रेस और भाजपा की हार के कारण भी याद किया जाएगा। इन पराजयों के बगैर सपा की विजय-कथा अपूर्ण रहेगी। साथ ही इसमें भविष्य के कुछ संदेश भी छिपे हैं, जो राजनीतिक दलों और मतदाताओं दोनों के लिए हैं।
यह वोट बसपा की सरकार के खिलाफ वोट था। वैसे ही जैसे पिछली बार सपा की सरकार के खिलाफ था। जिस तरह मुलायम सिंह पिछली बार नहीं मान पा रहे थे लगता है इस बार मायावती भी नहीं मान पा रहीं थीं कि हार सिर पर मंडरा रही है। सरकार को बेहद मामूली काम करना होता है। सामान्य प्रशासन। उसके प्रचार वगैरह की ज़रूरत नहीं होती। और न आलोचनाओं से घबराने की ज़रूरत होती है। छवि को ठीक रखने के लिए सावधान रहने की जरूरत होती है।
यह वोट बसपा की सरकार के खिलाफ वोट था। वैसे ही जैसे पिछली बार सपा की सरकार के खिलाफ था। जिस तरह मुलायम सिंह पिछली बार नहीं मान पा रहे थे लगता है इस बार मायावती भी नहीं मान पा रहीं थीं कि हार सिर पर मंडरा रही है। सरकार को बेहद मामूली काम करना होता है। सामान्य प्रशासन। उसके प्रचार वगैरह की ज़रूरत नहीं होती। और न आलोचनाओं से घबराने की ज़रूरत होती है। छवि को ठीक रखने के लिए सावधान रहने की जरूरत होती है।